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लिंग परिवर्तन के बाद सरकारी नौकरी में भूमिका भी बदल गई

कार्मिक विभाग ने इसे नीतिगत मामला बताया और इस पर निर्णय लेने के लिए पैतृक विभाग को सक्षम बताते हुए फाइल लौटा दी।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 03 Feb 2018 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 04:48 PM (IST)
लिंग परिवर्तन के बाद सरकारी नौकरी में भूमिका भी बदल गई
लिंग परिवर्तन के बाद सरकारी नौकरी में भूमिका भी बदल गई

रांची, राज्य ब्यूरो। ईचागढ़ (सरायकेला- खरसावां, झारखंड) बाल विकास परियोजना में बतौर महिला पर्यवेक्षिका कार्यरत प्रतिभा तिवारी (अब प्रणय तिवारी) को सांख्यिकी सहायक बनाए जाने की तैयारी है। लैंगिक विकृति के कारण प्रतिभा ने पिछले वर्ष सर्जरी कराई थी। इसके बाद उनका लिंग निर्धारण महिला से पुरुष के रूप में हुआ था। बाद में उन्होंने अपना नाम बदल लिया। सर्जरी के कुछ ही महीने बाद जब वह नौकरी ज्वाइन करने कार्यालय पहुंचे तो एक नई मुश्किल खड़ी हो गई। चूंकि यह पद महिलाओं के लिए आरक्षित है, ऐसे में सक्षम पदाधिकारी ने उन्हें बतौर पुरुष उनको नौकरी ज्वाइन करवाने में असमर्थता जताई और महिला, बाल विकास तथा सामाजिक सुरक्षा विभाग (पैतृक विभाग) से इस संदर्भ में दिशा निर्देश मांगा है।

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विभागीय सूत्रों के अनुसार चूंकि मामला पदस्थापन से संबंधित था तो विभाग ने इसे कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग को हस्तांतरित कर दिया। कार्मिक विभाग ने इसे नीतिगत मामला बताया और इस पर निर्णय लेने के लिए पैतृक विभाग को सक्षम बताते हुए फाइल लौटा दी। विभाग ने इसके बाद उनका पदस्थापन सांख्यिकी सहायक के पद पर करने की अनुशंसा की। बहरहाल महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इससे संबंधित फाइल विभागीय मंत्री को भेजी है। नीतिगत मामला होने के कारण मंत्री की सहमति के बाद यह फाइल राज्य कैबिनेट को भेजी जाएगी। कैबिनेट के निर्णय के बाद विभाग इससे संबंधित नीति तैयार करेगा। 

इसके बाद ही इसपर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा। प्रतिभा ने अपने आवेदन में अनुरोध किया था कि जब तक महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा नए नाम एवं लिंग के आधार पर अन्य समकक्ष पद उन्हें नहीं दे दिया जाता, तब तक उन्हें पुराने नाम से ही संबंधित पद पर काम करने की अनुमति दी जाए। यह मामला पिछले मंगलवार को मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम (मुख्यमंत्री सीधी बात) में आया था, लेकिन नीतिगत मामला होने के कारण इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका था। 

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