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बाल सुधार गृह के किशोर बंदी को प्लेस ऑफ सेफ्टी भेजने की तैयारी

डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह के किशोर बंदी को प्लेस ऑफ में शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 09:49 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 09:49 PM (IST)
बाल सुधार गृह के किशोर बंदी को प्लेस ऑफ सेफ्टी भेजने की तैयारी

जागरण संवाददाता, रांची : डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह के किशोर बंदी को प्लेस ऑफ में शिफ्ट किया जाएगा। सिमडेगा के बाल सुधार गृह को ही प्लेस ऑफ सेफ्टी में परिवर्तित किया जाएगा। जबकि वहां के बाल बंदी को रांची बाल सुधार गृह भेजा जाएगा। यही नहीं डुमरदगा बाल सुधार गृह में रखे जा रहे पलामू प्रमंडल के बाल बंदियों को भी यहां से स्थानांतरित किया जाएगा। पलामू में बाल सुधार गृह के लिए भवन का चयन कर लिया गया है। पलामू प्रमंडल में बाल सुधार नहीं होने के कारण वहां के करीब 50 बंदियों को रांची के बालसुधार गृह में रखा जा रहा है। भीड़ बढ़ने के कारण बालसुधार गृह में रह रहे बंदियों के पुनर्वास का कार्यक्रम लगभग ठप सा हो गया था। बंदियों के पढ़ाई-लिखाई भी चौपट हो गई थी। उन्हें संभालना मुश्किल हो गया था। बंदियों को शिफ्ट करने को लेकर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के विशेष सचिव व निदेशक डॉ डीके सक्सेना ने 13 फरवरी 2020 को रांची के उपायुक्त को पत्र लिखा है।

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16-18 आयुवर्ग के 30 किशोर बंदी रह रहे बाल सुधार गृह में

राज्य में कहीं भी प्लेस ऑफ सेफ्टी नहीं होने की वजह से राज्य भर के 16-18 आयुवर्ग के किशोर बंदी को डुमरदगा बाल सुधार गृह में ही रखा जाता है। वर्तमान में किशोर बंदियों की संख्या लगभग 30 है। सिमडेगा में प्लेस ऑफ सेफ्टी बनने के बाद राज्यभर के किशोर बंदियों को एक स्थान पर ही रखा जाएगा।

बंदियों की संख्या कम होगी तो सुधार पर दिया जाएगा ध्यान

बालसुधार गृह की क्षमता 75 बंदियों की है जबकि अभी यहां रांची जिला सहित पलामू प्रमंडल के तीन जिलों के बाल व किशोर बंदियों को रखा जा रहा है। सुधारगृह के 10 कमरे में करीब 160 बंदी को रखा जा रहा है। किशोर बंदी और पलामू प्रमंडल के बाल बंदियों को जब यहां से शिफ्ट कर दिया जाएगा तो डुमरदगा के बालसुधार गृह में तय क्षमता के अनुसार ही बंदी बच जाएंगे।

बाल सुधार गृह में नशीला पदार्थ मिलने पर हाई कोर्ट के तीन न्यायाधीशों ने किया था दौरा

बाल सुधार गृह में 17 जनवरी को पुलिस ने छापेमारी की थी। वहां से बड़ी संख्या में नशीला पदार्थ व मोबाइल बरामद हुए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए 18 जनवरी को झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश व झालसा के कार्यपालक निदेशक हरिश्चंद्र मिश्रा, न्यायाधीश एसएन पाठक एवं न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी द्वारा सुधारगृह का निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान कई प्रकार की खामियां मिली। न्यायाधीशों ने बाल सुधार विभाग के निदेशक को जल्द इसे दुरुस्त करने का आदेश दिया था।

क्या कहते हैं डालसा सचिव

क्षमता के अनुरूप बाल बंदियों के रहने से पुनर्वास कार्यक्रम सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी। बच्चों को अच्छा वातावरण मिलेगा। पोषण व शिक्षा व्यवस्था पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाएगा।

अभिषेक कुमार, डालसा सचिव


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