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अहंकार के परित्याग से ही ईश्वर की प्राप्ति

जागरण संवाददाता, रांची जब आप अहंकार में रहेंगे तो ईश्वर को कैसे पाएंगे? ईश्वर को पाने के

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 09:13 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 09:13 AM (IST)
अहंकार के परित्याग से ही ईश्वर की प्राप्ति
अहंकार के परित्याग से ही ईश्वर की प्राप्ति

रांची : जब आप अहंकार में रहेंगे तो ईश्वर को कैसे पाएंगे? ईश्वर को पाने के लिए अहंकार का परित्याग करना होगा, क्योंकि अहंकार ईश्वर को पसंद नहीं। ये बातें सोमवार को चुटिया में नवनिर्मित वृंदावनधाम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भागवताचार्य संत मनीष भाई ने कही।

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उन्होंने कहा कि मैया यशोदा जब भगवान श्रीकृष्ण को ओखल में बाधने का प्रयास करती हैं, तब भगवान को बाधने में नाकामयाब रहती हैं। लेकिन जैसे ही वह कहती हैं कि अरे कन्हैया तू बंधता क्यों नहीं, रस्सिया छोटी कैसे हो रही हैं, जा मैं हार गई। लीजिए कन्हैया तभी मा यशोदा के हार माननेवाली भाव पर रीझ जाते हैं और स्वयं बंध जाते हैं। कहने का तात्पर्य है कि भगवान को आप अपने भाव रूपी डोर से अपने हृदय में बाधने का प्रयास करें। निश्चय ही इससे आपको सफलता मिलेगी।

महाराज ने महारास उत्सव की चर्चा करते हुए कहा कि जब भगवान श्रीकृष्ण शरदपूर्णिमा को महारास कर रहे थे, तभी उन्होंने गोपियों को अपने वंशी के मधुर तान सुनाकर अपने पास बुलाया और समस्त गोपियों के साथ सहस्त्र रूप धारण कर एक नारायण ने रास रचाया। लेकिन जैसे ही गोपियों के मन में अहं भाव जागा कि भगवान सिर्फ उनके हैं, वह महारास उत्सव से स्वयं को अलग कर राधा के संग रास रचाने लगे और जब राधा के मन में भी अहं भाव जागा कि श्रीकृष्ण सिर्फ उनके हैं, तब भगवान नारायण ने राधा का भी परित्याग किया। ये घटना हमें बताती है कि हमें सिर्फ स्वयं या अहं को अपने हृदय में स्थान नहीं देना है, सिर्फ भाव और भक्ति को अपने हृदय में स्थान देकर कन्हैया को रिझाना है।

उन्होंने भगवान कृष्ण के कुछ अनछुए पहलुओं से श्रद्धालुओं को परिचय कराया। उन्होंने सभी से कहा कि आप अपने अंदर श्रीकृष्ण के चरित्र को उतारें। गो सेवा करें, गोग्रास निकालें, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने गाय की महत्ता बताई है, वह अनुकरणीय है। भगवान श्रीकृष्ण ने गौ को मा कहकर पुकारा है, क्योंकि ये सही में मा की तरह हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक मा की तरह सेवा प्रदान करती है।

उन्होंने कहा कि जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तो ऐसा नहीं था कि देश की स्थिति बेहतर थी। जो आज देश की समस्या है, ठीक उसी प्रकार की समस्या थी। कंस ने सभी आसुरी शक्तियों को अपने में मिला लिया था और ब्रजमंडल के ग्वाल बालों और उनके निवासियों पर अत्याचार कर रहा था। भगवान श्रीकृष्ण ने संकल्प लिया कि वह कंस के अत्याचारों से ब्रजमंडल को मुक्त कराएंगे और ऐसा ही किया। कथा में मुख्य रूप से समिति के अध्यक्ष राजीव सिंह, मुन्ना ठाकुर, लखन महतो, अमित गुप्ता, अजीत सिंह, गगन ठाकुर, सुरेंद्र वर्मा और महाकाल सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।


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