Move to Jagran APP

रिम्स में पहली बार हुई रेटिनल सर्जरी, आंखों को मिली रोशनी

रिम्स में पहली बार रेटिनल सर्जरी हुई। नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 05:44 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 06:30 AM (IST)
रिम्स में पहली बार हुई रेटिनल सर्जरी, आंखों को मिली रोशनी
रिम्स में पहली बार हुई रेटिनल सर्जरी, आंखों को मिली रोशनी

जागरण संवाददाता, रांची : रिम्स में पहली बार रेटिनल सर्जरी हुई। नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों ने सफल सर्जरी कर मरीज के आंखों को रोशनी दी है। दरअसल, रांची के 60 वर्षीय बृजनंदन प्रसाद को डायबिटीक रेटिनोपैथी की शिकायत थी। डायबिटीज अधिक होने के कारण उनके दाएं आंख में विटेरस हैमरेज हो गया। इस कारण उनके दाएं आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई। इसके बाद रिम्स के नेत्र रोग सर्जन डॉ. राहुल प्रसाद के नेतृत्व में टीम ने विटेरस हैमरेज की सफाई की। करीब एक घंटे तक सर्जरी चली। रिम्स में पहले रेटिनल सर्जरी की विशेषज्ञता नहीं थी, जिस कारण मरीजों की सर्जरी नहीं हो पाती थी। मजबूरन उन्हें दूसरे संस्थान का सहारा लेना पड़ता था। इसकी विशेषज्ञता के लिए रिम्स के चिकित्सक बैंकॉक गए थे, जहां उन्हें इसका प्रशिक्षण दिया गया। फिलहाल मरीज के आंखों की रोशनी में सुधार आया है। मरीज अब दाएं आंख से देख सकता है। डॉ. राहुल ने बताया कि डायबिटीज अधिक होने के कारण विटेरस हैमरेज होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे मरीजों को डायबिटीज की नियमित जांच करानी चाहिए। दवाओं का नियमित सेवन करना चाहिए। साथ ही आंखों की नियमित जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि पहले रिम्स में रेटिनल सर्जरी की सुविधा नहीं थी। पर, अब मरीज इसकी सर्जरी करा सकते हैं। इसका लाभ मरीजों को ज्यादा होगा। लोगों को इसके लिए बाहर जाना पड़ता था। मेडिकल स्टूडेंट्स व डॉक्टरों को भी नसीब नहीं हो रहा शुद्ध पेयजल

loksabha election banner

इस गर्मी में जहां लोग परेशान हैं, वहीं रिम्स में भर्ती मरीजों को तो पीने का पानी नसीब नहीं ही हो रहा है, विद्यार्थी और डॉक्टरों का भी हाल कुछ ऐसा ही है। रिम्स के सभी हॉस्टलों के हर तल्ले में वाटर फिल्टर और वाटर कूलर लगे हैं। बावजूद मेडिकल स्टूडेंट्स और रेजिडेंट डॉक्टरों को पेयजल खरीद कर पीना पड़ रहा है।

दरअसल, रिम्स के हॉस्टल नं. 1 से लेकर 7 तक में सिर्फ हॉस्टल नं. 2 और 3 के ही वाटर फिल्टर ठीक हैं। इसके अलावा ग‌र्ल्स हॉस्टलों का भी यहीं हाल है। हॉस्टल में रहने वाले सभी डॉक्टर और मेडिकल के स्टूडेंट्स बाहर से पानी खरीद कर पानी पी रहे हैं। पानी को लेकर पूरे अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्थिति ऐसी है कि सुबह बाथरूम के लिए भी किसी किसी दिन पानी खरीदना पड़ रहा है। --------

हॉस्टल नंबर 1 (बॉयज)

निदेशक कार्यलय से पोस्टमार्टम की ओर जाने के रास्ते में यह पहला बॉयज हॉस्टल है। यहां ग्राउंड फ्लोर और पहले तल्ले में लगा फिल्टर ठीक है। लेकिन हाल यह है कि फिल्टर पानी को साफ ही नहीं करता। नतीजन यहां रहने वाले डॉक्टरों को पानी बाहर से खरीदना पड़ता है। हॉस्टल नंबर 4 (बॉयज)

इस हॉस्टल में लगे सभी फिल्टर बेकार हो चुके हैं। फिल्टर इस कदर खराब है कि महीनों से एक बूंद पानी तक नहीं निकला। महीने भर पहले शिकायत करने के बाद फिल्टर का मरम्मत किया गया था, लेकिन भी ठीक नहीं हुआ। हॉस्टल नंबर 5 (बॉयज)

यहां मेस में लगे वाटर फिल्टर में पानी तो है, लेकिन कूलर खराब हो चुका है। वहीं यहां रहने वाले मेडिकल के छात्रों ने बताया कि पानी निकलता तो है लेकिन पीने लायक नहीं होता। साल भर से कभी फिल्टर की सफाई तक नहीं हुई है। ग‌र्ल्स हॉस्टल

सभी ग‌र्ल्स हॉस्टलों को मिलाकर यहां करीब सात सौ से ज्यादा मेडिकल की छात्राएं रहती हैं। सभी हॉस्टलों में वाटर फिल्टर का हाल बॉयज हॉस्टल की ही तरह है। ग‌र्ल्स हॉस्टल की छात्राओं ने बताया कि पूरे हॉस्टल में पानी की सप्लाई तो होती है लेकिन उस पानी को पीने के उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। पीने के लिए सभी बाहर से जार में पानी मंगवाते हैं। वहीं कुछ बाल्टी लेकर दूसरे हॉस्टलों से पानी लाकर पीती है। ------------

क्यों नहीं कराया जा रहा मरम्मत

रिम्स प्रबंधन की अनदेखी और लापरवाही मरम्मत नहीं होने का अहम कारण है। कई बार खराब पड़े फिल्टर की मरम्मत को लेकर प्रबंधन से विनती भी की गई लेकिन अबतक सभी हॉस्टलों का वाटर फिल्टर वैसा ही पड़ा है। जब डॉक्टरों के साथ ही प्रबंधन का रवैया ऐसा है तो अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों की बात की अलग है। -----------

हॉस्टलों और पूरे अस्पताल में लगे वाटर फिल्टर की मरम्मत जल्द कराई जाएगी। गर्मी में पानी की समस्या तो होती है, लेकिन अगर पानी की पर्याप्त व्यवस्था होने के बाद भी मरीजों और डॉक्टरों को नहीं मिल रहा है, तो ठीक नहीं है। फिल्टर की मरम्मत के समय उसकी सफाई भी कराई जाएगी।

-डॉ. डीके सिंह, निदेशक, रिम्स।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.