मछलियों के लिए इस तरह तैयार किया सस्ता चारा
मछलियों के बच्चों के लिए प्रोटीनयुक्त जीवित कीटाणु यानी ऑटीमिया की हैचरी को चारे के रूप में तैयार किया है।
शक्ति सिंह, रांची। मत्स्य अनुसंधान केंद्र ने नई विधि ईजाद कर, रंगीन मछलियों के बच्चों के लिए प्रोटीनयुक्त जीवित कीटाणु यानी ऑटीमिया की हैचरी को चारे के रूप में तैयार किया है, जिसे मछली के बच्चे बड़ी ही चाव इन ऑटीमिया को खाते हैं। रोजाना मत्स्य केंद्र में दो हजार मछलियों के बच्चे को इसे खिलाया जाता है। हालांकि, यह समुद्र में पाए जाने वाला कीटाणु है। लेकिन, इसके लिए उसी तरह का वातावरण तैयार कर इसका कल्चर किया जा रहा है। पानी में नमक की मात्र को बढ़ाकर और गर्मी करने के लिए 200 वाट बल्ब का सहारा लेकर इसे तैयार किया जाता है, ताकि ऑटीमिया की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ वह जीवित भी रह सके।
वर्तमान में इन बच्चों को खाने के लिए पाउडर के रूप में चारा दिया जाता था। लेकिन, इससे मछलियों को फायदा होगा। फिलहाल जुगाड़ व्यवस्था के तहत शोध कार्य चल रहा है। इसके बाद व्यवस्था को स्थायी कर दिया जाएगा। इसके लिए आवश्यक उपकरणों की भी जरूरत पड़ेगी। इसकी सुविधा होने से मछली पालकों को चारा में ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। घरेलू चीजों की मदद से ऑटीमिया कल्चर कर सकते हैं और मछली के स्थायी तौर पर नियमित चारा तैयार कर सकते हैं।
कम से कम मछलियों की होगी मौत:
इसके सेवन से मछलियों की जीवित रहने की उम्मीदें अधिक बढ़ जाएंगी। कम से कम मछलियों की मौत होगी। इससे मछली पालकों की आमदनी भी अच्छी होगी। पाउडर वाले चारे पर आत्मनिर्भरता कम होगी।
ऑटीमिया समुद्री क्षेत्र में पाए जाने वाला कीटाणु हैं, जिन्हें मछली के बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। यह मछली के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है और उसके अधिक से अधिक प्रोटीन मिलता है।
- मनोज कुमार, सहायक मत्स्य निदेशक, रांची