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हेमंत-सुदेश की मुलाकात से भाजपा बेचैन

रांची राजनीति में समीकरण पल-पल बदलते हैं। मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। राज्यसभा चुनाव में अपने पिता शिबू सोरेन के लिए समर्थन मांगने मुख्यमंत्री व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन मंगलवार को आजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो के आवास पर जब पहुंचे तो बेचैनी भाजपा कार्यालय तक महसूस की गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 02:07 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 06:12 AM (IST)
हेमंत-सुदेश की मुलाकात से भाजपा बेचैन

रांची : राजनीति में समीकरण पल-पल बदलते हैं। मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ। राज्यसभा चुनाव में अपने पिता शिबू सोरेन के लिए समर्थन मांगने मुख्यमंत्री व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन मंगलवार को आजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो के आवास पर जब पहुंचे, तो बेचैनी भाजपा कार्यालय तक महसूस की गई। आनन-फानन में प्रदेश नेतृत्व ने 17 जून को होने वाली भाजपा विधायक दल की बैठक के स्थान पर एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाने की सूचना सार्वजनिक की।

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दरअसल, राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों की जुगाड़ में लगी भाजपा निर्दलीय सरयू राय का समर्थन मिलने से उत्साहित थी। इसे इस कदर भी प्रचारित किया जा रहा था कि आजसू के दो विधायकों के साथ की ज्यादा आवश्यकता नहीं है। भाजपा के इस रुख से आजसू नेतृत्व असहज महसूस कर रहा था। यही वजह है कि हेमंत सोरेन जब सुदेश महतो के आवास पर पहुंचे तो उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ। आजसू के इस रुख से बुधवार को होने वाली एनडीए विधायक दल की बैठक पर सबकी निगाहें हैं। कयास लगाया जा रहा है कि आजसू प्रमुख सुदेश महतो इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी दीपक प्रकाश ने दावा किया कि बुधवार की बैठक एनडीए विधायक दल की है और इसमें आजसू से सुदेश महतो, लंबोदर महतो और सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी को आमंत्रित किया गया है। एनडीए विधायक दल की बैठक में भाजपा उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर मौजूद रहेंगे।

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बोले हेमंत, आंदोलन की उपज है आजसू, भावना समझती है :

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राज्यसभा चुनाव को लेकर चल रहे शह-मात के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आजसू प्रमुख सुदेश महतो के बीच 45 मिनट की मुलाकात के बीच हेमंत सोरेन ने शिबू सोरेन के लिए समर्थन मांगा। मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड आंदोलन के अगुवा रहे गुरुजी राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में खड़े हैं। आजसू पार्टी भी आंदोलन की उपज है और झारखंड मुक्ति मोर्चा से ही निकली हुई इकाई है। एक आंदोलनकारी की बात एक आंदोलनकारी ही समझ सकता है, इसलिए उनके साथ एक शिष्टाचार मुलाकात की। वहीं, सुदेश महतो ने भी कहा कि मुलाकात के दौरान वर्तमान राजनीतिक हालातों पर सामान्य चर्चा हुई। राज्यसभा चुनाव में समर्थन की बात पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने शुरू में ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। पार्टी इसपर आगे निर्णय लेगी। बता दें कि आजसू पार्टी के विधायक लंबोदर महतो भाजपा प्रत्याशी दीपक प्रकाश के प्रस्तावकों में शामिल रहे हैं। दीपक प्रकाश पूर्व में ही सुदेश से मिलकर अपना समर्थन मांग चुके हैं।

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आजसू का झुकाव भाजपा की ओर ही :

आजसू का झुकाव अभी भी भाजपा की ओर ही है। चूंकि विधानसभा चुनाव में आजसू ने अपना मुख्य विरोधी दल झामुमो को ही माना था, इसलिए फिलहाल राज्यसभा चुनाव में यूपीए को समर्थन देने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। लेकिन, हेमंत की मुलाकात से आजसू का कद बढ़ गया है। अब आजसू भाजपा पर दबाव बनाने की स्थिति में आ गई है। यह दबाव विधानसभा उपचुनाव में दो सीटों में एक सीट (बेरमो) पर दावेदारी या केंद्र में राज्यमंत्री का पद की मांग के रूप में भी हो सकता है।

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चुनाव की हकीकत :

मुकाबले में झामुमो और भाजपा, कांग्रेस में आंतरिक घमासान :

राज्यसभा के लिए रिक्त हो रही दो सीटों पर चुनाव में मुकाबला झामुमो और भाजपा में है। दोनों दलों के प्रत्याशियों शिबू सोरेन और दीपक प्रकाश के पास पर्याप्त वोट हैं। जीत के लिए विधायकों के प्रथम वरीयता के 27 वोटों की आवश्यकता है। झामुमो के 29 विधायक हैं। इसके अलावा कमलेश सिंह ने समर्थन की घोषणा की है। भाजपा के विधायकों की संख्या 26 है। चुनाव आयोग की अनुमति के बाद विधानसभा सचिवालय ने बाबूलाल मरांडी को भी भाजपा सदस्य के तौर पर शामिल कर लिया है। इसके अलावा आजसू के दो विधायकों समेत निर्दलीय सरयू राय और अमित यादव का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। उधर, कांग्रेस ने शहजादा अनवर को प्रत्याशी के तौर पर उतार दिया है, लेकिन वे जीत के आंकड़े से दूर है। कांग्रेस के पाले में 15 विधायक हैं। दो निर्दलीय विधायकों प्रदीप यादव, बंधु तिर्की और भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह के समर्थन के बावजूद कांग्रेस पर्याप्त आंकड़े के आसपास नहीं फटकती। कांग्रेस की उदासीनता का आलम यह है कि पर्यवेक्षक तक का पता नहीं है। चुनाव को लेकर दल में आंतरिक घमासान भी है, जो मुखर हो सकता है।

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