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हड़‍िया-दारू छोड़ अलग व्यवसाय अपना रहीं झारखंड की महिलाएं, फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान बना वरदान

Jharkhand News Hemant Government झारखंड में फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान सम्मानजनक आजीविका का वरदान बना। 15456 ग्रामीण महिलाओं को चिह्नित किया गया है। 13356 महिलाओं ने आजीविका का सम्मानजनक साधन अपनाया है। मुख्‍यमंत्री के निर्देश पर योजना शुरू की गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 07:29 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 01:22 PM (IST)
हड़‍िया-दारू छोड़ अलग व्यवसाय अपना रहीं झारखंड की महिलाएं, फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान बना वरदान
Jharkhand News, Hemant Government झारखंड में फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान सम्मानजनक आजीविका का वरदान बना।

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर शुरू 'फुलो- झानो आशीर्वाद अभियान' महिलाओं के लिए सम्मानजनक आजीविका का वरदान बनता जा रहा है। अभियान का मकसद राज्य की वैसी महिलाओं को सम्मानजनक आजीविका से जोड़ना है, जो मजबूरीवश हड़‍िया-दारू के निर्माण और बिक्री से जुड़ी हैं। यह अभियान की सफलता ही है कि पेट पालने की मजबूरी में जिस हाट में कोलेबिरा प्रखंड के कोम्बाकेरा गांव की सोमानी देवी पहले हड़‍िया-दारू बेचती थी और लोगों के बुरे व्यवहार को झेलती थीं, आज उसी हाट-बाजार में वह होटल का संचालन कर रही हैं। उन्हें जलालत भरी जीवन से छुटकारा मिल गया है।

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वह अकेली ऐसी महिला नहीं हैं। अभियान शुरू होने के एक वर्ष के भीतर उन जैसी 13,356 ग्रामीण महिलाएं सम्मानजनक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं। इस अभियान के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण कर हड़‍िया-दारू की बिक्री एवं निर्माण से जुड़ीं करीब 15,456 ग्रामीण महिलाओं को चिह्नित किया गया है। काउंसलिंग कर पहले उन्हें सखी मंडल से जोड़ा गया और ब्याज मुक्त कर्ज देकर सम्मानजनक आजीविका अपनाने की राह दिखाई गई। इस अभियान का क्रियान्वयन झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा किया जा रहा है।

कई उद्यमों से जुड़ीं महिलाएं

फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान के अंतर्गत सबसे पहले हड़‍िया-दारू की बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं का विस्तृत सर्वेक्षण कर उन्हें चिह्नित किया गया है। इसके बाद महिलाओं को सखी मंडल के दायरे में लाकर उनकी काउंसलिंग की गई, ताकि वे सम्मानजनक आजीविका से जुड़ सकें। इन महिलाओं को उनकी इच्छानुसार स्थानीय संसाधनों के आधार पर वैकल्पिक आजीविका के साधनों, जैसे कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज संग्रहण, मछली पालन, रेशम उत्पादन, मुर्गीपालन, वनोत्पाद से जुड़े कार्य एवं सूक्ष्म उद्यमों आदि से जोड़ा जा रहा है।

सखी मंडलों ने इस अभियान के तहत चिह्नित महिलाओं के आजीविका प्रोत्साहन के लिए 10 हजार रुपये ऋण राशि का प्रविधान किया है, जो एक साल तक ब्याज मुक्त है। वहीं सामान्य व्यवस्था के तहत चिह्नित महिलाएं और अधिक ऋण सखी मंडल से ले सकती हैं। इन्हीं चिह्नित महिलाओं में से कुछ दीदियों को सामुदायिक कैडर के रूप में भी चुना गया है, जो दूसरों के लिए मिसाल बनकर हड़‍िया-दारू के खिलाफ इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं।

'मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरू किए गए फुलो-झानो आशीर्वाद अभियान के अंतर्गत काउंसलिंग कर हड़‍िया-दारू की बिक्री करने वाली महिलाओं को स्थानीय संसाधनों के आधार पर सशक्त आजीविका उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्याजमुक्त कर्ज का भी प्रविधान है। इससे ये महिलाएं अपनी जीविका के लिए उद्यम शुरू कर अच्छी आमदनी कर रही हैं।' -नैन्सी सहाय, सीईओ, जेएसएलपीएस।


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