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Jharkhand: कांग्रेस के काम न आई प्रेशर पॉलिटिक्‍स, मंत्री पद को लेकर फिर हुई किरकिरी

Jharkhand News Congress Politics झारखंड में हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में खाली पड़े एक पद को लेकर कांग्रेस ने दावेदारी की थी। झामुमो ने फार्मूले की याद दिलाई। झामुमो के स्पष्ट रुख से कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व सकते है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 19 Jun 2021 02:38 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jun 2021 03:35 PM (IST)
Jharkhand: कांग्रेस के काम न आई प्रेशर पॉलिटिक्‍स, मंत्री पद को लेकर फिर हुई किरकिरी
Jharkhand News, Congress Politics झामुमो के स्पष्ट रुख से कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व सकते है।

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में खाली पड़े मंत्री के एक पद को लेकर कांग्रेस की दावेदारी से पार्टी की किरकिरी हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार गठन के वक्त तय हुए फार्मूले का हवाला देते हुए कांग्रेस के दावे की हवा निकाल दी है। कांग्रेस ने इसे लेकर चुप्पी साध ली है। जबकि गठबंधन की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्पष्ट कहा है कि विधायकों की संख्या बल के लिहाज से मंत्री पद का फार्मूला तय हुआ था। इसके तहत कांग्रेस के हिस्से में मंत्री के चार पद थे।

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रही बात मंत्रिमंडल में 12वें पद की तो इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा बनता है। झामुमो के स्पष्ट रुख से कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व सकते में है। पार्टी के भीतर फार्मूला स्पष्ट करने को लेकर भी दबाव है। हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट किया है कि अभी मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना नहीं है। जब विस्तार को लेकर निर्णय होगा तो जानकारी दी जाएगी। उधर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी कहा है कि अभी मंत्रिमंडल के विस्तार का कोई प्रस्ताव नहीं है।

ऐसे में सत्तारूढ़ गठबंधन में दबाव बनाने की कांग्रेस की कोशिशें काम करती नहीं दिख रही है। हालांकि इससे वैसे विधायकों को अवश्य निराशा हुई है, जो पद की रेस में थे। कुछ विधायकों ने दिल्ली कूच करने की भी तैयारी कर रखी थी। फिलहाल उन्होंने दिल्ली जाने की योजना टाल दी है। हालांकि जल्द ही कुछ विधायक दिल्ली जा सकते हैं। इनकी योजना कांग्रेस आलाकमान के समक्ष अपनी बातें रखने की है।

एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि प्रदेश नेतृत्व को मंत्री पद का फार्मूला सार्वजनिक करना चाहिए। इस प्रकरण से पार्टी की फजीहत हुई है। विरोधी दलों को भी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का मौका मिला है। बेहतर होता कि आपस में बैठकर इस पर बात की जाती। भविष्य में इसका ख्याल रखा जाना आवश्यक है ताकि गठबंधन के घटक दलों के बीच बेहतर समन्वय बन सके।


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