डायन-बिसाही : तब अंधविश्वास की आग में धधका था मांडर, कंजिया मरायटोली में मचा था तांडव-ग्रामीणों ने खेला था खूनी खेल
झारखंड की राजधानी रांची से महज 40 किलोमीटर दूर मांडर थाने से तीन किलोमीटर दूर कंजिया मरायटोली में हुई थीं एक साथ पांच महिलाओं की हत्या।
रांची : झारखंड की राजधानी रांची से महज 40 किलोमीटर दूर मांडर थाने से तीन किलोमीटर दूर दक्षिण कंजिया मरायटोली गांव में 07 अगस्त 2015 की रात मौत का तांडव मचा था। अंधविश्वास की आग से झुलस रहे इस गांव में ग्रामीणों ने खूनी खेल खेला था, जिसका परिणाम आठ अगस्त की सुबह गांव की पांच महिलाओं के निर्वस्त्र पड़े शवों के रूप में मिला था।
डायन-बिसाही जैसी कुप्रथा में जकड़े ग्रामीणों ने पंचायत बुला अपने ही गांव की पांच महिलाओं को सरेआम निर्वस्त्र कर लाठी-डंडे व पत्थर से कूचकर मौत की नींद सुला दी थी। इतना ही नहीं, हत्या के बाद शव के पास ही बैठे रहे और पुलिस का इंतजार करते रहे।
घटना की रात लगभग 50 परिवार के इस गांव की महिला-पुरुष गांव के एक स्कूल में जुटे थे। वहां बैठक कर रणनीति बनाई थी कि गांव से डायन-बिसाही में शामिल महिलाओं को खत्म करके दम लेंगे। वही किया भी। तब प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था कि बैठक के बाद ही ग्रामीणों ने सबसे पहले एतवरिया खलखो के घर पर धावा बोल दिया था।
उसके दरवाजे को पीटकर, धक्का देकर घर में घुस गए और उसे खींचकर धुमकुड़िया में लाए, जहां उसे लाठियों से पीटना शुरू किया। एतवरिया पर दो से चार लाठी ही पड़े थे कि उसने गांव वालों को बता दिया कि वह केवल अकेली नहीं, बल्कि जादू-टोना में गांव की चार अन्य महिलाएं भी शामिल हैं। एतवरिया ने गांव की अन्य चारों महिलाएं मदनी खलखो, जसिंता खलखो, तेतरी खलखो व रकिया खलखो का नाम ले लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने अन्य चारों महिलाओं के घरों पर भी धावा बोला। उनके दरवाजे को पीटा और गेट खोलते ही उन्हें खींचकर घसीटते हुए ले गए तथा लाठी-डंडा, पत्थर व भोथरे हथियार से मारकर उनकी हत्या कर दी थी।
तब इस मामले में एक मृतका जसिंता खलखो की बड़ी बेटी अनिमा खलखो के बयान पर मांडर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने तब त्वरित कार्रवाई करते हुए 25 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
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अपनों की असमय मौतों से आक्रोशित थे ग्रामीण :
मांडर के उक्त गांव में डायन-बिसाही का यह कुप्रथा वर्षो से चलता आ रही थी। वर्षो से लगातार अपनों की असमय मौतों की वजह को ग्रामीण डायन-बिसाही ही मान रहे थे, जिसका परिणाम पांच महिलाओं की हत्या के रूप में दिखा था। घटना से कुछ दिन पूर्व ही ग्रामीणों के अनुसार गांव के 13 साल के किशोर विपिन की अचानक तबीयत खराब होने के बाद मौत हो गई थी। जब गांव के बाहर के एक ओझा से पूछा तो उसने एतवरिया खलखो का नाम लिया था और कहा था कि उसने जादू-टोना किया है। इतना ही नहीं, पूर्व में भी गांव के 45 वर्षीय बुधुवा खलखो, 15 साल के अमृत खलखो, 40 साल के टेंगवे एक्का की मौत को भी डायन-बिसाही से ही जोड़ा गया। उनका कहना था कि जिस किसी भी ओझा के पास वे जाते हैं, वे इन्हीं महिलाओं का नाम लेते थे। इसलिए ग्रामीणों ने खुद ही इन्हें बैठक कर मौत की सजा सुना दी थी।