Ranchi: अशोक विहार के 23 घरों को खाली करने के आदेश पर हाईकोर्ट लगाई रोक, यथास्थिति बरकरार रखने का दिया निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट से अशोक विहार के 23 निवासियों को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने अशोक विहार सोसाइटी के 23 घर खाली करने के नोटिस पर रोक लगा दी है। अदालत ने इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है।
राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड हाई कोर्ट से अशोक विहार के 23 निवासियों को बड़ी राहत मिली है। जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने अशोक विहार सोसाइटी के 23 घर खाली करने के नोटिस पर रोक लगा दी है।
अदालत ने इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। अदालत ने प्रतिवादी राजू तिर्की और सुकरा तिर्की को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
एसएआर कोर्ट के आदेश के बाद सीओ ने जारी किया था नोटिस
एसएआर कोर्ट के आदेश के बाद सीओ ने 11 मार्च 2023 को एक नोटिस जारी कर अशोक विहार के 23 घर मालिकों को जमीन खाली करने का आदेश दिया था। एसएआर कोर्ट में राजू तिर्की एवं सुकरा तिर्की ने आवेदन देकर सीएनटी एक्ट के तहत अशोक विहार की जमीन पर कब्जा दिलाने का आग्रह किया था।
एसएआर कोर्ट ने दिया था जमीन पर कब्जा दिलाने का निर्देश
इनका कहना था कि उक्त जमीन आदिवासी खतियानी जमीन है। उक्त जमीन पर उनके पूर्वज रैयत थे। जमीन उन्हें वापस किया जाए। जिस पर एसएआर कोर्ट ने 2022 में इनके दावों को सही मानते हुए उक्त जमीन पर कब्जा दिलाने का निर्देश दिया था।
प्रार्थी ने के अधिवक्ता ने क्या दी दलील
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने अदालत को बताया कि अशोक विहार की जमीन को जमींदार ने सेटलमेंट के तहत तुलसी साहू को दी थी। तुलसी साहू ने 1944 में इसे अशोक विहार कोऑपरेटिव सोसायटी को जमीन बेच दी थी। ऐसे में एसएआर की ओर से धारा 71 (ए) के तहत की गई सुनवाई नियमानुसार सही नहीं है।
79 साल बाद उक्त जमीन पर दावा करना उचित नहीं है।
इस नियम के तहत तीस साल से पहले तक ही जमीन पर कब्जा करने की सुनवाई की जा सकती है। बता दें कि अशोक विहार में रहने वाले 23 लोगों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर एसएआर कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।