जानिए रांची की इस वकील बेटी ने कैसे झटके 13 गोल्ड मेडल, हर तरफ बरस रहीं बधाइयां
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में हर कोई रुहा की काबिलियत का दाद दे रहा था। राज्यपाल द्रौपदी मूर्म और हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें मेडल दिए।
रांची, जासं। रांची स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ के दीक्षांत समारोह में शनिवार को सबकी निगाहें रूहा खुर्शीद पर टिकी रहीं। रूहा ने 2013-18 के बैच में कुल 13 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं। इनमें एक गोल्ड मेडल क्लास टॉपर का भी है। अन्य मेडल कॉर्पोरेट लॉ, कॉन्स्टीट्यूशनल लॉ, लेबर लॉ, प्रोफेशनल एथिक्स आदि के लिए मिले।
रांची की इस बेटी की सफलता पर प्रशंसकों ने बधाइयों की झड़ी लगा दी है। वहीं रूहा मेहनत को ही अपनी सफलता की कुंजी बताती हैं। रूहा अभी बेंगलुरु में प्रैक्टिस कर रही हैं। वह कॉर्पोरेट लॉ की ओर अपना कदम बढ़ा रही हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई रांची के बिशप वेस्टकॉट और डीपीएस स्कूल से की है। रूहा के पिता जमील अहमद मेडिकल ऑफिसर हैं।
कानून की मदद से मिटाएं सामाजिक बुराइयां : नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ के दीक्षांत समारोह का आयोजन शनिवार को विवि परिसर में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू उपस्थित हुईं। विशिष्ट अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सह विवि के कुलपति अनिरुद्ध बोस, जस्टिस अपरेश कुमार और मुख्य वक्ता पद्मश्री प्रो. एनआर माधव मेनन उपस्थित हुए। कार्यक्रम में विवि के तीन बीए एलएलबी और तीन एलएलएम बैच को मेडल दिया गया। इसमें कुल 322 लोगों को मेडल मिला जिसमें से 86 छात्रों ने गोल्ड मेडल हासिल किया। मौके पर सभी छात्रों के अभिभावक, शिक्षक आदि मौजूद थे।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि कुलपति पद पर स्थायी नियुक्ति न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में है। अन्य सुविधाओं में फैकल्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से जल्द बात करने का अश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने के लिए कानून का उपयोग होना चाहिए। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते संविधान का पालन कर आदर्श समाज की स्थापना करना भी हमारा दायित्व है।
सभी को बराबर न्याय मिले, यह हो भविष्य का लक्ष्य : मुख्य वक्ता पद्मश्री प्रो. एनआर माधव मेनन ने अपने संबोधन में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि लीगल सिस्टम का भविष्य आज के छात्रों पर निर्भर करता है। इसलिए आज के छात्रों को इस बात का बोध होना जरूरी है कि लोगों के लिए न्याय का अर्थ क्या है। उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे सभी को बराबर न्याय दिलाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश बोले, देश में हर वर्ग के लोगों के लिए सुलभ न्याय होना चाहिए : झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस ने कहा कि देश में हर वर्ग के लोगों के लिए न्याय सुलभ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के आर्थिक विकास में लॉ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। युवा अधिवक्ता को शुरुआत में सीखने में अधिक ध्यान देना चाहिए। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगी।
सामाजिक न्याय के क्षेत्र में भी वे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। मौके पर जस्टिस अपरेश ने कहा कि लीगल सिस्टम को हिस्सा होना नौकरी भर सीमित नहीं है। यह समाज के प्रति आपकी जिम्मेदारियों को तय करता है जो कि आपको लोगों के बीच न्याय पहुंचाने को प्रेरित करता है। कार्यक्रम के दौरान विवि के कुलपति ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
इन्हें मिले मैडल : शांभवी शंकर को 2017-18 बैच से कॉन्स्टीट्यूशन एंड एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ में गोल्ड मेडल मिला। वो फिलहाल यूपीएससी की तैयारी कर रही हैं और आगे एक आइएएस ऑफिसर बनना चाहती हैं। आराधना को कॉन्स्टीट्यूशन लॉ, लॉ ऑफ एविडेंस और लीगल मेथड में गोल्ड मेडल मिला। वे आगे सीनियर लीगल एग्जेक्यूटिव के तौर पर कार्य करना चाहती हैं और उसकी तैयारी कर रही हैं।
कुशाग्र श्रीवास्तव को इंटरनेशनल लॉ और लॉ ऑफ ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी में गोल्ड मेडल मिला। वे अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं और आगे इसी दिशा में करियर बनाना चाहते हैं। मतीशा मजूमदार को एंवायरमेंटल लॉ और हेल्थ लॉ के लिए गोल्ड मेडल मिला।
मतीशा अभी झारखंड हाई कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं और आगे इसी ओर बढऩा चाहती है। निधि झा को कॉरपोरेट लॉ और लॉ ऑफ टैक्सेशन के लिए गोल्ड मेडल मिला। निधि जमशेदपुर से हैं और अभी मुंबई में प्रैक्टिस कर रही हैं। वे कॉर्पोरेट ऑनर्स में अपना करियर देखती हैं।