Ranchi Violence: रांची हिंसा का यूपी कनेक्शन, सहारनपुर के दंगाइयों ने रची की खौफनाक साजिश, जानें टेरर फंडिंग की पूरी सच्चाई
Ranchi Violence रांची को दहलाने के लिए यूपी के सहारनपुर दंगे के मास्टरमाइंड और पीएफआइ समर्थकों ने बड़ी साजिश रची थी। प्रारंभिक जांच में पता चला कि राजधानी को उपद्रव की आग में झोंकने को यूपी से ही फंडिंग हुई। खूंटी से भी 80 से ज्यादा उपद्रवी बुलाए गए।
रांची, राज्य ब्यूरो। Ranchi Violence रांची को उपद्रव व सांप्रदायिकता की आग में झोंकने व शहर को दहलाने की साजिश में उत्तर प्रदेश के दंगों के मास्टरमाइंड व पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) समर्थकों की भूमिका सामने आ रही है। पुलिस-प्रशासन के बड़े अधिकारियों को भी इसकी सूचना मिली है, जिसके बाद से ही ऐसे तत्वों की पहचान का प्रयास तेज कर दिया गया है। सूचना है कि यूपी के सहारनपुर दंगे के मास्टरमाइंड ने ही रांची को भी दहलाने की साजिश रची। राज्य के बड़े अधिकारियों को भी इसकी सूचना मिली है कि रांची को दहलाने के लिए उत्तर प्रदेश से फंडिंग की गई है। सभी साजिशकर्ता पिछले एक सप्ताह से रांची व खूंटी में सक्रिय थे और वहां के विशेष समुदाय के लोगों को दंगा के लिए भड़का रहे थे, तैयार कर रहे थे। सूचना यह भी है कि इस उपद्रव में खूंटी से भी करीब 80 से ज्यादा की संख्या में उपद्रवी शामिल हुए थे। बवाल में शामिल जो अनजान चेहरे थे, वे इन्हीं के बताए जा रहे हैं, जिनकी पहचान की कोशिश जारी है।
हिंदपीढ़ी के खेत मुहल्ला से बाइक से भाग निकले बाहरी तत्व
पुलिस को सूचना है कि रांची के मेन रोड के उपद्रव में शामिल बाहरी तत्वों में सबसे ज्यादा खूंटी के थे, जो बाइक से पहुंचे थे। मेन रोड में उपद्रव व गोलीबारी के बाद ये तत्व अपनी बाइक से हिंदपीढ़ी के खेत मुहल्ले से होते हुए हरमू नदी के रास्ते बाइपास सड़क को पकड़ा और अरगोड़ा होते हुए पुंदाग पहुंचे। पुंदाग के इलाही नगर में भी कुछ की मोटरसाइकिलें थीं, जिसे लेकर वे रातोरात खूंटी रवाना होने में सफल रहे।
खूंटी, इलाहीनगर, हिंदपीढ़ी व गुदड़ी में एक सप्ताह पहले से प्लानिंग
पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को यह भी सूचना है कि यूपी से जुड़े दर्जनभर से अधिक साजिशकर्ताओं ने लोगों को भड़काने के लिए प्रदेश में कई संवेदनशील जगहों को चिह्नित किया था। सूचना है कि खूंटी के अलावा रांची के पुंदाग ओपी क्षेत्र स्थित इलाही नगर, हिंदपीढ़ी व गुदड़ी इलाके में इन साजिशकर्ताओं ने पिछले एक सप्ताह से लोगों को गलत तरीके से पुलिस-प्रशासन व हिंदुओं के प्रति भड़काया। लोगों को यह बताया कि वे अब अगर हथियार नहीं उठाएंगे तो उनके अस्तित्व को मिटाने की साजिश चल रही है। लोगों को गलत-गलत जानकारी देकर उनके मन में सांप्रदायिकता का रंग भरा गया, जिसका नतीजा शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद उपद्रव व बवाल के रूप में दिखा।
झारखंड में प्रतिबंधित पोपुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के माड्यूल पर भी पुलिस को शक है। कभी संताल के क्षेत्र में पीएफआइ ने इसी तरह से घटना को अंजाम दिया था। पीएफआइ के उपद्रवी जहां भी हिंसक वारदात को अंजाम दिए हैं, उनकी अपराध की शैली ऐसी ही होती है। इसलिए पुलिस को शक है कि रांची को सांप्रदायिकता की आग में झुलसाने में पीएफआइ का भी हाथ हो सकता है। हालांकि इससे संबंधित ठोस सबूत पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं। झारखंड में पूर्व में पीएफआइ के बैनर तले मुस्लिम समुदाय के लोगों को भड़काकर थाने पर हमला, उपद्रव व हिंसक झड़प आदि हो चुका है। इसके बाद ही झारखंड सरकार ने पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाया था।
जैसी यूपी में पोस्टर थी, रांची में भी नुपुर शर्मा की वैसी ही पोस्टर मिली
रांची में उपद्रव के बाद महात्मा गांधी मेन रोड पर अरेस्ट नुपुर शर्मा लिखी पोस्टर बिखरी पड़ी थी। पोस्टर में नुपुर शर्मा के चेहरे पर जूते के चिह्न थे। ये ठीक वैसे ही पोस्टर थे, जैसे यूपी में हुए उपद्रव के बाद बरामद हुए थे। इसलिए पुलिस का यकीन पक्का हो गया है कि रांची के उपद्रव का पूरा प्लाट रचने में यूपी के मास्टरमाइंड की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।