आरएसएस के प्रांत प्रचारक ने कहा, देश के विकास में स्वयंसेवकों का है महत्वपूर्ण योगदान
- अभाविप के लेक्चर सीरीज में आरएसएस के प्रात प्रचारक रविशकर ने कहा संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के बारे में गलत धारना फैलाई जाती है। देश के विकास में स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
- अभाविप के लेक्चर सीरीज में आरएसएस के प्रात प्रचारक रविशकर ने कहा, संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार की भूमिका को लेकर फैलाई गई भ्रातियां जागरण संवाददाता, राची : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ झारखंड के प्रात प्रचारक रविशकर ने कहा कि देश के विकास में आरएसएस के स्वयंसेवकों की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान परिस्थिति में भी स्वयंसेवक जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। जहां तक स्वतंत्रता संग्राम की बात है तो आरएसएस और इसके संस्थापक हेडगेवार की भूमिका को लेकर विरोधियों ने कई भ्रातिया फैलाई। जबकि सच्चाई यह है कि स्वतंत्रता आदोलन के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे शुक्रवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से ऑनलाइन सीरीज के तहत स्वतंत्रता संग्राम में स्वयंसेवको की भूमिका पर रांची से अपनी बात रख रहे हैं।
रविशंकर ने कहा कि स्वयंसेवकों की राष्ट्र सेवा अपनी कार्यशैली का हिस्सा है। डॉ. हेडगेवार पर शिवाजी की संकल्प शक्ति और राष्ट्रीय भाव का अटूट प्रभाव था। उनके बचपन के कुछ प्रसंगों के बारे में विचार करें तो सभी बातें स्पष्ट हो जाएगी। वंदे मातरम के उद्घोष से किया था स्वागत
रविशकर ने कहा कि संघ संस्थापक केशव अल्प आयु में ही कुशल नेतृत्व की पराकाष्ठा को पार करते हुए जिस विद्यालय में पढ़ते थे, उस स्कूल के विद्यार्थियों के साथ योजना बनाकर स्कूल में आने वाले इंस्पेक्टर का स्वागत वंदे मातरम के उद्घोष से किया था। विद्यालय ने यह सुनिश्चित किया कि माफी माग लो, लेकिन उन्होंने स्पष्ट मना किया था। कहा था कि यह अपराध करने के लिए तैयार हूं चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी सजा मिले। इस प्रकार से उनमें देश भक्ति के भाव के बारे में पता चलता है। उनकी शिक्षा के साथ-साथ क्रांति का प्रशिक्षण साथ-साथ चलता रहा, क्योंकि कोलकाता मेडिकल कॉलेज में देशभर से विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे। ऐसे विद्यार्थियों से संपर्क और संबंध स्थापित करके अनुशीलन समिति के कार्यो के साथ उनको जोड़ करके पूरे देश भर में अंग्रेजों के विरुद्ध क्रांति की योजना बनाई । स्वयंसेवक देश की अखंडता के लिए करते हैं काम
रविशकर ने कहा कि आज भी मुंबई में हेमू बलिदान दिवस के रूप में मनाते हैं। दादरा नगर हवेली जो जहा पुर्तगालियों का उपनिवेश था, 2 अगस्त 1954 को पुणे के संघचालक विनायक राव आप्टे के नेतृत्व में एक हजार स्वयंसेवकों के दल ने वहां धावा बोल दिया। 2 अगस्त 1979 को सिलवासा के नागरिकों को पुर्तगाली उपनिवेश से मुक्ति मिली। कुल मिलाकर के स्वयंसेवक समाज जीवन में देश की अखंडता को स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश करता है। अपने देश और समाज के लिए अपना जीवन लगाता है। यह संस्कार शाखा पर जाने से मिलता है।