Jharkhand: मंडियों में आज से खाद्यान्न आवक बंद... बढ़ सकती है महंगाई... कृषि शुल्क के विरोध में कारोबारी
Jharkhand Agriculture Duty फेडरेशन आफ झारखंड चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज ने कृषि शुल्क का विरोध किया है। कई दिनों के आंदोलन के बाद अब कारोबारियों ने मंडी में खाद्यान्न ठप करने की चेतावनी दी है। ऐसे में सामान की कीमत बढ़ सकती है।
रांची, जासं। Jharkhand Chamber of Commerce and Industries झारखंड में कृषि उपज पर कृषि शुल्क लागू करने के विरोध में फेडरेशन आफ झारखंड चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के सदस्यों ने पिछले एक माह से प्रदर्शन जारी रखा है। लेकिन इसके बाद भी सरकार द्वारा अब तक इसे संज्ञान में नहीं लिए जाने के विरोध में विवश होकर सोमवार से झारखंड में खाद्यान्न की आवक पूरी तरह से बंद करने का निर्णय लिया गया है। राजधानी रांची में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने के निर्णयों को प्रभावी करने के लिए फेडरेशन चैंबर द्वारा लगातार प्रदर्शन किया जा रहा है। सभी व्यापारियों ने सर्वसम्मति से फेडरेशन के निर्णयों का कठोरता से पालन करने की सहमति भी जताई है।
बता दें कि आज से प्रदेश के सभी जिलों में खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने के लिए फेडरेशन चैंबर द्वारा राज्य के सभी जिला चैंबर आफ कामर्स, खाद्यान्न व्यवसायी, राइस मिलर्स एवं फ्लावर मिलर्स के साथ भी बैठक की गई थी। फेडरेशन चैंबर के आह्वान पर राज्य के सभी जिलों में इस निर्णय को प्रभावी बनाने की पहल जोर-शोर से प्रारंभ कर दी गई है। बता दें कि चैंबर के इस निर्णय के बाद आवश्यक सामग्रियों की आवक लगभग बंद हो जाएगी और इसका सीधा असर आम आवाम पर पड़ेगा। महंगाई के और बढऩे की संभावना है।
आवक बंद होने से जरूरी चीजों की बढ़ेंगी कीमतें
गत दिनों पंडरा बाजार में हुई बैठक के दौरान व्यापारियों ने कहा था कि हमने कोविड की विषम परिस्थितियों में भी अपने जानमाल की परवाह किए बगैर सरकार और प्रशासन का सहयोग करते हुए राज्य में खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता बनाई थी। लेकिन वर्तमान में सरकार और ब्यूरोक्रेट््स की हठधर्मिता के कारण हमें खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने का निर्णय लेना पड रहा है। जिससे जनता को भी परेशानी होगी। चूंकि कृषि शुल्क से खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढेंगी इसलिए जनता को महंगाई से बचाने के लिए हमें कड़े निर्णय लेने पर विवश होना पड़ा है।
यह सिलसिला लंबा चलने वाला : चैंबर अध्यक्ष
चैंबर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा कि यह सिलसिला लंबा चलने वाला है। जैसे-जैसे चीजें आगे बढेंगी इसके मायने और अर्थ निकलते जाएंगे। फेडरेशन चैंबर का मानना है कि राज्य में जितने भी मकड़जाल बुने जा रहे हैं, यह ब्यूरोक्रेट््स द्वारा जनप्रतिनिधियों को अंधकार में रखकर किया जा रहा है। व्यापारियों ने कहा कि हमें यह बताया जा रहा है कि कृषि शुल्क से उगाही की जाने वाली राशि का उपयोग इन क्षेत्रों के उत्थान के लिए किया जाएगा। लेकिन यह देखें तो कृषि विपणन पर्षद के पास 138 करोड़ रुपये की फिक्स डिपोजिट उपलब्ध है। बैंकों में और भी फंड होंगे जिसकी सूचना मांगने पर हमें अब तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। यदि इतने फंड से भी बाजार मंडियों की व्यवस्था नहीं सुधारी जा सकी है, तब अतिरिक्त फंड की क्या जरूरत है। यह संस्थागत फंड है। इसका उपयोग केवल बाजार मंडियों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए ही किया जा सकता है।