लालटेन का सूपड़ा साफ, हिस्सेदारी चाहिए हाफ...जानें सत्ता के गलियारे का हाल Ranchi News
नवंबर में संभव है कि झारखंड में वोट डाले जाएं। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का दिन नजदीक आएगा एक बार फिर से नेता-जनता का संबंध प्रगाढ़ होने का मौका मिलेगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। बस दो महीने की बात है। भारत निर्वाचन आयोग इसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा करेगा। नवंबर में संभव है कि वोट डाले जाएं। जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आएगा एक बार फिर से नेता-जनता का संबंध प्रगाढ़ होने का मौका मिलेगा। ऐसे में झारखंड की सियासत में दम भरने वाले छोटे-बड़े नेताओं ने अंदरखाने कसरत भी शुरू कर दी है। आइए कांग्रेसियों में उठापटक से लेकर लालटेन की टिमटिमाहट तक जानें सत्ता का गलियारा का हाल...
सूपड़ा साफ, हिस्सेदारी चाहिए हाफ
झारखंड में लालटेन टिमटिमा रहा है। विगत दो दशक के चुनाव-ए-मैदान में लालटेन के सूरमा एक-एक कर खेत हो गए, परंतु रुतबा विजेता वाला ही रहा। सूपड़ा साफ हो गया, परंतु आसन्न चुनाव में विधानसभा की हाफ सीटों पर नजर है। दावा कर रहे, गठबंधन हो या महागठबंधन 81 में से 45 सीटें लालटेन की रोशनी के बगैर नहीं जीत सकते। जबसे से प्रदेश की कमान अभय से संभाली है, कार्यकर्ताओं के बीच से भय जाता रहा। वे कहते हैं लालू जेल में हैं तो क्या हुआ, दल का एक-एक कार्यकर्ता लालू है। आसन्न चुनाव में दिखा देंगे, लालटेन का झंडा फिर से लहरा देंगे।
निहत्थे कप्तान
हाथ वाली पार्टी के लोकल कप्तान निहत्थे हो गए हैं। इसके बावजूद उन्हें कमजोर नहीं आंका जा सकता है। निहत्थे होने के बावजूद उन्होंने वंशवाद की जड़ों को छलनी करके रख दिया है। बहुत कम उम्मीद है कि इस बार कम बारिश में वंशवाद की जड़ों में जान लौट सके। टहनी तो अलग बात है, पत्तों-कोपलों पर भी संकट है। इस डर से सभी वंशवादी चुप बैठे हैं। कुछ ने तो उलटा आरोप लगाना शुरू कर दिया है। कहानियां भी गढ़ी जा रही हैं। कहा जा रहा है कि कप्तान खाद्यान्न वाले माननीय के सामने चुनौती पेश करेंगे।
माननीय की तंदुरुस्ती
माननीय उम्र में भले ही अधिक के हैं, लेकिन हैं पूरी तरह तंदुरुस्त। दांत तक हिला-डुला नहीं है। शरीर से पक्का माननीय लगते हैं। धोती भी उनपर खूब जंचती है। इस कद-काठी और पहनावे से दिल्ली में भी बड़े-बड़े माननीय से काम निकलवा लेते हैं। इसका उन्हें गर्व भी है। तंदुरुस्ती के कारण ही एक बार और चुनावी मैदान में उतरने के प्रयास में हैं। इसके पीछे उनका तर्क भी है। अपने ही जैसे एक माननीय की तुलना करते हैं, जो उनसे उम्र में छोटे होते हुए भी शरीर से ढल गए हैं। माननीय तंदुरुस्त क्यों नहीं होंगे। तंदुरुस्ती वाले महकमे से जो संबंध रखते हैं।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप