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Ranchi Tata Expressway: जज साहब ने भी इस सड़क से मांग ली पनाह, लगाया एक लाख जुर्माना

हाई कोर्ट के जज बोले- रांची-जमशेदपुर सड़क की स्थिति देखकर दर्द होता है दुर्घटना से होने वाली मौत पर कोर्ट ने संवेदना व्यक्त की कहा इस प्रोजेक्ट से जनता को हो रही परेशानी।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 09:27 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:26 PM (IST)
Ranchi Tata Expressway: जज साहब ने भी इस सड़क से मांग ली पनाह, लगाया एक लाख जुर्माना
Ranchi Tata Expressway: जज साहब ने भी इस सड़क से मांग ली पनाह, लगाया एक लाख जुर्माना

रांची, राज्य ब्यूरो। रांची-जमशेदपुर फोरलेन सड़क के निर्माण की देरी पर झारखंड हाई कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस एके चौधरी की खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि सड़क की वर्तमान स्थिति देखकर उन्हें दर्द होता है। इस सड़क पर आए दिन होने वाली दुर्घटना में लोगों की जान चली जाती है। अदालत इस पर अपनी संवेदना व्यक्त करती है।

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कई सालों के बाद भी फोरलेनिंग का काम अबतक पूरा नहीं हो सका है। यह प्रोजेक्ट जनता की सुविधा के लिए हैै, लेकिन इससे जनता को ही घोर असुविधा हो रही है। सुनवाई के दौरान अदालत ने एनएचएआइ (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को आगाह किया कि वह तीसरे व चौथे चरण के काम में तेजी लाए, ताकि निर्धारित समय में प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके। मामले में अगली सुनवाई 26 मार्च को निर्धारित की गई है। 

रांची एक्सप्रेस वे कंपनी पर एक लाख जुर्माना

इससे पहले अदालत में रांची-जमशेदपुर का काम करने वाली पूर्व कंपनी रांची एक्सप्रेस वे लिमिटेड के एमडी केएस राव की याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने समय की बर्बादी और सभी पक्षों को होने वाली परेशानी को लेकर कंपनी के एमडी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। चार सप्ताह में उक्त राशि झालसा में जमा करनी होगी। 

सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि कंपनी के एमडी, निदेशक आदि को कई बार संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। उनकी ओर से फोरलेनिंग का सिर्फ 50.23 प्रतिशत काम पूरा करने की बात कही जा रही है। निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप रांची एक्सप्रेस वे ने काम नहीं किया, इसलिए एनएचएआइ ने रांची एक्सप्रेस वे से काम वापस ले लिया। बाकी बचे काम को एनएचएआइ चार फेज में करवा रही है। 

इसपर रांची एक्सप्रेस वे की ओर से माफी मांगते हुए कोर्ट से अवमानना की कार्यवाही समाप्त करने का आग्रह किया गया। कहा गया कि व्यक्तिगत कारणों से अदालत के आदेश का अनुपालन समय से नहीं हो सका। अदालत ने दस्तावेज एवं रांची एक्सप्रेस वे की दलीलों को सुनने के बाद अवमानना की कार्यवाही से कंपनी के एमडी को बरी कर दिया। न्याय मित्र आशुतोष आनंद ने भी इस मामले में अपना पक्ष रखा। बता दें कि रांची-जमशेदपुर फोरलेनिंग का कार्य समय से पूरा नहीं होने पर स्वत: संज्ञान लेकर अदालत सुनवाई कर रही है। 


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