नई शिक्षा नीति पर बोले मोहन भागवत, सरकार ने कुछ कदम बढ़ाए पर यह पूर्ण नहीं
संघ प्रमुख ने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जिससे सबका जीवन आप ठीक से चला सकें। कहा कि राम के आदर्श आचरण व उनके मूल्यों को अपने हृदय में धारण करना होगा। बोले कि महिलाओं को सशक्त बनाओ।
रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने कहा है कि केवल जीवन ठीक से चले, इसके लिए शिक्षा नहीं है। सबका जीवन आप ठीक से चला सकें, इसके लिए शिक्षित होना है। इसके लिए घर के संस्कार उपयुक्त होने के साथ-साथ विद्यालय का पाठ्यक्रम, शिक्षकों का आचरण और समाज का वातावरण ठीक होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में इन चारों बातों पर विचार करना होगा।
अभी जो शिक्षा नीति बनी है उसमें कुछ कदम इस तरफ बढ़े हैं, यह अच्छी बात है, लेकिन इसे पूर्ण नहीं माना जा सकता। पूर्ण नीति सरकार जब भी बनाई जाएगी, तब देखा जाएगा, लेकिन इसका क्रियान्वयन केवल शिक्षा व्यवस्था नहीं करती है, धर्म और समाज भी करता है। उन्होंने एक हिंदी मासिक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में उक्त बातें कहीं।
राम मंदिर आंदोलन के सवाल पर कहा कि आंदोलन भले ही समाप्त हो गया हो पर श्रीराम का विषय कभी समाप्त नहीं होगा। श्रीराम भारत के बहुसंख्यक समाज के लिए भगवान हैं और जिनके लिए भगवान नहीं भी हैं, उनके लिए आचरण के मापदंड तो हैं ही। राम थे, हैं, और रहेंगे। हमें श्रीराम के आदर्श, आचरण व उनके मूल्यों को अपने हृदय में धारण करना होगा।
काशी विश्वनाथ और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि
काशी विश्वनाथ और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के आंदोलन के संबंध में उन्होंने कहा कि हमको नहीं पता कि भविष्य में हिंदू समाज क्या करेगा। क्योंकि हम आंदोलन करने वाले नहीं हैं। इस पर मैं अभी कुछ नहीं कह सकता हूं। मैं इतना बताना चाहता हूं कि हम लोग कोई आंदोलन शुरू नहीं करते। राम जन्मभूमि का आंदोलन भी हमने शुरू नहीं किया, वह समाज द्वारा बहुत पहले से चल रहा था। कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में हम इस आंदोलन से जुड़े। हम तो शांतिपूर्वक संस्कार करते हुए प्रत्येक व्यक्ति का हृदय परिवर्तन करने वाले लोग हैं।
महिलाओं को न देवी बना कर रखो न दासी बनाकर
भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हम स्त्रियों का बराबरी में योगदान चाहते हैं। उनको बाकी मदद करने की जरूरत नहीं है। हमने जो दरवाजा बंद किया है, केवल वह खोलना पड़ेगा। उनको ना तो देवी बनाकर पूजा घर में बंद रखो और ना ही दासी बना कर उन्हें किसी कमरे में बंद करो। उनको भी बराबरी से काम करने दो, जिम्मेदारी लेने दो। इसके लिए उन्हें सशक्त बनाओ। उसे आगे बढ़ाओ। इस दिशा में हम थोड़ा-थोड़ाआगे बढ़ रहे हैं।
सबसे अधिक सुखी भारत के मुसलमान
राम मंदिर तथा राष्ट्र निर्माण में विभिन्न संप्रदायों और पंथों की भूमिका को लेकर संघ के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जिनके स्वार्थों पर आघात होता है, वे लोग बार-बार अलगाव व कट्टरता फैलाने का प्रयास करते हैं। वास्तव में हमारा ही एकमात्र देश है जहां पर सब के सब लोग बहुत समय से एक साथ रहते आए हैं। सबसे अधिक सुखी मुसलमान भारत देश के ही हैं।
इस्लाम के आक्रमण से कुछ समय पहले मुसलमान भारत में आए। आक्रमण के साथ बहुत अधिक संख्या में आए। बहुत सारा खून-खराबा, संघर्ष, युद्ध, बैर का इतिहास रहा है। फिर भी हमारे यहां मुसलमान हैं, ईसाई हैं। उनके साथ किसी ने कोई बुरा नहीं किया। पाकिस्तान ने तो अन्य मतावलंबियों को वे अधिकार नहीं दिए।
कोरोना संकट में पूरा समाज एक साथ खड़ा दिख रहा हैकोरोना से उपजी चुनौतियों के विषय में मोहन भागवत ने कहा कि आज अपने देश में विशेषकर युवा पीढ़ी में अपने देश को बड़ा बनाने की चाह है। कोरोना के आपात दौर में स्वतंत्रता के बाद पहली बार यह दृश्य हमने देखा कि बिना किसी के बताए पूरा का पूरा समाज एक साथ खड़ा हो गया। किसी ने भी सरकार की राह नहीं देखी।