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Tribal Pride Day: जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास और देशभक्ति का स्मरण कराएगा संघ परिवार

RSS News Jharkhand News बिरसा मुंडा की जयंती को पूरे देश में जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। संघ परिवार जनजातीय समाज की धर्मनिष्ठा और पराक्रम से लोगों को अवगत कराएगा। पूरे देश में संघ के सभी सहयोगी संगठन इस पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Fri, 12 Nov 2021 01:13 PM (IST)Updated: Fri, 12 Nov 2021 03:06 PM (IST)
Jharkhand News, RSS News बिरसा मुंडा की जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाएगी।

रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस के सभी अनुषांगिक संगठन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय गौरव दिवस के रूप में मनाएंगे। पूरे देश में सभी संगठनों की ओर से कार्यक्रम का आयोजन होगा। इस दौरान लोगों को बताया जाएगा कि त्रेता व द्वापर युग से लेकर मुगलों और अंग्रेजों के खिलाफ जनजातीय समाज का किस तरह का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। समाज को उनकी देशभक्ति, पराक्रम और धर्मनिष्ठा से अवगत कराया जाएगा।

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विश्व हिंदू परिषद सभी जिला व प्रांत मुख्यालयों व जनजातीय बहुल जिलों में कार्यक्रम आयोजित करेगी। वनवासी कल्याण केंद्र देश के सभी जनजातीय बहुल इलाकों में रहने वाले लोगों को जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास से अवगत कराएगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कालेज, विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय सहित अलग-अलग शिक्षण संस्थानों में गोष्ठी, सेमिनार व परिचर्चा का आयोजन करेगा। इसके साथ ही भाजपा, एकल अभियान, विद्या भारती, हिंदू जागरण मंच, सेवा भारती, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ आदि संगठनों ने भी कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है।

उल्लेखनीय है कि आरएसएस के आह्वान पर सभी अनुषांगिक संगठनों ने पिछले वर्ष ही बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था। स्वधर्म व स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संपूर्ण समाज के साथ मिलकर जनजाति समाज के लोगों ने संघर्ष किया। विहिप के अंतरराष्‍ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांंडे ने कहा कि अनादि काल से जनजातीय समाज संपूर्ण हिंदू समाज का अभिन्न अंग रहा है। मुगलों तथा यूरोपियन आक्रमणों के विरुद्ध संपूर्ण समाज के साथ मिलकर उसने स्वधर्म तथा स्वतंत्रता की रक्षा के लिए संघर्ष किया।

रामायण एवं महाभारत काल से भक्ति, शक्ति एवं एकात्मता की मिसाल देशभर में तथा अपने-अपने प्रांतों में जनजातीय समाज ने प्रस्तुत किया है। माता शबरी की भक्ति हम सबको अथाह प्रेरणा देती है। मध्यप्रदेश में स्वतंत्रता सेनानी टंट्या भिल का कार्य तथा नाम प्रसिद्ध है। राजस्थान में राणा पुंजा भिल, जिन्होंने महाराणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध में तथा मुगलों के विरुद्ध संघर्ष में साथ दिया।

अल्लूरी सिताराम राजू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश में, गोविंद देव गुरु के नेतृत्व में राजस्थान में भिल समाज द्वारा, दक्षिण ओडिशा के स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण नायक तथा क्रांतिकारक सुरेंद्र साईं व आसाम में तिरथसिंह के नेतृत्व में खांसी समाज ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा। परांंडे ने कहा कि झारखंड में ब्रिटिशों के कुशासन तथा ईसाई मिशनरियों के षड्यंत्रकारियों के विरुद्ध भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष कौन नहीं जानता। इसके साथ ही स्वतंत्रता सेनानी सिदो तथा कान्हू, बुधु भगत के नेतृत्व में संथाल समाज ने संघर्ष किया।

इस तरह जनजाति समाज के ऐसे कितने ही पराक्रमी वीर और वीरांगनाओं ने मुस्लिम और ईसाई आक्रांताओं के विरुद्ध संपूर्ण समाज का साथ देकर स्वधर्म, स्वदेश की रक्षा व स्वतंत्रता के लिए भीषण संघर्ष किया तथा सर्वस्व का बलिदान किया। कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्हें समाज जानता नहीं है। वनवासी कल्याण केंद्र के कृपा प्रसाद सिंह व अभाविप के क्षेत्र संगठन मंत्री निखिल रंजन ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय समाज के कई ऐसे लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया, जिन्हें समाज जानता तक नहीं है। ऐसे लोगों के बारे में समाज को बताया जाएगा।


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