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अतीत की प्रेमगाथा में उभरी वर्तमान की त्रासदी

रिम्स सभागार में गुरुवार की शाम में संजय रंजन सिंह लिखित नाटक जोहिला-जोहिला का मंचन किया गया।

By Edited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 09:17 AM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 09:22 AM (IST)
अतीत की प्रेमगाथा में उभरी वर्तमान की त्रासदी
अतीत की प्रेमगाथा में उभरी वर्तमान की त्रासदी

रांची, जासं। रिम्स सभागार में गुरुवार की शाम में संजय रंजन सिंह लिखित नाटक जोहिला-जोहिला का मंचन किया गया। पूरा सभागार दर्शकों से भरा हुआ था। कहानी तीन नदियों की थी। पर, एक नद था-सोनभद्र। नर्मदा, जोहिला और सोनभद्र। कहानी राजतंत्र युग की मान सकते हैं। परिवेश और पहनावा वही था। पर, प्रेम तो शाश्वत होता है। चाहे राजा का प्रेम हो या रंक का। सोनभद्र युवराज होता है। उसकी शादी नर्मदा से होने वाली थी, लेकिन नर्मदा की सखी जोहिला धोखे से युवराज से विवाह कर लेती है।

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जब इसका पता चलता है, तो दोनों ही जोहिला को शाप देते हैं। कहानी कुल यही है। लेकिन बीच-बीच में संवाद हमारे समय को भी व्यक्त करता था। जैसे यह संवाद-रानियां तो राजकुमारों के लिए ही बनी होती हैं, पर दासियां कभी-कभी उनका सानिध्य जरूर पा लेती हैं। सदैव अभिशप्त होता है अलौकिक सौंदर्य एक और संवाद देखने योग्य है। राजा का प्रहरी गाजा पीते हुए नशे में बड़ी बात कह जाते हैं।

एक प्रहरी बोलता है-कुर्सी में भी नशा है। जो कुर्सी पर बैठता है, वह नशे में झूमने लगता है। दूसरा कहता है-राजाओं के तो रक्त में ही नशा है। इस राजसत्ता के नशे को लोकतंत्र के नशे में देखें-आज कुर्सी को लेकर कितनी नशा है-इसके लिए लोग क्या-क्या नहीं कर रहे हैं। संजय रंजन पुलिस अधिकारी हैं, लेकिन समय और समाज की नब्ज को भी बखूबी पकड़ते हैं। वे अतीत की गाथा के बहाने वर्तमान के संत्रास को दिखाने से नहीं चूकते। एक नाटककार से यह अपेक्षा दर्शक तो करता ही है।

एक और संवाद देर तक कानों में गूंजता है। यह संवाद तो शुरुआती दृश्यों में बोला जाता है, लेकिन इस संवाद का निहितार्थ अंतिम में समझ में आता है। संवाद था-अलौकिक सौंदर्य सदैव अभिशप्त होता है। नाटक की मुख्य नायिका नर्मदा जोहिला को शाप देती है, जब तक तुम जीवित रहोगी, अभिशप्त रहोगी। लाजवाब अभिनय, दमदार निर्देशन नाटक की प्रस्तुति दोसुत की थी। निर्देशन पीके सिन्हा ने किया था। अभिनय दमदार था। नर्मदा की भूमिका में रुशाली गुप्ता थी।

अभिनय और संवाद अदायगी इस लिहाज से बेहतर थी कि एक रानी की तरह संवाद में एक दर्प झलक रहा था। संवादों को लेकर परिश्रम झलक रहा था। रूशाली ने खूब तालियां बटोरी, खासकर अपने अंतिम दृश्य में। सोनभद्र की भूमिका में इंद्रजीत सिंह थे। ये रांची के लिए अपरिचित नहीं थे। नृत्य-ताल डांस अकादमी चलाते हैं। नृत्य के साथ अभिनय भी करते हैं। जोहिला की भूमिका में मोनिका रानी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उसका अभिनय याद रखने योग्य था। उसके लिए लाजवाब शब्द का प्रयोग कर सकते हैं। वह मंच पर छायी रहती है। बाकी कलाकार भी कमतर नहीं थे।

डॉ. सुशील अंकन राजा की भूमिका में थे। संक्षिप्त रोल था, लेकिन असरदार। आहिस्ते-आहिस्ते पूरी गंभीरता के साथ वे संवाद बोलते थे। बुलू दा की प्रकाश व्यवस्था मंचन के साथ मैच कर रही थी। कार्यक्रम में मीडिया पार्टनर दैनिक जागरण था। कार्यक्रम का सहयोगी जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन था।

इनकी रही उपस्थिति : कार्यक्रम में रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह, दैनिक जागरण के वरीय महाप्रबंधक मनोज गुप्ता, बीएन सिंह सेवानिवृत्त प्राचार्य केंद्रीय विद्यालय, एस प्रकाश डायरेक्टर लोयला कॉन्वेंट स्कूल, अभय सिंह प्राचार्य आर्मी पब्लिक स्कूल दीपाटोली, एमके सिन्हा डायरेक्टर डीएवी हेहल, रिम्स अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप, सूरज शर्मा प्राचार्य ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल, डॉ. अजीत जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन. नेहा एम अग्रवाल, पूनम आनंद, संगिनी क्लब की अध्यक्ष अंजू गुप्ता, अनिल सिकदर, ऋषि कास्यकार, मृणालिनी अखौरी, मोनिका, अरविंद प्रताप के अलावा काफी संख्या में दर्शक मौजूद थे। जताया आभार इस मौके पर नाटककार व जैप टू के कमांडेंट संजय रंजन सिंह ने सबके प्रति आभार जताया। दर्शकों और कलाकारों के प्रति भी। अतिथियों के प्रति भी।


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