मिट्टी के क्षरण से खतरे में रांची के पहाड़ी का फ्लैग पोल
आज से आठ माह पहले जुलाई में पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा के लिए लगा फ्लैग पोस्ट अब खतरे में हैं। सीएम के आदेश के बाद भी इसे अब तक हटाया गया नही है।
संजय कृष्ण, रांची
आज से आठ माह पहले जुलाई में पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा के लिए लगा फ्लैग पोल हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक यह हटा नहीं। शायद, जिला प्रशासन को किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है। सीएम के आदेश का भी जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन को कोई परवाह नहीं है। यहां आस-पास रहने वाले लोगों की जान सांसत में रहती है। लोग कहते हैं कि जब हवा तेज चलती है तब भारी पोल से भी आवाज आने लगती है। खतरे का हमेशा अंदेशा रहता है। तब, जब बारिश होती है, बिजली चमकती है। नहीं मिली अब तक रिपोर्ट
जुलाई में सीएम ने दौरा किया था। तब जांच का आदेश दिया था। उसके बाद जिस कंपनी ने इसका निर्माण किया था, एलएंडटी, उसे रिपोर्ट देने को कहा गया है, लेकिन अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली। इस कारण उसे वहां से मोरहाबादी स्थानांतरित करने की योजना मूर्तरूप नहीं ले पा रही है। सीएम ने इसे मोरहाबादी में स्थानांतरित करने की बात कही थी। पहाड़ी को भूस्खलन से खतरा
पहाड़ी पर भूस्खलन का खतरा भी है। पोल के आस-पास की मिट्टी कट रही है। ऊपर से भी मिट्टी आकर पोल के पास एकत्रित हो रही। इसके बाद जब बारिश होती है, तब वहां से भी मिट्टी नीचे बह जाती है। इसलिए, यह पोल अब खतरनाक हो चुका है। मंदिर समिति का भी केवल चंदा पर ध्यान है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं है। चंदा को सार्वजनिक करने की मांग
कई सदस्यों का कहना है कि इस पोल के निर्माण में किन-किन व्यक्तियों-संस्थाओं ने कितना चंदा दिया, कौन-कौन कंपनियों ने क्या-क्या सामान दिया, यह सामने रखा जाना चाहिए। भक्तों के पैसे का कहां इस्तेमाल हुआ, यह जानने का हक है। मंदिर समिति को रांची की जनता के सामने खर्च का ब्योरा रखना चाहिए। उसे पारदर्शी होना चाहिए। नहीं हटा अतिक्रमण
सीएम ने पहाड़ी मंदिर के आसपास के अतिक्रमण उस समय सावन के बाद हटाने का निर्देश दिया था। सावन बीते आठ माह हो गए, स्थिति ज्यों की त्यों बनी है। अब चार मार्च को शिवरात्रि है। इस दिन यहां से शिव की बरात भी निकलेगी और दिन भर बाबा के दर्शन को तांता भी लगा रहेगा। उन्होंने डीसी को निर्देश भी दिया था पहाड़ी को बचाने के लिए बोल्डर और तार से बाधे। लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। 2019 में यहां गंगा का जल चढ़ाने की योजना भी अभी मूर्त रूप नहीं ले सकती है।