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रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक को बेहतर बनाने की तैयारी, अब वार्ड में ही मरीजों को मिलेगा खून

रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक को और बेहतर बनाने की तैयारी की जा रही है। अब मरीजों को ब्लड र्वाड में ही मिलेगा। इससे काफी सुविधा होगी।

By Edited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 12:29 PM (IST)
रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक को बेहतर बनाने की तैयारी, अब वार्ड में ही मरीजों को मिलेगा खून
रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक को बेहतर बनाने की तैयारी, अब वार्ड में ही मरीजों को मिलेगा खून

अमन मिश्रा, रांची: रिम्स के मॉडल ब्लड बैंक को और बेहतर बनाने की तैयारी की जा रही है। अब मरीजों को उनके वार्ड में ही खून उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है। ब्लड बैंक वार्ड टू वार्ड ब्लड की सप्लाई करेगा। रिम्स के नए एडिशनल डायरेक्टर मृत्युंजय कुमार वर्णवाल की पहल पर यह काम शुरू होने जा रहा है।
वर्णवाल ने बुधवार को ब्लड बैंक का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान ब्लड बैंक से जुड़ी समस्याओं से अवगत हुए। ब्लड लेने के लिए लोगों को हो रही परेशानी को जाना।
उन्होंने ब्लड बैंककर्मियों और डॉक्टरों के साथ बैठक भी की। ब्लड बैंक की डॉ कविता देवघरिया ने बताया कि निरीक्षण के दौरान वर्णवाल ने कई सुझाव दिए। मरीजों को वार्ड में ही ब्लड सप्लाई कराने को लेकर पहल करने की बात कही। वहीं डोनरों के लिए रिफ्रेशमेंट रूम की व्यवस्था कराने की बात कही। इस प्रकिया से पहुंचेगा वार्डो तक खून ब्लड बैंक से रिक्यूजिशन लाने और वार्डो तक ब्लड पहुंचाने के लिए तीन कर्मचारी अलग से नियुक्त किए जाएंगे। रोजाना वार्ड में कितने मरीजों को ब्लड की जरूरत है इसका रिकार्ड कर्मियों को लेना होगा। उसी अनुसार इन कर्मियों को ब्लड वार्ड में जाकर मरीजों को उपलब्ध कराना होगा।

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तीन साल से ब्लड बैंक के लाइसेंस नहीं हो रहा है नवीकरण: रिम्स ब्लड बैंक का लाइसेंस करीब तीन साल से एक्सपायर हो चुका है। इसके बाद भी यह बैंक चल रहा है। बीते साल जुलाई में सीडीएससीओ, इजेड कोलकाता के औषधि निरीक्षण और औषधि निरीक्षण रांची की टीम रिम्स ब्लड बैंक के लाइसेंस नवीकरण को लेकर निरीक्षण करने पहुंची थी। इस दौरान रिम्स ब्लड बैंक में कई त्रुटियां पाई गई। इन त्रुटियों के पूरे नहीं होने के कारण अबतक लाइसेंस रिनुअल नहीं हो सका।
21 जनवरी को राज्य औषधि नियंत्रण निदेशालय की ओर से भी पत्र भेजकर पांच त्रुटियां को जल्द दूर करने की बात कही गई थी। इनमें से एक रिफ्रेशमेंट रूम नहीं होने की बात भी शामिल थी। ब्लड बैंक की छत और दिवार में सीपेज भी पाया गया। थर्मोग्राफ भी खराब था। इन सभी समस्याओं को दूर करने के बाद ही लाइसेंस नवीकरण का काम हो सकेगा।

"वार्ड टू वार्ड ब्लड सप्लाई को लेकर सहायक निदेशक से बातचीत हुई है। यह काफी अच्छा प्रयास है। इससे मरीज के परिजनों को ब्लड बैंक में लाइन नहीं लगना पड़ेगा और ब्लड उनके वार्ड तक पहुंचाया जाएगा।"
-डॉ डीके सिंह, निदेशक रिम्स।


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