पालतु पशुओं को भी है कोरोना संक्रमण का खतरा, बीएयू ने जारी की गाइडलाइन; ऐसे रखें ख्याल
कोरोनाकाल बेजुबान पशुओं के लिए भी बड़ी मुसीबत साबित हो रही है। पशुओं का उपचार एवं देखभाल प्रभावित हो रहा है। पशु विभिन्न रोगों की चपेट में आ रहे है। रोगों से पशुओं की मौत भी हो रही है।
रांची, जासं । कोरोनाकाल बेजुबान पशुओं के लिए भी बड़ी मुसीबत साबित हो रही है। पशुओं का उपचार एवं देखभाल प्रभावित हो रहा है। पशु विभिन्न रोगों की चपेट में आ रहे है। रोगों से पशुओं की मौत भी हो रही है। ऐसे में अब मनुष्य से पशुओं को भी कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए बिरसा कृषि विवि(बीएयू) के वेटनरी विभाग ने पशु पालकों के लिए पालतु पशु की देखभाल और संक्रमण से बचाव के लिए गाइडलाइन जारी की है। बीएयू के वेटनरी विभाग के डीन डा सुशील प्रसाद ने बताया कि कोरोना संक्रमण अगर पशुओं में फैलने लगा तो ग्रामीणों पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। ऐसे में जब तीसरे लहर की सुचना है तो इससे बचाव के लिए अभी से तैयारी करने की जरूरत है।
डा सुशील प्रसाद ने बताया कि आईभीआरआई के मुताबिक पालतू पशु इंसानों के सीधे संपर्क में आते हैं, इसलिए पालतू पशुओं को जंगल में रहने वाले जानवरों की तुलना में कहीं अधिक कोरोना संक्रमण का खतरा है। पशुओं की रोग का सही समय पर पहचान एवं पूरा इलाज से पशुओं के ठीक होने की पूरी संभावना है। बस जरूरी है कि पशुओं की पूरी देखभाल हो। वाइल्ड लाइफ़ कंज़र्वेशन सोसाइटी के मुताबिक ब्रॉन्क्स चिड़ियाघर की कोरोना पाज़ीटिव जानवर अब पहले की तरह धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। खाने-पीने और दूसरी आदतें भी सामान्य हो रही हैं, जो कि एक अच्छी ख़बर है। ऐसे में ग्रामीणों को बीएयू अपने अधीन संचालित केवीके के माध्यम से इसके बारे में जानकारी दे रहा है। पालतु पशुओं के बचाने के लिए सबसे पहले पालक को उनके पास जाने से पहले मास्क का इस्तेमाल करना जरूरी है।
मनुष्यों की तरह की है पशुओं में संक्रमण के लक्षण
डा सुशील प्रसाद ने बताया कि पशुओं में कोरोना संक्रमण के लक्षण भी मनुष्यों से मेल खाते हुए हैं। ऐसे में पालकों को सावधानी और पशु के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। पशुओं में किसी तरह की बीमारी के लक्षण होने पर शीघ्र पशु चिकित्सक से संपर्क करें। खुद अस्वस्थ होने पर पशुओं के नजदीक न जाएं। हाथों को बार-बार साबुन से धोएं एवं सैनिटाइजर लगाएं। पशुओं के संपर्क में आने के बाद हाथों को अवश्य धोएं। पशुओं की देखभाल में चेहरे पर मास्क लगाएं और मुंह और नाक को ढकें। पशुओं में कोई भी असामान्य व्यवहार दीखने, कमज़ोर और बीमार होने पर पशुओं को क्वारंटीन में रखें। संक्रमित व्यक्ति पशुओं की जगह पर गला साफ, थूकना व पेशाब करना या नाक साफ नहीं करे। पशुओं पर ख़ास नज़र रखें और कोई भी असामान्य लक्षण जैसे खांसना, नाक से पानी, सांस लेने में तकलीफ़, डायरिया या बुख़ार होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें। पशुओं को मल्टी-विटामिन ख़ासतौर पर विटामिन सी दें।
पशुओं की ऐसे करें बचाव
पशुओं के घर में सफाई पर विशेष ध्यान के साथ पर्याप्त भोजन व पीने के पानी की व्यवस्था हो। पशुओं को पौष्टिक आहार समय पर उपलब्ध करवाएं, ताकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। पशुओं के बंद आहार पैकेट को 65 प्रतिशत एथेनॉल/मेथेनॉल से स्प्रे जरूर करें। पशु चारा को अच्छी तरह पानी से धोएं। दरवाजे, हैंडल, खिड़की व पशुओं के उपयोग के सामान को एक प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट से साफ करें। पशुओं के खान-पान के बर्तनों को गर्म पानी एवं ब्लीचिंग पाउडर (15 ग्राम प्रति 4 लीटर पानी) से साफ करें।
अंधविश्वास में पशुओं को न भगाएं
डा सुशील प्रसाद ने बताया कि पालतू पशु स्वयं संक्रमित नहीं होते है। यह रोग संक्रमित श्वास, खांसने एवं छींकने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति यदि अपने पालतू पशुओं के संपर्क में आता है, तो व्यक्ति द्वारा पशुओं को संक्रमित किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। पशुओं के संपर्क मामले में सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना से बचने के लिए किसी भी अफवाह से डरने या अपने पालतू पशुओं को घर से भगाने की आवश्यकता नहीं है।