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अनुसूचित जाति के 10 छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देने की मुख्‍यमंत्री को भेजी अनुशंसा

झारखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने मुख्यमंत्री को अनुशंसा भेजी है। कहा कि अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के लिए भी इस प्रकार की छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की जरूरत है। बता दें कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति के लिए ही यह योजना शुरू की है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 06:19 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 06:23 PM (IST)
अनुसूचित जाति के 10 छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति देने की मुख्‍यमंत्री को भेजी अनुशंसा
आयोग ने कार्मिक विभाग और कल्‍याण विभाग को भी यह अनुशंसा भेजी है।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने राज्य के अनुसूचित जाति के दस मेधावी छात्र-छात्राओं को विदेश में उच्च शिक्षा (एमए एवं एमफिल) व शोध के लिए छात्रवृत्ति देने की अनुशंसा राज्य सरकार से की है। आयोग के अध्यक्ष शिवधारी राम ने इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है। उन्होंने पिछले माह 28 दिसंबर को स्वीकृत मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति के भी मेधावी छात्र-छात्राओं को इसका लाभ देने की अनुशंसा की है।

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आयोग ने अपनी अनुशंसा में कहा है कि राज्य गठन के 20 वर्षों बाद भी अनुसूचित जाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा निखारने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। इससे उनकी प्रतिभा कुंठित हो रही है। अनुसूचित जाति के लोग भी सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से कमजाेर हैं तथा राज्य में इनकी आबादी लगभग 50 लाख है। ऐसे में इस श्रेणी के छात्र-छात्राओं के लिए भी इस प्रकार की छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की जरूरत है।

आयोग के अध्यक्ष ने अपनी अनुशंसा की प्रति राज्य के मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग तथा कल्याण विभाग के प्रधान सचिवों को भी भेजी है। बता दें कि राज्य सरकार ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत यूनाइटेड किंगडम तथा नार्दर्न आयरलैंड के 15 शैक्षणिक संस्थानों/विश्वविद्यालयों में 22 विषयों एमए तथा एमफिल की पढ़ाई के लिए अनुसूचित जनजाति के 10 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया है।

इस योजना का लाभ लेने के लिए आवश्यक अर्हता अभ्यर्थी के पास न्यूनतम 55 फीसद अंकों के साथ स्नातक/ स्नातकोत्तर की डिग्री अनिवार्य है। संबंधित विषय में दो वर्ष के शिक्षण का अनुभव वांछनीय है। आवेदक की उम्र 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। आवेदक के माता या पिता की संपूर्ण पारिवारिक आय बारह लाख प्रति वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक माता-पिता के एक से अधिक बच्चे योजना के पात्र नहीं होंगे।

योजना के अंतर्गत भारत सरकार या राज्य सरकार के मंत्री के बच्चे को इसका लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना के तहत चयनित छात्रों को शिक्षण शुल्क के अलावा पुस्तक, आवश्यक उपकरण, वार्षिक अनुरक्षण भत्ता, वीजा शुल्क, हवाई यात्रा खर्च, स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम आदि के लिए राशि मिलेगी। शिक्षण शुल्क का भुगतान संबंधित विश्वविद्यालय को एवं अन्य खर्च का भुगतान डीबीटी के माध्यम से छात्रों के बैंक अकाउंट में होगा।


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