झारखंड में मादक पदार्थों पर अंकुश के लिए तय होगी जवाबदेही
Jharkhand. मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर) बनाने का निर्देश दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने झारखंड में मादक पदार्थों के उत्पादन, विक्रय और तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए कड़े उपाय करने पर बल दिया है। उन्होंने इसके लिए सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिड्योर) बनाने का निर्देश दिया है। इसमें स्पष्ट होगा कि किस स्तर के किस अधिकारी की क्या भूमिका और जिम्मेदारी होगी।
साथ ही, मादक पदार्थों पर अंकुश लगाने के लिए मैकेनिज्म कैसा होगा। एसओपी में अलग-अलग विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों के बीच कारगर समन्वय के लिए भी दिशानिर्देश होगा। मुख्य सचिव ने इसका प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है। बुधवार को मुख्य सचिव, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, भारत सरकार के प्रतिनिधियों के साथ झारखंड में नार्को को-ऑर्डिनेशन सेंटर (एनसीओआरडी) मैकेनिज्म विषय पर बैठक में बोल रहे थे।
बैठक में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, डीजीपी कमल नयन चौबे, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (नई दिल्ली) की डिप्टी डायरेक्टर जनरल बी. राधिका, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव अमिताभ कौशल, एडीजी अजय कुमार सिंह, गृह विभाग की विशेष सचिव तदाशा मिश्रा समेत अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
राज्य मुख्यालय से लेकर थाना स्तर तक होगी निगरानी की व्यवस्था
झारखंड में आयोजित राज्यस्तरीय कमेटी की पहली बैठक में तय हुआ कि हर तीन माह पर राज्य और जिला स्तर पर यह बैठक होगी। मुख्य सचिव ने इस कमेटी का विस्तार करते हुए इसे और प्रभावी बनाने की जरूरत पर बल दिया और इसे थाना स्तर तक ले जाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की रोकथाम में आधा दर्जन से अधिक विभागों की भूमिका को देखते हुए समन्वय महत्वपूर्ण है।
मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग को कोडीन युक्त कफ सीरप तथा नींद की दवा का नशे के लिए हो रहे उपयोग पर कारगर निगरानी रखने का निर्देश दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसमें विफल होने पर निगरानी और रोकथाम के लिए चिह्नित अधिकारी ही जवाबदेह होंगे। मुख्य सचिव ने महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग को नशे की गिरफ्त में आए लोगों के पुनर्वास व मादक पदार्थों के सेवन को हतोत्साहित करने के लिए प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया।
कहा कि पोस्ते (अफीम) की फसल को चिह्नित करने के लिए सेटेलाइट, ड्रोन का सहारा लिया जाएगा। मुख्य सचिव ने राज्य में मादक पदार्थों पर अंकुश लगाने के लिए उसकी जड़ पर प्रहार करने की जरूरत बताई। बैठक में बताया गया कि पोस्ते की खेती में बाहर के राज्यों का भी रैकेट काम कर रहा है तथा इसमें अन्य फसलों के मुकाबले कई गुना अधिक फायदा होने के कारण लोग इस ओर आकर्षित होते हैं।
मिलेगा प्रशिक्षण के साथ उपकरण
मादक पदार्थों की कारगर रोकथाम के लिए इससे जुड़े लोगों को नारकोटिक्स ब्यूरो प्रशिक्षित करेगा। साथ ही मादक पदार्थों की मौके पर फॉरेंसिक जांच के लिए उपकरण भी दिए जाएंगे। वहीं मादक पदार्थों की तस्करी के मार्गों को चिह्नित कर निगरानी रखी जाएगी।
सूचना देने वाले को पुरस्कृत करें
मुख्य सचिव ने मादक पदार्थों के खिलाफ सरकारी तंत्र के साथ आम नागरिकों को भी जोडऩे पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसी व्यवस्था करें कि आम लोग पोस्ते की खेती से लेकर उसके कारोबारियों तक की सूचना दें। ऐसे लोगों के नाम गुप्त रखें और उन्हें गुप्त रूप से पुरस्कृत भी करें। वहीं मुख्य सचिव ने नशे के धंधे में लिप्त लोगों को सजा दिलाने में तत्परता दिखाने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि सजा दिलाने के साथ उसकी सूचना भी विभिन्न प्रसार माध्यमों से प्रसारित की जाए ताकि इससे जुड़े लोगों में डर पैदा हो।
मादक पदार्थ मामले में झारखंड की स्थिति नियंत्रित
मादक पदार्थों के उत्पादन, विपणन और तस्करी के मामले में देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा झारखंड में स्थिति काफी हद तक नियंत्रित है। पूरे देश में अन्य राज्यों के मुकाबले झारखंड नीचे से तीसरे पायदान पर है।