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कांटाटोली फ्लाईओवर का डिजाइन बदला, बहुबाजार को भी जाम से राहत

रांची के कांटाटोली फलाईओवर के निर्माण के लिए अब नए सिरे से विभाग योजना बना रहा है। अब इसका जिाइन भी बदलेगा और डीपीआर भी

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 01:45 AM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2020 01:45 AM (IST)
कांटाटोली फ्लाईओवर का डिजाइन बदला, बहुबाजार को भी जाम से राहत
कांटाटोली फ्लाईओवर का डिजाइन बदला, बहुबाजार को भी जाम से राहत

राज्य ब्यूरो, रांची : लंबे अरसे से बंद पड़े रांची के कांटाटोली फ्लाईओवर के निर्माण की नए सिरे से कवायद शुरू कर दी गई है। अब इसका डिजाइन भी बदलेगा और डीपीआर भी। इसे विस्तारित करते हुए बनस तालाब तक ले जाया जा रहा है। हालांकि इसके लिए जमीन अधिग्रहण जैसी किसी प्रक्रिया में विभाग नहीं फंसने जा रहा है। नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा कि एक-दो मामले में जरूरी होने पर ही जमीन का अधिग्रहण होगा।

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राजधानी की महत्वाकाक्षी काटाटोली फ्लाईओवर के विस्तार की संभावना और गुण-दोष का आकलन किया जा रहा है। नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने बैठक में जुडको के अधिकारियों से कहा कि सिर्फ काटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण होने से बहुबाजार चौक पर लगने वाले जाम का समाधान नहीं होगा। इसलिए इसका विस्तार बहुबाजार चौक से आगे बनस तालाब तक किया जाय। साथ ही सचिव ने फ्लाईओवर का निर्माण आधुनिक तकनीक सेगमेंटल बॉक्स गर्डर सिस्टम से कराने का निर्देश दिया। सचिव ने नये सिरे से कार्य शुरू कराने लिए नया परामर्शी और संवेदक बहाल करने का निर्देश दिया है। नई तकनीक के आधार पर संशोधित डिजाइन और डीपीआर भी बनेगा।

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वर्तमान संवेदक को अनुभव नहीं, एक सप्ताह में बदलने का आदेश

बैठक में जुडको के परियोजना निदेशक तकनीकी रमेश कुमार ने सचिव को बताया कि वर्तमान संवेदक कंपनी मोदी कंस्ट्रक्शन को नई आधुनिक तकनीक सेगमेंट प्रणाली पर काम करने का अनुभव नहीं है। इस वजह से सचिव ने एक सप्ताह में मोदी कंस्ट्रक्शन के साथ किये गए एकरारनामा को बंद करने का निर्देश दिया। सचिव ने बरसात तक सभी कागजी कार्रवाई कर जल्द से जल्द काम शुरू करने का निर्देश दिया।

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ऐसे जानिए दोनों प्रणाली का अंतर वर्तमान में काटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण पीएससी-आइ गर्डर प्रणाली से हो रहा था। पीएससी प्रणाली में गर्डर को प्रीकास्ट कर क्रेन के सहयोग से खंभे पर रखा जाता है। अमूमन इस प्रणाली में रात में काम होता। डेक स्लैब की कास्टिंग कार्य स्थल पर ही होती है। यातायात भी प्रभावित होती रहती है। जबकि सेगमेंटल बाक्स प्रणाली में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मध्य लाइन पर विशेष लाचर के जरिये छोटे प्रीकास्ट सेगमेंट कर आगे बढ़ते है। इस आधुनिक प्रणाली का इस्तेमाल बड़े शहरों में हो रहा है। इस सिस्टम में काम तेज होता है। हालाकि यह कुछ महंगा पड़ता है।

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- काटाटोली फ्लाईओवर का निर्माण बहुबाजार की ओर वाईएमसीए से लेकर कोकर की ओर शातिनगर तक हो रहा था। लेकिन इसकी लंबाई लगभग 600 मीटर तक बढ़ेगी। पहले लंबाई 1260 मीटर थी।

- अब तक 132 पाइल की कास्टिंग हो चुकी है। 19 खंभों में दो पाइल कैप और एक पीयर की कास्टिंग हो चुकी है। जुडको के अधिकारियों ने सर्वे कार्य आरंभ भी कर दिया है।


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