Raghubar Das Exclusive: जेल से बेल पर निकले तो हो गए फुर्र, नाक फूटी तो छोड़ा क्रिकेट; जानें CM रघुवर दास की निजी बातें
Raghubar Das Exclusive राजनीति से इतर पहली बार सीएम रघुवर दास ने किसी अखबार से अपने बचपन से लेकर जवानी तक की खट्टी-मीठी यादें की साझा। यहां विस्तार से पढ़ें...
रघुवर दास के अनछुए पहलू
- गियर वाली स्कूटर चलाना सीख रहे थे तो रोड पर गिरे धड़ाम से, छिल गया था सारा शरीर
- हल्का मसाला वाला आलू का भुजिया है फेवरेट, गर्मी भर भोजन में माड़-भात और भुनी हुई हरी मिर्च
- रोजान करते हैैं सूर्य नमस्कार और अनुलोम-विलोम, प्रेमचंद हैैं पसंदीदा उपन्यासकार
- गणित फेवरेट विषय, फिजिक्स से लगता था डर, इमरजेंसी में तीन महीने रहे जेल में
मुख्यमंत्री रघुवर दास के राजनीतिक जीवन से तो हम सब अवगत हैं लेकिन उनके जीवन का एक और हिस्सा है...उसमें बालपन की मस्ती, किशोरवय के किस्से और जवानी के दिनों के संघर्ष के तमाम ऐसे पहलू हैं जिनसे कम ही लोग वाकिफ होंगे। मसलन, खाने में क्या पसंद है? खेल कौन सा अच्छा लगता? बचपन और जवानी कैसी बीती? परिवार, पसंद-नापसंद। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी जिंदगी के ऐसे ही तमाम खट्टे-मीठे अनुभव दैनिक जागरण, झारखंड के स्थानीय संपादक प्रदीप शुक्ला और राज्य ब्यूरो के प्रभारी प्रदीप सिंह से साझा किए। सब कुछ, मगर राजनीति का कतरा नहीं। खालिस निजी।
सवाल : आपकी व्यस्तता काफी रहती है। दिनचर्या को कैसे तय करते हैैं? सुबह की शुरूआत कैसे करते हैैं?
सीएम रघुवर दास का जवाब : मेरी कोशिश रहती है कि सुबह सात बजे तक उठ जाऊं। सबसे पहले अखबार देखता हूं, कम से कम हेडलाइन तो देखता ही हूं। फ्रेश होने के बाद 15 मिनट तक योग करता हूं। सूर्य नमस्कार और अनुलोम-विलोम। योग करने से थकान कभी नहीं होती।
सवाल : नाश्ते-भोजन में क्या पसंद है आपको?
सीएम रघुवर दास का जवाब : थोड़ा हिचकते हुए, हल्की मुस्कराहट के साथ कहते हैैं-शुरूआत में चना, फिर एकाध सेव और थोड़ा पपीता। सूखी रोटी और भूजिया नाश्ते में। ये खाकर आत्मा तृप्त होती है। एक ग्लास दूध भी लेता हूं। दिन में कुछ मिला तो खा लिया, नहीं तो कोई बात नहीं। हां, चाय मिलती रहनी चाहिए। मैैं शाकाहारी हूं और कभी अंडा का स्वाद भी नहीं चखा। हल्के मसाले से बनी आलू की भुजिया मुझे पसंद है। गर्मी में माड़-भात लेता हूं। मट्ठा डालकर भुनी हुई हरी मिर्च के साथ। सच बताता हूं, इसका लाजवाब स्वाद है। बचपन से मेरा प्रिय भोजन है यह।
सवाल : -परिवार के साथ कितना समय बिता पाते हैैं? राजनीतिक कामकाज में धर्मपत्नी भी आपका हाथ बंटाती होंगी?
सीएम रघुवर दास का जवाब : अरे नहीं, हंसते हुए...! मेरा काम बंटा है और मैैं कोई तनाव नहीं लेता। बेटा-बेटी की जिम्मेदारी से भी मुक्त हूं। पत्नी जमशेदपुर में रहती हैं और घर का कामकाज संभालना उनके जिम्मे है। परिवार का सपोर्ट राजनीति में शुरूआत से मिला। आज मां-बाप के कारण ही सबकुछ हूं। मां का साथ ज्यादा मिला। दुख होता है कि आज मां मेरे साथ नहीं है। अतीत में जाते ही चेहरे के भाव थोड़े बदले, बोले, मां साथ होती तो आज देखती। जब मैैं मंत्री था तो पिता गुजर गए। मेरी मां बहुत मजबूत थी। पिताजी प्रतिकूल परिस्थितियों घबरा जाते थे, लेकिन मां मेरा हौसला बढ़ाती थी।
सवाल : सबके जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियां आती हैं? ऐसे में परिवार के लोग परेशानी में रहे होंगे?
सीएम रघुवर दास का जवाब : चेहरे पर हल्की पीड़ा झलकती है...मुझे अच्छी तरह याद है, मैैं जब 16 साल का था तो आपातकाल का विरोध करने के कारण जेल गया था। गलत नीतियों के विरोध में शुरू से आवाज उठाता रहा हूं। जमशेदपुर में गिरफ्तारी हुई और बाद में मुझे गया सेंट्रल जेल भेज दिया गया। पिताजी बहुत रोते थे जेल आकर। मुझे याद है जैसे ही मुझे बेल मिली, मैं जेल से निकला और फुर्र हो गया। जब इमरजेंसी खत्म हुई तभी वापस लौटा।