रांची उपायुक्त के आदेश के खिलाफ कोर्ट जाएंगे निजी स्कूल, जानें क्या है पूरा मामला
Jharkhand Private School News रांची में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 40 स्कूलों के प्राचार्यों ने बैठक की है। आज से हर जिले में शुल्क निर्धारण कमेटी के गठन के लिए पत्र जाएगा। कई अभिभावकों के द्वारा फीस न देने के कारण स्कूल की स्थिति खराब हो गई है।
रांची, जासं। स्कूल फीस में बढ़ोतरी से संबंधित उपायुक्त के आदेश पर निजी विद्यालय के प्राचार्यों की बैठक रविवार को हुई। बैठक में रांची के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त 40 स्कूलों के प्राचार्यों ने हिस्सा लिया। बैठक में कहा गया कि कोरोना काल शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। संक्रमण काल में शिक्षक आधी सैलरी पर भी पूरे मन से काम करते हैं। पूरे दिन होमवर्क चेक करने से लेकर स्टडी मैटेरियल बनाने और ऑनलाइन क्लास पर काम करते हैं। इसके बाद भी कई अभिभावकों की फीस न देने के कारण स्कूल की स्थिति खराब हो गई है।
कई माह से वेतन न मिलने एवं कुछ शिक्षकों की असामयिक मृत्यु से शिक्षक-परिवार भूखमरी से जूझ रहा है। ऐसे संक्रमण काल में निजी स्कूलों के फीस एवं अन्य शुल्कों से संबंधित उपायुक्त की ओर से लिए गए निर्णय, शिक्षण-कार्य एवं विद्यालय की कार्य प्रणाली के अस्तित्व को मिटा सकता है। बैठक में तय किया गया कि प्राइवेट स्कूल उपायुक्त के आदेश के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
इधर, झारखंड अभिभावक संघ की भी वर्चुअल बैठक जूम एप के माध्यम से अध्यक्ष अजय राय की अध्यक्षता में हुई। बैठक में तय हुआ कि रांची जिला की तरह हर जिले में प्राइवेट स्कूलों को लेकर शुल्क निर्धारण कमेटी का गठन किया जाए। तय हुआ कि कमेटी के गठन को लेकर उपायुक्त को सोमवार से ज्ञापन सौंपा जाएगा। बैठक में अजय राय ने कहा कि रांची में अलग-अलग जोन के लिए उपायुक्त की ओर से जो जांच कमेटी बनाई गई है, उसे अभिभावक संघ की ओर से स्कूलों द्वारा लिए जा रहे विभिन्न मदों के शुल्क के संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
प्राचार्य बोले- केवल ट्यूशन फीस से स्कूल के खर्चे नहीं चलते
सरकार और अभिभावकों को यह समझने की जरूरत है कि केवल ट्यूशन फीस से स्कूल के खर्चे नहीं चलते हैं। शिक्षक तथा शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के वेतन के अतिरिक्त बिलिंग तथा बसों के लोन की ईएमआइ सहित अन्य खर्चों का भी मेंटेनेंस है। शिक्षा जगत के लोग उपायुक्त के आदेश से आहत हुए हैं। कोविड -19 महामारी के प्रभाव के कारण जून 2020 में जारी आदेश के अनुसार यह मामला अभी भी विचाराधीन है। इस परिस्थिति में उपायुक्त द्वारा प्राइवेट स्कूल के खिलाफ आदेश जारी करना विद्यालय प्रबंधन एवं शिक्षकों पर गहरा आघात है।