जाति प्रमाण पत्र बनाने में खतियान की अनिवार्यता को चुनौती, पढ़ें झारखंड हाई कोर्ट की खबरें
Jharkhand. रवींद्र प्रसाद ने हाई कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका की है। दूसरी ओर अदालत ने रिश्वत लेने के आरोपित सहायक अभियंता दीपेश सोनकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य के एससी-एसटी के जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए खतियान की अनिवार्यता को चुनौती देते हुए झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। रवींद्र प्रसाद की ओर से याचिका दाखिल करने वाली अधिवक्ता खालिदा हयात रश्मि ने बताया कि राज्य के एससी-एसटी के पास खतियान नहीं होता है। इसलिए उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बनता है और उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। याचिका में उत्तराखंड में बनाए गए नियम को आधार बनाया गया है।
बता दें कि उत्तराखंड राज्य बनने के दिन से स्थानीय निवासी माना गया है। वहीं, केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी के लिए बनाए गए नियम में कहा गया है कि अगर पिता का जाति प्रमाण पत्र है तो वेरीफिकेशन में उसे आधार माना जाए। साथ ही, याचिका में यह भी मांग की गई है कि जब तक यह मामला निष्पादित नहीं हो जाता है, तब तक राज्य की सभी नियुक्तियों पर रोक लगाई जाए।
रिश्वत लेने के आरोपित सहायक अभियंता की जमानत याचिका खारिज
झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत ने रिश्वत लेने के आरोपित सहायक अभियंता दीपेश सोनकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। दरअसल, चाईबासा के तत्कालीन सहायक अभियंता दीपेश सोनकर को एसीबी ने चार हजार रुपये रिश्वत लेते हुए पांच अक्टूबर 2019 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही वे जेल में बंद हैैं। उनकी ओर से हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई थी।
बता दें कि चाईबासा के कस्तूरबा बालिका विद्यालय में पीसीसी सड़क निर्माण के लिए विक्रम को ठेका मिला था। 2.59 लाख रुपये की लागत से बनने वाली सड़क बनकर तैयार हो गई, लेकिन एमबी पर हस्ताक्षर करने के लिए सहायक अभियंता दीपेश सोनकर ने ठेकेदार से रिश्वत की मांग की। विक्रम ने इसकी शिकायत एसीबी से की। एसीबी ने सहायक अभियंता को चार हजार रुपये लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था।