Manda Puja: यहां दहकते अंगारों पर चलकर मांगी जाती हैं मन्नतें, जानिए
Manda Puja. झारखंड में निवास करने वाली बड़ाईक जाति के लोग मंडा पूजा को सती का आशीर्वाद मानते हैं। पूजा के दौरान बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक दहकते अंगारे पर चलते हैं।
रांची, [जागरण स्पेशल]। भगवान भोले शंकर को अपनी भक्ति की शक्ति से खुश करने के लिए नौ दिनों की मंडा पूजा खूंटी (झारखंड) के तोरपा में शुरू हो गई है। पूजा के दौरान बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक दहकते अंगारे पर चलते हैं। इससे पहले वे अंगार स्थल पर महादेव की पूजा व परिक्रमा करते हैं। दो तरह के लोग इस पूजा में शामिल होते हैं, एक तो वे जिन्हें मन्नत मांगनी होती है और दूसरे वे जिनकी मन्नत पूरी हो गई होती है। यह पूजा अच्छी बारिश की कामना के लिए भी की जाती है, ताकि परिवार सुख शांति से रहे। पूजा से पहले मुख्य पुजारी कलश का जल छिड़ककर सबकी शुद्धि करते हैं।
रांची के चुटिया में मन्नत पूरी करने के लिए दहकते अंगारे पर चलता हुआ भोक्ता।
नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलते हैं भोक्ता
बड़ाईक टोली शिव मंदिर के पुजारी सहदेव कर बताते हैं कि मंडा पूजा का इतिहास काफी प्राचीन है। मंडा पर्व के दौरान शिवभक्त दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर अपनी भक्ति का परिचय देते है। इस परंपरा की शुरुआत बड़ाईक जाति के लोगों ने की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार झारखंड में की जाने वाली मंडा पूजा भगवान भोले शंकर की पहली पत्नी सती के बलिदान की याद में की जाती है। मंडा पूजा करने वाले भक्त इसे माता सती का आशीर्वाद मानते हैं।
बहरहाल श्रद्धा भक्ति के नाम पर मासूम बच्चे को भी दहकते अंगारों पर झूला झुलाना थोड़ा अमानवीय जरूर लगता है, लेकिन यह भी सच है कि भक्ति और श्रद्धा के मामले में तर्क की कोई जगह नहीं होती। इस पूजा के दौरान भोक्ता अपने शरीर को कष्ट देकर कड़ी परीक्षा से गुजरते हैं। इसमें भी सबसे कष्टप्रद अनुष्ठान के लिए तैयार होते हैं, उन्हें भोक्ता कहा जाता है। इस नौ दिनों में भोक्ताओं द्वारा लोटन परिक्रमा, फुलखुंदी सहित झूलन के साथ समाप्त होती है।
तोरपा में बड़ाइक लोगों ने की थी परंपरा की शुरुआत
लोग बताते हैं कि अंगारों पर चलने के अलावा 20 फीट की ऊंचाई पर झूलकर शिव भक्त ओम नम: शिवाय तथा भोले शिवा महेश के जयकारे लगाते हैं। पुजारी ने बताया कि शुक्रवार को दिन दिन में एक बजे लोटन, शनिवार को रात 9 बजे से धुआंसी, रविवार को जागरण जिसमें छऊ नृत्य होगा तथा रविवार को तीन बजे सुबह में अंगार में चलना तथा सोमवार 22 अप्रैल को झूलन के साथ नौ दिवसीय मंडा पूजा का समापन होगा। यह आयोजन अध्यक्ष विजय बड़ाईक, गणेश साहू, शिवनंदन साहू, उपेंद्र साहू, राजेश नायक, ङ्क्षटकू ङ्क्षसह, गुड्डू पंडित, मिक्की साव तथा बजरंग साहू की देखरेख में किया जा रहा है।
रांची के चुटिया में मना मंडा महोत्सव
इधर झारखंड की राजधानी रांची के चुटिया इलाके में भगवान शिव के भक्तों ने नंगे पांव दहकते अंगारों पर चलकर सदियों से चली आ रही भक्ति और परंपरा का निर्वहन किया। शिव मंडा पूजा महोत्सव में देर रात तक चुटिया में मेले और उत्सव सा माहौल रहा। अंगार पर चलने वाले भोक्ताओं को देखने के लिए चुटिया और रांची के आसपास के क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचे थे।
शाम होते ही मंदिर में शिव भोक्ता 21 बार आपस में गले मिले, फिर लोटन सेवा का अनुष्ठान हुआ। अब बारी थी धुवंसी (लपराभंज्जा) की। इसमें शिव भोक्ताओं को एक झूले में उल्टा लटका दिया गया। नीचे एक हवन कुंड निर्मित था। उस पर धुवन डालते हैं, इससे आग की लपट्टे निकलती है और यही उनकी अग्नि परीक्षा होती है। इस अनुष्ठान के बाद शिव भोक्ता दहकते अंगारों पर चलने को बेताब दिखे। मंदिर के पुजारी ने आग पर गंगा जल का छिड़काव कर मंत्र पढ़ा और भोक्ता नंगे पांव अंगारों पर चले।