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'समरसता के कवि थे डॉ.जय शंकर प्रसाद'

रांची : गोस्सनर कॉलेज के ¨हदी विभाग में मंगलवार को हिंदी साहित्य परिषद की ओर से जय शकर

By JagranEdited By: Published: Wed, 31 Jan 2018 02:02 AM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 02:02 AM (IST)
'समरसता के कवि थे डॉ.जय शंकर प्रसाद'
'समरसता के कवि थे डॉ.जय शंकर प्रसाद'

रांची : गोस्सनर कॉलेज के ¨हदी विभाग में मंगलवार को हिंदी साहित्य परिषद की ओर से जय शकर प्रसाद की जयंती मनाई गई। छात्रा कंचन तिवारी ने कामायनी के चिंता सर्ग का सस्वर पाठ किया। संगीता चौधरी ने अपलक जागती हो एक रात..कविता का पाठ किया। मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.एस्थर रानी टुडू ने कहा कि महात्मा गाधी की पुण्यतिथि के दिन प्रसाद को याद करना कई खास है। छायावाद का आरंभ और राष्ट्रीय रंगमंच पर गाधी जी के नेतृत्व का आगमन लगभग एक साथ हुआ। नागपुरी भाषा के विभागाध्यक्ष डॉ. राम प्रसाद ने कहा कि प्रसाद की भाषा दुरूह नहीं है। वे समरसता के कवि थे।

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परिषद के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. हाराधन कोइरी ने कहा कि जय शकर प्रसाद ज्ञान, कर्म के सामंजस्य के कवि थे। हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. प्रशात गौरव ने प्रसाद रचित खंडकाव्य आंसू का सस्वर पाठ किया। शिक्षक मृत्युंजय प्रमाणिक ने कहा कि जयशकर प्रसाद के नाटकों के नायक राष्ट्रप्रेम के आगे निज प्रेम को भी बलिदान कर देते हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ.प्रशात व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. शालिनी ने किया। मौके पर अंग्रेजी विभाग की प्रो.आरती कुमारी, डॉ. सुब्रतो सिन्हा, प्रो.निधि सिंह, प्रो. दिलीप साहू सहित अन्य लोग अन्य थे।


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