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लालू से मिले सुबोधकांत, कहा-जेल नहीं रघुवर मैनुअल है

सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जेल की सख्ती जेल मैनुअल नहीं रघुवर मैनुअल है। जेल में उन्हें जगह सुरक्षित कर लेना चाहिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 08 Jan 2018 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 07:20 PM (IST)
लालू से मिले सुबोधकांत, कहा-जेल नहीं रघुवर मैनुअल है
लालू से मिले सुबोधकांत, कहा-जेल नहीं रघुवर मैनुअल है

रांची, जेएनएन। चारा घोटाले में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से आज पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय सहित तीन नेता मिले। सुबोधकांत ने कहा कि जेल की सख्ती जेल मैनुअल नहीं रघुवर मैनुअल है। उनके भी दिन आ रहे, जेल में उन्हें जगह सुरक्षित कर लेना चाहिए। उन्होंने खूब घपले घोटाले किए हैं।  

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जानकारी के मुताबिक, लालू से मिलने के लिए13 लोगों ने आवेदन दिया था। इधर, लालू के समर्थक भी दिन भर जेल के बाहर जमे रहे। जेल गेट पर कड़ी सुरक्षा रही। पूर्व मंत्री सुबोध कांत सहाय, बिहार के एमएलसी रणविजय सिंह और कटिहार विधायक के भाई चंदन कुमार यादव को लालू से मिलने की अनुमति मिली। 

जेल में गुमसुम रहे लालू, वकील संग किया मशविरा
चारा घोटाला मामले में साढ़े तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सकते में हैं। रविवार को उनके चेहरे पर हताशा-निराशा साफ झलक रही थी। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के सूत्रों के मुताबिक रविवार को उन्होंने पूरी तरह चुप्पी साधे रखी। जेल में गुमसुम कभी बैठते तो कभी बेचैनी से टहलते लालू ने साथी कैदियों से भी दूरी बनाए रखी। ऑनर किलिंग के एक मामले में सजायाफ्ता कांग्रेस के पूर्व विधायक सावना लकड़ा, हत्या के एक मामले में झरिया के विधायक संजीव सिंह उनके पड़ोसी हैं। रविवार को जेल में लालू ने सिर्फ अपने वकील से मुलाकात की। इस दौरान मशविरे के साथ-साथ उन्होंने वकालतनामा पर दस्तखत किए। अपर डिवीजन के कैदियों समेत अन्य कैदियों ने उनसे बातचीत करनी चाही लेकिन उन्होंने इन्कार कर दिया।

जेल गेट पर कड़ी सुरक्षा।

जानिए, क्या करेंगे काम, होगा फैसला :

चारा घोटाले में देवघर ट्रेजरी से अधिक निकासी मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को जेल के भीतर काम दिए जाने पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। उन्हें बागवानी से जुड़ा काम दिया जा सकता है। इसपर जेल प्रशासन विचार कर रहा है। वैसे लालू की ज्यादा उम्र को ध्यान में रखकर उन्हें काम से मुक्तभी किया जा सकता है। जेल अधीक्षक अशोक चौधरी के अनुसार लालू यादव को काम देने के मसले पर जेल प्रशासन सोमवार को फैसला कर सकता है।

धूप में पढ़ा अखबार, फिर सेल में बिताया समय :

लालू ने दिन का अधिकांश समय अपने सेल में बिताया। सुबह के समय कुछ देर अपने सेल के बाहर धूप में बैठकर अखबार पढ़ा। इस दौरान उनसे मिलने के लिए कई कैदी पहुंचे। कैदियों ने उनसे बातचीत की कोशिश की। लेकिन लालू ने बाद में आने की बात कही। इसके बाद अपने सेल में चले गए। उन्होंने अपने सेल में ही भोजन किया। दिन में उन्हें अरवा चावल और कद्दू की सब्जी दी गई। साथ में घी डालकर अरहर की दाल भी दी गई। रात के समय रोटी, मटर गोभी की सब्जी और दूध दिया गया। उन्होंने भोजन में साग भी ली।

जेल गेट पर कड़ा पहरा :

रविवार को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार का मुख्य गेट संगीन के साये में था। केवल तीन-चार लालू समर्थक जेल गेट के इर्दगिर्द नजर आए। पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी थी। लालू के जेल मे रहने के दौरान रोजाना समर्थकों का रेला लगता है। रविवार को मिलने की अनुमति नहीं रहने और प्रशासनिक कार्यालय बंद रहने की वजह से लालू के लिए फल व सब्जियां भी नहीं भेजी गई। इसके बावजूद जेल गेट पर पुलिस मुस्तैद रही। पूछकर ही जेल गेट से आधा किलोमीटर दूरी पर लगी बैरिकेडिंग से लोगों को गुजरने दिया जा रहा था।

वकील के माध्यम से बहन की मौत की मिली सूचना, हुए भावुक :

लालू की बड़ी बहन गंगोत्री देवी के निधन की आधिकारिक सूचना उन तक नहीं पहंुची। दोपहर में जब उनके वकील प्रभात कुमार उनसे मिलने और दवा पहंुचाने जेल पहुंचे, तब उन्हें इस दुखद समाचार से अवगत कराया। बहन की मौत की सूचना मिलते ही लालू भावुक हो उठे। उन्होंने बहन के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इच्छा जताई, लेकिन रविवार होने की वजह से कोर्ट में अर्जी दिया जाना संभव नहीं हो सका। बहन के श्राद्धकर्म में शामिल होने की अर्जी कोर्ट में दी जा सकती है। जेल सूत्रों के मुताबिक लालू की बहन की मौत की सूचना किसी ने नहीं पहुंचाई। रविवार होने की वजह से जेल अधीक्षक का कार्यालय बंद था। 

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