भूटान से जाना ख़ुशनुमा जिंदगी जीने का राज
भूटान में लोग भौतिकता के साथ ही अपनी आध्यात्मिक उपलब्धि का भी ख्याल करते हैं।
रांची : जिंदगी जीने के खुशनुमा तरीकों को अपना कर भूटान जैसे छोटे से देश ने पूरी दुनिया को चकित किया है। जीने के उसके ढंग को देख दुनिया दंग है। आखिर क्या है इस देश की खुशी का राज। 28-29 अप्रैल को रोटरी के दो दिवसीय सेमिनार 'संवाद' के साथ ही झारखंड और बिहार के चार सौ रोटेरियन ने भूटान की पांच दिनों की यात्रा की। रोटरी सत्र 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट 3250 के झारखंड-बिहार के 97 क्लबों के प्रतिनिधियों ने नए सत्र की योजनाओं पर चर्चा के साथ ही इस वर्ष की रोटरी थीम 'करें प्रेरित' पर कार्य के लिए भूटान के लोगों के मूल मंत्र हैप्पीनेस को जाना।
सत्र 2018-19 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कुमार प्रसाद सिन्हा एवं रोटरी रांची साउथ के रो डेविड की अध्यक्षता में कार्यक्रम हुआ । मुख्य अतिथि डॉ. प्रेमा ने रोटेरियन को ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस का मंत्र दिया। कहा कि ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्शन यानी जीडीपी को पूरी दुनिया रुपये पैसे और धन संपदा से जोड़ती है, जबकि भूटान ने दुनिया को याद दिलाया कि असल चीज तो खुशी है। भूटान के नागरिक जिंदगी को बहुत इत्मीनान और भरपूर तरीके से जीते हैं और इसलिए वे खुश हैं। खुशी उनके भीतर है बाहर नहीं। दुनिया के दूसरे देशों में भौतिक वस्तुओं को ही खुशी का पैमाना माना जाता है। अगर किसी के पास आधुनिक टेक्नोलॉजी वाला फोन, बड़ा मकान या कार नहीं है या उसकी हैसियत इन चीजों को खरीदने की नहीं है तो वह दुख महसूस करता है। भूटान में लोग भौतिकता के साथ ही अपनी आध्यात्मिक उपलब्धि का भी ख्याल करते हैं।
वे इस बात की परवाह कम ही करते हैं कि उनके पास भौतिक संसाधन कितने हैं, लेकिन इस बात के बारे में ज्यादा सोचते हैं कि वे कितने खुश हैं। भूटान संसद के मुख्य विपक्षी नेता डॉ. प्रेमा ने कहा कि हम हर भूटानी की ख़ुशनुमा जिंदगी के लिए चार मूलमंत्र मानते हैं। पहला अपनी संस्कृति जिससे हम कोई समझौता नहीं करते। अपनी संस्कृति और पहनावा हम कभी नहीं छोड़ते हैं। दूसरा स्वास्थ्य, तीसरा आर्थिक प्रगति और चौथी शिक्षा। उन्होंने बताया कि हम खाद्य उत्पादन के लिए किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं करते। केमिकल के प्रयोग से उत्पादन तो अधिक हो जाएगा लेकिन इसका दूरगामी प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर होगा ।
यहा के लोग संसाधनों की ठीक से संभाल करते हैं और इसलिए वे खुश रहते हैं। भूटान के नागरिकों के लिए पर्यावरण बहुत ही ज्यादा मायने रखता है। इतना अधिक कि देश का आधे से ज्यादा हिस्सा नेशनल पार्क में तब्दील है। जंगल, जानवर और पर्यावरण की रक्षा सख्ती और जिम्मेदारी के साथ की जाती है। देश का 60 प्रतिशत हिस्सा ऐसा है, जहा कभी वन नहीं काटे जाते। अपनी धरती और पर्यावरण की देखभाल लोगों को खुश रखती है। रोटरी रांची से जोगेश गंभीर, राजीव मोदी, प्रवीण राजगढि़या, अजय दीप वाधवा, मुकेश तनेजा, प्रदीप बहल, सुनीता वाधवा, काता मोदी, राजीव चढ्डा, ख्याति मुंजाल, अंशुल बहल, करुणा राजगढि़या शामिल हुए ।