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Jharkhand Political Gossip: सरयू से लोग पूछ रहे, आपके राम कौन हैं...

Jharkhand Political Gossip. त्रेता की चर्चा कलयुग में हुई तो छिड़ गया कबूतर युद्ध। सेनाएं दो भागों में बंट गईं दोनों खेमों से तीर चलने लगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 04:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 05:11 PM (IST)
Jharkhand Political Gossip: सरयू से लोग पूछ रहे, आपके राम कौन हैं...
Jharkhand Political Gossip: सरयू से लोग पूछ रहे, आपके राम कौन हैं...

रांची, [आनंद मिश्र]। सरयू में अब गहराई बची हो या न बची हो, लेकिन इनके साथ जुड़ाव रखने वाले राय जी की बातों की गहराई आंकना मुश्किल है। झारखंड की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले वरिष्ठ राजनीतिज्ञ इन दिनों रामायण देख रहे हैं और रामायण की व्याख्या वर्तमान संदर्भ में कर सीख व नसीहत भी दे रहे हैं। रावण-विभीषण संवाद उन्हें कुछ ज्यादा ही भा गया। पिछली सरकार के मुखिया और उनका कार्यकाल याद आ गया। भावुकता में कर बैठे चर्चा। त्रेता की चर्चा कलयुग में हुई, तो छिड़ गया कबूतर युद्ध। सेनाएं दो भागों में बंट गईं, दोनों खेमों से तीर चलने लगे। समर्थन वालों ने, विनाश काले विपरीत बुद्धि का अस्त्र चलाया तो विरोधियों ने, घर का भेदी लंका ढाए का। पूछने वाले पूछ रहे हैं कि आपके राम कौन हैं?

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बदला युग, बोल पुराने

कमल दल के माननीयों को नई-नई कमान मिली है, फ्रंटफुट खेल रहे हैं इन दिनों। पत्र तो ऐसे लिख रहे हैं कि डाक विभाग वालों को एक डाकिया इनके घर पर लगाना पड़ा गया है, जो डिबडीह से कांके रोड पत्र ले जाने का काम कर रहा है। अति उत्साह में आ, भावुकता में बह गए। खुद का वेतन और विधायक निधि की राशि देने की घोषणा तो कर ही दी, हाकिम को भी सलाह दे डाली कि सत्ता के जोर पर इस कार्य को आगे बढ़ाएं। कमल दल के खेमे में उनकी इस घोषणा से हड़कंप है। सभी बगले झांकते नजर आ रहे हैं। मामला संवेदनशील है, इसलिए खुलकर कोई कुछ बोल नहीं पा रहा है। लेकिन, सुना है भितरखाने में बाबू की दलील खरिज हो गई है। अब इन्हें कौन समझाए कि समय, काल और परिस्थिति बदल गई है। राजनीति में भावुकता का कोई स्थान नहीं रहा। भावुक हुए नहीं कि अडवाणी बनते देर नहीं लगेगी।

खुली चुनौती

छोटे नवाब का अंदाज निराला है। पूरी कमल टोली को झटका देने के लिए अकेले काफी हैं। मौका कोई भी हो, चौका लगा देते हैं। लॉकडाउन की अवधि में उनके कई रोल सामने आ चुके हैं। डॉक्टर, समाजसेवी, जनसेवा, कोई काम इन्होंने छोड़ा नहीं। राजनीतिक मोर्चे पर भी मुस्तैदी से डटे हैं। कमल टोली वालों को खुली चुनौती दे डाली, कह दिया कि अगर वे दो साल का वेतन दे देंगे, तो मै पांच साल का वेतन सरेंडर कर दूंगा। चुनौती खुली है, लेकिन कमल टोले वाले से अब तक कोई आगे नहीं आया है। सब सांस रोके खड़े हैं। ऐसे में मोर्चों पर छुटभैये नेताओं को लगाया गया है, जो रुपया बांटने वाला वीडियो दिखा रहे हैं। तोहमत लगा दी कि शारीरिक दूरी का पालन नहीं कर रहे हैं। नवाब ने भी वीडियो पुराना बता पूरे मामले को ही खारिज कर दिया है।

एक तीर से कई शिकार

बात जहां से खत्म हुई थी, वहीं से शुरू हुई। दिल्लगी करने वाले दिल्ली वालों ने दो-दो बार रिजेक्टेड श्रेणी में रखे जाने के बाद अंतत: झारखंड की ओर मुड़कर देख ही लिया। उधर, वे थोड़े लचीले हुए तो हमें तो झुकना ही था, तेवर भी फर्जी थे। हुजूर वैसे भी दिल में मैल नहीं रखते और इधर तो हालात दाने-दाने को मोहताज वाले हैं। राज्‍य हित देखें कि गुरुर। तीर कमान वाले वैसे भी एकलव्य के वंशज हैं, बगैर अंगूठे के भी तीर चला सकते हैं और एक तीर से कई शिकार भी कर सकते हैं। गेंद हस्तिनापुर के पाले में डाल दी। इधर, जिरह दो हाई क्लास लोगों में हो रही है, उधर कमल टोली वाले बहीखाता लेकर बैठ गए हैं। गिना रहे हैं कि कितना रुपया दिल्ली वालों ने भेजा। जता तो ऐसे रहे हैं जैसे दिल्ली का कोषागार हरमू रोड में हो।


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