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रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग ने नौ सालों में दी साढ़े नौ हजार मरीजों को नई जिंदगी

रांची राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स है। यहां कार्डियोलॉजी विभाग की शुरूआत 2010 में की गई थी। तब से लेकर अब तक रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में साढ़े नौ हजार मरीजों को नई जिंदगी मिल चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Sep 2019 02:17 AM (IST)Updated: Sun, 29 Sep 2019 02:17 AM (IST)
रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग ने नौ सालों में दी साढ़े नौ हजार मरीजों को नई जिंदगी

अमन मिश्रा, रांची : 29 सितंबर विश्व हार्ट दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन विभिन्न अस्पतालों और डॉक्टर्स मरीजों को दिल संबंधित बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करने का काम करते है। वैसे तो अस्पताल के सभी विभागों की अपनी महत्ता है लेकिन इंसान में दिल को काफी महत्वपूर्ण अंग का दर्जा दिया जाता है। इस लिए सभी अस्पतालों के कार्डियोलॉजी विभाग को भी विशेष दर्जा दिया जाता है। राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स है। यहां कार्डियोलॉजी विभाग की शुरूआत 2010 में की गई थी। तब से लेकर अब तक रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में साढ़े नौ हजार मरीजों को नई जिंदगी मिल चुकी है। विभाग ने इस साल अप्रैल में अपना नौ साल पूरा किया। इन नौ सालों में विभाग ने अनगिनत उपलब्धियां हासिल की है। शुरुआत में एक कार्डियोलॉजिस्ट ने संभाला था विभाग, अब विभाग में पांच विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट की टीम है। इस साल के शुरूआत में ही कार्डियोथोरेसिक विभाग ने ओपन हार्ट सर्जरी तक कर रिम्स का मान पूरे राज्य में बढ़ाने का काम किया है। हृदय के प्रति जागरूकता जरूरी :

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वर्तमान समय में अव्यवस्थित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण एवं अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। छोटी उम्र से लेकर बुजगरें तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है। पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरूकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालने के मकसद से दुनियाभर में हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल विश्व हृदय दिवस का थीम माय हार्ट, योर हार्ट रखा गया है। चार बेड से शुरू किया गया था कार्डियोलॉजी विभाग

कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हेमंत नारायण ने बताया कि रिम्स में कार्डियोलॉजी विभाग की शुरुआत ---- में एक कमरे में मात्र चार बेड से की गई थी। तब न रिम्स के पास जरूरी उपकरण थे और न ही आधुनिक सुविधाएं थी। रिम्स में उस समय कार्डियोलॉजी के भी एक ही डॉक्टर थे। उन्होंने बताया कि अब कार्डियोलॉजी का रिम्स में अलग से एक सुपरस्पेशियलिटी भवन है। विभाग को हर साल विकसित करते हुए और बेहतर बनाने का काम जारी है। अब इस विभाग में एक से ज्यादा बेड की संख्या है और पांच विशेषज्ञ कार्डियोलॉजिस्ट की टीम भी है। इस साल अबतक हो चुके है दिल के 1700 सफल ऑपरेशन

डॉ. हेमंत नारायण ने बताया कि जिस साल विभाग की शुरूआत हुई थी तब पूरे साल में 400 मरीजों का उपचार किया गया था। साल 2018 में ओपीडी मरीजों की संख्या 19 हजार के करीब थी। वहीं साल 2019 में अब तक इंडोर भर्ती मरीजों की संख्या 3014 है। जबकि अगस्त तक 1695 मरीजों का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। यह आंकड़ा किसी निजी अस्पताल से कहीं ज्यादा है। अब विभाग विभिन्न आधुनिक उपकरणों से लैस है। डॉ. हेमंत नारायण के अनुसार रिम्स में सभी तरह के हृदय रोग संबंधित ऑपरेशन किए जाते है।

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केस स्टडी :: सफल ऑपरेशन

ओपन हार्ट सर्जरी के लिए भी अब बाहर जाने की जरूरत नही

रिम्स के कार्डियोथोरेसिक विभाग में इस साल 4 वर्षीय मरीज लिसा कीड़ो की ओपन हार्ट सर्जरी की गई। इस साल की यह रिम्स की सबसे बड़ी उपलब्धि में एक है। मरीज के सांस और दिल की नली आपस में जुड़ी हुई थी। जिसे पेटेंड डक्टस आर्टिरियसस (पीडीए) कहा जाता है। यह काफी जटिल सर्जरी है। सीटीवीएस के एचओडी डॉ. अंशुल के नेतृत्व में यह ऑपरेशन किया गया था। ऑपरेशन से मरीज को काफी लाभ मिला। डॉ. अंशुल ने बताया कि सर्जरी मार्च में की गई थी, वहीं मरीज इस महीना भी रुटिन जांच के लिए आया था। उसे इससे काफी लाभ मिला है और उसकी स्वास्थ्य भी बेहतर है।


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