रांची की मेयर बोलीं, जनजातीय महिलाओं के विकास में धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या
Jharkhand. दरभंगा हाउस स्थित विचार मंच सभागार में भारत में जनजाति महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पुस्तक का विमोचन हुआ।
रांची, जासं। आदिवासी महिलाओं में क्षमता है। वे आंदोलन नहीं अटैक करती हैं। यदि संगठन नहीं होता तो महिलाओं को पहचान कैसे मिलती। वनवासी क्षेत्रों में जनजातीय महिलाओं की समस्याएं एक हैं, लेकिन झारखंड, तेलंगाना व तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों में जनजातीय महिलाओं के विकास में धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या है। शिक्षा का स्तर भी काफी नीचे है। आर्थिक स्तर पर भी जनजातीय महिलाएं काफी नीचे हैं। ये बातें मेयर आशा लकड़ा ने कही।
वे रविवार को बतौर मुख्य अतिथि दरभंगा हाउस स्थित विचार मंच में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम व दृष्टि स्त्री अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर भारत में जनजाति महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पुस्तक का विमोचन हुआ। मेयर ने कहा कि सिर्फ पांच महिलाओं के सशक्त होने से दुनिया नहीं बदलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी गरीबी, अशिक्षा व यातायात की असुविधा है।
नर्सिंग सेक्टर की महिलाएं रोजगार की तलाश में दूसरे देशों में जा रही हैं। इस अवसर पर राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. शर्मिला सोरेन, दृष्टि स्त्री अध्ययन केंद्र नागपुर की प्रकल्प संचालिका डॉ. मनीषा कोठेकर, अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम की अखिल भारतीय महिला प्रमुख माधवी जोशी, नीलिमा पïट्टे, वनवासी कल्याण केंद्र झारखंड के अध्यक्ष डॉ. एचपी नारायण व सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह समेत कई उपस्थित थे।
नक्सल संगठन कर रहे शारीरिक व मानसिक शोषण
राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. शर्मिला सोरेन ने कहा कि जनजातीय महिलाओं के विकास में सबसे बड़ी समस्या नक्सलवाद है। कम उम्र की महिलाओं का नक्सल संगठन शारीरिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। जनजातीय महिलाएं निरीह व सरल होती हैं। आर्थिक समस्या के कारण बच्चों के पालन-पोषण व खान-पान की समस्याओं से जूझती रहती हैं।
उन्होंने कहा कि केरल के कुछ गांवों में एक विशेष प्रथा है। मासिक धर्म के समय महिलाओं को सुदूर जंगल में रहना पड़ता है। ऐसे में मिशनरी संगठन के लोग उन तक पहुंच माला-डी का उपयोग कराते हैं। लगातार इस दवा के सेवन से मासिक धर्म रुक जाता है। तमिलनाडु में इसी प्रकार की समस्या है। मिशनरी संगठन के लोग उन्हें प्रलोभन देते हैं।
महिलाओं की समस्या व चुनौतियां अलग-अलग
दृष्टि स्त्री अध्ययन केंद्र नागपुर की प्रकल्प संचालिका डॉ. मनीषा कोठेकर ने कहा कि हरियाणा में लिंगानुपात में कमी आई तो सरकार ने काम किया और सकारात्मक परिणाम सामने आए। भारत सरकार ने 1972 व 1984 में महिलाओं की स्थिति पर अध्ययन कराया था। इस बार जनगणना 2021 से पूर्व जनजातीय महिलाओं की स्थिति का अध्ययन किया गया है।
वर्तमान में महिलाओं की समस्याएं व चुनौतियां अलग-अलग हैं। अध्ययन के दौरान विभिन्न क्षेत्र की महिलाओं की भागीदारी से एक नई दिशा मिली। देश के 29 राज्यों व पांच केंद्र शासित राज्यों में छह हजार से अधिक महिलाओं ने 74,095 महिलाओं का साक्षात्कार किया। स्क्रीनिंग के दौरान तीन फीसद फॉर्म रद किए गए।
इन्हें मिला सम्मान
इस अवसर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नशा मुक्ति अभियान के लिए पश्चिमी सिंहभूम की फुलेश्वरी देवी, स्वयं सहायता समूहों के निरीक्षण व मुसलमानों के चंगुल से आदिवासियों की हड़पी जमीन को छुड़ाने के लिए रांची जिले के हुरहुरी पंचायत की अंजू देवी व सरस्वती शिशु मंदिर सलडेगा में बच्चों को शिक्षित कर रही शिक्षिका सोनिया मुंडा को पांच हजार रुपये व श्रीफल प्रदान कर सम्मानित किया गया।
देश में जनजातीय महिलाओं की स्थिति (अध्ययन के आधार पर संग्रहित आंकड़े)
- 83.7 फीसद महिलाओं के पास है आधार कार्ड।
- 81.4 फीसद महिलाओं के पास है वोटर कार्ड।
- 13.6 फीसद महिलाओं के पास है पैनकार्ड
- 31.3 फीसद महिलाएं हैं 31-40 वर्ष आयु समूह की।
- 84.9 फीसद महिलाएं हैं विवाहित।
- 94.88 फीसद महिलाएं हैं ङ्क्षहदू विचारधारा की।
- 53.6 फीसद महिलाएं रहती हैं संयुक्त परिवार में।
- 76.7 फीसद महिलाओं का है बैंक खाता
- 37.41 फीसद महिलाएं हाईस्कूल तक की पढ़ाई कर छोड़ देती हैं।
- 29.4 फीसद महिलाएं विवाह के कारण छोड़ देती हैं पढ़ाई।
- 77.97 फीसद महिलाएं किसी प्रकार के प्रशिक्षण में नहीं लेती हैं भाग।
- 27 फीसद महिलाओं को लगता है कौशल विकास उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाता है
- 65.29 फीसद महिलाएं पूर्णकालिक रोजगार में लगी हुई हैं।
- 55.6 फीसद महिलाओं को नहीं है स्वास्थ्य की समस्या।
- 71.02 फीसद महिलाएं सरकारी अस्पताल को देती हैं प्राथमिकता।
- 47.61 फीसद महिलाएं उच्चस्तरीय प्रसन्नता दर्शाती हैं।
- 89.10 फीसद महिलाओं को पारिवारिक निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाता है।
- दो तिहाई से अधिक अर्थात 37.76 महिलाएं भगवान राम, कृष्ण व शिव की पूजा करती हैं।
- तीन चौथाई से अधिक अर्थात 76.63 फीसद महिलाओं ने किसी आंदोलन में भाग नहीं लिया।
- दो तिहाई से अधिक अर्थात 67.78 फीसद महिलाएं नहीं कह सकतीं कि उन्होंने आंदोलन में हिस्सा क्यों लिया।