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हाइवे छोड़ कच्‍चे रास्‍ते से सफर तय कर रहे वाहन, जानिए क्‍या है मामला Ranchi News

Jharkhand. एक घंटे का सफर चार घंटे में गाडिय़ां तय कर रही हैं। इससे यात्री परेशान हैं। वाहन मालिकों में खाैफ है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 10:34 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 10:34 AM (IST)
हाइवे छोड़ कच्‍चे रास्‍ते से सफर तय कर रहे वाहन, जानिए क्‍या है मामला Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड में पांच चरण में चुनाव होंगे, राजनीति में थोड़ी भी दिलचस्पी रखने वालों को यह पता है। लिहाजा चुनावी चर्चा आम हो गई हैं। लोकतंत्र के इस महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह है, तो चुनाव से जुड़ी विभिन्न प्रक्रियाओं के बेतरतीब अनुपालन के प्रति नाराजगी भी। बड़ा मसला चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ ही वाहनों को पकडऩे की प्रक्रिया में अचानक आई तेजी को लेकर है।

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वाहन मालिकों में गाड़ी पकड़ लिए जाने का खौफ कुछ इस कदर व्याप्त है कि वे राष्ट्रीय उच्च पथ छोड़ कच्चे रास्ते से होकर हिचकोले खाते हुए मंजिल तक पहुंच रहे हैं। एक ओर जहां एक घंटे का सफर चार घंटे में तय हो रहे हैं, वहीं यात्रियों की जान सांसत में फंसी है। दिन है रविवार। रांची-टाटा रोड पर अन्य दिनों की अपेक्षा गाडिय़ां कम चल रही हैं। कुछ वाहन चालक चुनाव कार्यों के लिए गाडिय़ों के पकड़ लिए जाने की सूचना देते हैं। हमें तमाड़ से रांची आना था।

अमूमन हर 10-20 मिनट पर यहां गाडिय़ां मिल जाने की गारंटी। इससे इतर काफी समय बाद तीन बजे एक गाड़ी आई। गाडिय़ों की कमी की वजह से यात्रियों की संख्या निर्धारित सीट से लगभग ड्योढ़ा है। 3.20 में गाड़ी गंतव्य के लिए प्रस्थान करती है। 4.40 में उसका रांची पहुंचना तय है। पांच बजे के करीब गाड़ी रामपुर पहुंचती है। यहां से कांटाटोली बस स्टैंड की दूरी तकरीबन 22 किलोमीटर है।

गाड़ी कुछ दूर आगे चलकर लादनपीड़ी के पास अचानक राष्ट्रीय उच्च पथ 33 से नीचे कच्चे रास्ते पर उतर जाती है। सिंगल रोड और उबड़-खाबड़ रास्ते। 10 से 15 की स्पीड में गाड़ी आगे बढ़ रही है। जगह-जगह गड्ढे हैं। गाड़ी हिचकोले खा रही है। अगल-बगल की झाडिय़ां गाड़ी की खिड़की को खरोचने का पुरजोर कोशिश कर रही है। खरसीदाग के निकट गाड़ी रिंग रोड को पकड़ती है। फिर सदाबहार चौक होते हुए चुटिया की राह पर बढ़ती है। छह बज चुके हैं। आगे रेलवे क्रॉसिंग है। फाटक बंद है। लंबा जाम लगा है।

गाड़ी पर कई छठव्रती भी सवार है, जिन्होंने दो दिनों का उपवास रखा है। दर्जनों महिलाएं भी हैं, जिसे उच्च पथ के किनारे बसे गांव में उतरना था। वह अब वापस ऑटो से अपने गंतव्य की ओर लौटती हैं। वाहन चालक से उसकी बकझक भी हो रही है। विजय कुमार व्यवसायी हैं, वे भी इस गाड़ी पर सवार हैं। कहते हैं, मतदान मेरा अधिकार भी है और दायित्व भी, परंतु यह तो चुनाव आयोग का जनता पर हथौड़ा चलाना हुआ। अगर गाडिय़ां पकडऩी है, तो समय और संख्या सुनिश्चित कर दे।

सुनीता ने छठ किया है। उसकी तबीयत रह-रहकर बिगड़ रही है। बच्चे भी बेहाल नजर आते हैं। इसी आनन-फानन में सामलौंग के त्रिलोक का बैग लेकर कोई अन्य यात्री उतर जाता है। नामकुम में उसे इसका भान होता है। वह भी चुनाव की इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताता है। लगभग पौन घंटे बाद बेलबागान होते हुए गाड़ी आगे बढ़ती है। निर्धारित समय से तकरीबन सवा दो घंटे बाद गाड़ी कांटाटोली बस स्टैंड पहुंचती है।


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