साढ़े सात लाख मुआवजे के साथ रांची लौटा सुरेंद्र का शव, हक मिलते परिजनों ने स्वीकारा
आखिरकार 16 दिनों बाद सुरेंद्र महतो का शव दक्षिण अफ्रीका से रांची पहुंचा। जिसे शुक्रवार को उसके परिजनों ने स्वीकार कर लिया। मुरुतानिया में करंट लगने से सुरेंद्र की मौत हो गई थी।
रांची, जेएनएन। दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में करंट से जान गंवाने वाले बिजली मैकैनिक गोमिया निवासी सुरेंद्र महतो का शव शुक्रवार को 16 दिनों बाद इंडिगो के दिल्ली-रांची विमान से बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर ही कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड की ओर से सुरेंद्र की पत्नी सावित्री देवी को मुआवजे के तौर पर 7.50 लाख व एक माह का वेतन 27,160 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दिया गया।
12 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में करंट लगने से हुई थी गोमिया के सुरेंद्र की मौत
उसके बाद परिजन सुरेंद्र के शव को एंबुलेंस से गोमिया के चतरोचïट्टी थाना स्थित बड़की सिधमारा गांव ले गए। इससे पहले कंपनी द्वारा मुआवजा नहीं दिये जाने के कारण परिजनों ने 25 फरवरी को सुरेंद्र का शव वापस भेज दिया था। कंपनी में बीमा का काम देख रहे अधिकारी चंदन कुमार ने बताया कि सुरेंद्र की मौत के बाद कंपनी ने कुल 12.50 लाख रुपये देने की घोषणा की है।
मुआवजा नहीं देने के कारण तीन दिन पहले 25 फरवरी को परिजनों ने शव लेने से कर दिया था इन्कार
बीमा के पांच लाख रुपये सुरेंद्र का शव प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर उनकी पत्नी के बैंक खाते में भेज दिए जाएंगे। इससे पूर्व सुरेंद्र के दाह-संस्कार के लिए उनकी पत्नी के बैंक खाते में कंपनी की ओर से 55 हजार रुपये भेजे गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी की शर्त के अनुसार यदि सुरेंद्र के परिवार से कोई व्यक्ति कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड में तकनीकी काम करना चाहते हैं तो कंपनी की ओर से उन्हें नौकरी भी दी जाएगी।
मुआवजे की राशि की लिखित जानकारी नहीं दी गई थी : सावित्री
सुरेंद्र की पत्नी ने बताया कि 25 फरवरी को कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड ने इंडिगो के विमान से सिर्फ सुरेंद्र का शव भेजा था। कंपनी के अधिकारियों ने मुआवजे के तौर पर दी जाने वाली राशि की कोई लिखित जानकारी नहीं दी थी। बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर सुरेंद्र का शव रिसीव करने के लिए पूरे परिवार पर दबाव बनाया जा रहा था। पूर्व में कंपनी की ओर से मात्र 10 लाख रुपये मुआवजा देने की बात कही गई थी। हालांकि जब सुरेंद्र का शव दक्षिण अफ्रीका से रांची भेजा गया तो मुआवजा की सही जानकारी नहीं दी गई, जिसके कारण परिवार वालों ने शव लेने से इन्कार कर दिया था। अब कंपनी के अधिकारियों ने कुल 12.50 लाख रुपये देने की बात कही है।
15 दिनों बाद स्वदेश लौटा सुरेंद्र का पार्थिव शरीर
गोमिया के चतरोचट्टी के बड़कीसीधीवारा निवासी सुरेंद्र का पार्थिव शरीर शुक्रवार को 15 दिनों के बाद उसके घर पहुंचा। बताते चले कि सुरेंद्र कुछ माह पहले दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में कल्पतरु कंपनी के अधीन टावर लाइन में कार्य करने गया था। जहां 12 फरवरी को करंट लगने से उसकी मौत हो गई थी। काफी कोशिश के बाद मंगलवार को 13 दिनों के बाद सुरेंद्र का पार्थिव शरीर दक्षिण अफ्रीका से इंडिगो विमान से रांची एयरपोर्ट पहुंचा था, लेकिन परिजनों ने कंपनी की ओर से मुआवजे की राशि तय नहीं किए जाने की वजह से शव लेने से मना कर दिया और वापस गोमिया आ गए। कंपनी की तरफ से मुआवजे की राशि तय होने के बाद परिजनों ने पार्थिव शरीर लेने की बात मान ली। सुरेंद्र महतो अपने पीछे पत्नी, तीन बच्चे छोड़ गया है।
एयरपोर्ट पर सुरेंद्र की पत्नी को कंपनी ने 7.5 लाख मुआवजा व एक माह के वेतन का दिया डिमांड ड्राफ्ट
इधर शुक्रवार को मृतक सुरेंद्र की पत्नी सावित्री देवी को कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से बतौर मुआवजा 7.50 लाख रुपये और एक माह का वेतन 27,160 रुपये का चेक दिया गया। इस कंपनी में इन्श्योरेंस का काम देख रहे अधिकारी चंदन कुमार ने बताया कि शव रिसीव करने के 15 दिनों के अंदर सुरेंद्र की पत्नी के बैंक खाता में उसके बीमा का पांच लाख रुपये भी भेज दिया जाएगा। इससे पूर्व सुरेंद्र के शव के दाह संस्कार के लिए उनकी पत्नी के बैंक खाता में 55 हजार रुपये कंपनी की ओर से भेजे गए थे।
मृतक के भाई कमलेश महतो ने बताया गया कि 12 फरवरी को सुरेंद्र महतो दक्षिण अफ्रीका कमाने गया था। वहां करंट लगने से उसकी मौत हो गई। मृतक के तीन छोटे बच्चे हैं। इससे पहले कंपनी से 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की गई थी। शुक्रवार को शव रांची एयरपोर्ट पहुंचने पर परिवार वाले उसे लेने पहुंचे थे। शव आने की सूचना पर यहां पहले ही परिजन पहुंच गए थे।
सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने बताया कि मृतक सुरेंद्र महतो का परिवार बोकारो जिला के गोमिया के बड़की सिधामारा का रहने वाला है। यह गांव झुमरा पहाड़ के तलहट्टी में बसा है। सुरेंद्र दक्षिण अफ्रीका के मुरुतानिया में कल्पतरू पावर कंपनी में काम कर रहा था। 12 फरवरी को ट्रांसमिशन लाइन में काम करते समय वह इलेक्ट्रिक शॉक की चपेट में आ गया। जिससे उसकी मौत हो गई। कल्पतरु कंपनी की ओर से पहले सुरेंद्र की पत्नी के खाते में महज 55 हजार रुपये ही भेजे गए थे। जबकि 10 लाख रुपये मुआवजा देने की बात थी। सुरेंद्र का शव दक्षिण अफ्रीका से दिल्ली और बाद में दिल्ली से रांची तक लाने का खर्च भी कंपनी ने वहन किया।
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