किसान सीखेंगे खेती की नई तकनीक, गूगल मीट-फेसबुक व व्हाट्सएप से घर बैठे प्रशिक्षण Ranchi News
Jharkhand Latest News. सीड विलेज कार्यक्रम 200 हेक्टेयर भूमि पर चलाया जा रहा है। लोहरदगा में किसानों और प्रवासी मजदूरों को सूकर पालन के लिए बढ़ावा दिया जाएगा।
रांची, जासं। बिरसा कृषि विवि किसानों को जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) को प्रशिक्षण, कर्मशाला, कार्यशाला आदि जैसे प्रसार गतिविधियों को आइसीटी टूल्स के माध्यमों जैसे गूगल मीट, फेसबुक व व्हाट्सअप आदि से खेती की नई तकनीक और फसलों के प्रबंधन सिखाएगी। विवि के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण किसानों को दिए जाने वाले ऑन कैंपस प्रशिक्षण को रोकना पड़ा है। मगर चालू खरीफ मौसम में हम किसानों को प्रशिक्षण ऑनलाइन चालू रखेंगे।
किसानों के हित में परियोजना की अधिकतम राशी का इस्तेमाल किया जाएगा। डॉ जगरनाथ उरांव ने बताया कि इसके लिए राज्य के 16 जिलों के केवीके के साथ ऑनलाइन बैठक भी की गई है। डॉ जगरनाथ उरांव ने बताया कि चालु खरीफ मौसम में सभी केवीके को फ्रंट लाइन प्रत्यक्षण, ऑनफार्म ट्रायल एवं कम्युनिटी फ्रंट लाइन प्रत्यक्षण कार्यक्रमों को शत प्रतिशत पूरा करने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही 16 केवीके में बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत 60 हेक्टेयर भूमि में चावल एवं 10-10 हेक्टेयर भूमि में दलहन एवं तेलहन बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सीड विलेज कार्यक्रम के तहत किसानों के पारस्परिक सहयोग से 200 हेक्टेयर भूमि में बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाए जाने की योजना पर भी काम शुरू हो चुका है। इससे किसानों को आर्थिक मदद मिल पायेगी।
प्रदेश के बोकारो, पूर्वी सिंहभूम तथा पलामु में दलहन सीड हब कार्यक्रम के तहत करीब 100-100 हेक्टेयर भूमि में अरहर, उरद एवं कुल्थी बीज उत्पादन किया जा रहा है। जबकि चतरा और पूर्वी सिंहभूम ने युवाओं को कृषि में आकर्षित करने की आर्या योजना तथा लोहरदगा, पलामु और चतरा ने बायोटेक किसान हब कार्यक्रमों चलाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस योजना से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर जुड़ रहे हैं।
केवीके, लोहरदगा को भारतीय वेटरनरी सूकर संस्थान, कोलकाता से सूकर पालन से किसानों की आय में बढ़ोतरी करने की योजना मिली है। इससे जिले में 50 सूकर पालन ईकाई किसानों के यहां स्थापित किया जायेगा। हर इकाई को 4 सूकरी तथा 1 सूकर दी जायेगी। इससे कोरोना काल में दूसरे राज्यों से आये मजदूरों को अपने घर पर स्वरोजगार से जुड़कर आजीविका चलाने में मदद मिलेगी।