आजीवन प्रतिबंधित शिक्षिका से करा ली टॉप-20 की स्कूट्रनी
स्क्रूटनी के बाद राज्य के टॉप 10 (मैट्रिक व इंटर के तीनों संकाय मिलाकर) 73 में से 30 विद्यार्थियों के अंक बदल गए थे।
प्रणय कुमार सिंह, रांची। ब्लैकलिस्टेड शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में लगाने का मामला शांत भी नहीं हुआ कि एक और बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता यह मामला है टॉप-20 की स्क्रूटनी में आजीवन प्रतिबंधित शिक्षिका के शामिल होने का। स्क्रूटनी के बाद राज्य के टॉप 10 (मैट्रिक व इंटर के तीनों संकाय मिलाकर) 73 में से 30 विद्यार्थियों के अंक बदल गए थे।
मामला 2017 का है लेकिन कहीं न कहीं दबा हुआ था। अब जब शिक्षिका ने फिर से मूल्यांकन कार्य में शामिल होने का दावा किया है तो पोल खुलने लगा। उन्हें मूल्यांकन कार्य तो नहीं मिला लेकिन दबा हुआ मामला खुल गया। अधिकारी इस विषय में चुप्पी साधने में ही भलाई समझ रहे हैं।
2016 की परीक्षा के बाद लगा था आजीवन प्रतिबंध
शिक्षिका राजबाला कुमारी को जैक सचिव रजनीकांत वर्मा के हस्ताक्षरयुक्त नियुक्ति पत्र (जैक/गो.-2157/17-एसईसी-459/17) भेजकर स्क्रूटनी के लिए जैक बुलाया गया था। जबकि स्क्रूटनी के करीब चार माह पहले जैक ने वार्षिक माध्यमिक परीक्षा-2016 की उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन में अंकों में हेरफेर के मामले में इन्हें आजीवन काली सूची में डाल दिया था। इसके बाद जैक अपने वेबसाइट पर भी इस सूची को अपलोड कर दिया। लेकिन फिर किस आधार पर उसी शिक्षिका को सम्मानपूर्वक परिषद बुलाकर स्क्रूटनी कराई गई।
सितंबर-अक्टूबर-2017 में हुई थी टॉपरों की घोषणा
जैक रिजल्ट के समय टॉपरों की सूची जारी नहीं करता है। माध्यमिक परीक्षा-2017 के टॉपरों की घोषणा सितंबर-अक्टूबर माह में हुई थी। घोषणा से पहले टॉप-20 के उत्तरपुस्तिकाओं की स्क्रूटनी कराया गया था। स्क्रूटनी में मारवाड़ी प्लस टू उवि की माध्यमिक स्तर की अंग्रेजी की शिक्षिका राजबाला कुमारी को भी लगाया गया था। जबकि जैक ने इन्हें आजीवन काली सूची में डाल दिया था।
हुआ था बड़ा उलटफेर
मैट्रिक व इंटर की टॉप-20 की स्क्रूटनी के बाद जारी टॉप-10 की सूची में 73 में से 30 विद्यार्थियों के अंकों में उलटफेर हुआ था। टॉप-10 में कई नाम जुड़े भी थे जो पहले नहीं थे। सबसे अधिक उलटफेर कॉमर्स में हुआ था। इसमें टॉप-10 में शामिल 14 विद्यार्थियों में से 9 के अंक बदल गए थे। कॉमर्स के टॉपर भी बदल गए थे। स्क्रूटनी के बाद मनीषा का अंक 432 से बढ़कर 434 हो गया था तो वह स्टेट टॉपर हो गई थी। मैट्रिक में भी कोमल का 469 से 472 तो विक्रम प्रजापति का 467 से 466 हो गया था।
देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में जहां एक-एक अंक से नामांकन छूट जाता है, वहीं ब्लैकलिस्टेड शिक्षकों से स्क्रूटनी करवाने से टॉप-10 की सूची पर ही सवाल उठ गए हैं। इस संबंध में पक्ष के लिए जैक सचिव रजनीकांत वर्मा को कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन पिक नहीं किया। वहीं, वाट्सअप पर दिए मैसेज का भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
कुछ सुलगते सवाल
-ब्लैकलिस्टेड शिक्षिका से स्क्रूटनी कराने के बाद जारी टॉप-10 की सूची कितना सही होगा?
-आजीवन प्रतिबंध के बाद कैसे मिला शिक्षिका को मूल्यांकन कार्य के लिए पत्र?
- 73 में 30 के अंक बदल गए तो शेष लाखों कॉपियों में गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन?
-उन विद्यार्थियों का क्या जो गलत मूल्यांकन के कारण एक-दो अंकों से फर्स्ट डिविजन से वंचित हुए अथवा फेल कर गए?