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हाथ में आयुष्मान कार्ड फिर भी खरीद रहे हजारों की दवा, क्‍यों लोगों को नहीं मिल रही नि:शुल्‍क इलाज की सेवा?

आयुष्‍मान कार्ड योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इलाज में पांच लाख रुपये तक का सहयोग मिलता है। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हाथ में कार्ड होने के बावजूद मरीजों के परिजनों को सर्जरी से पहले हजारों रुपये की दवा खरीदनी पड़ रही है। कई निजी और सरकारी अस्‍पताल योजना के तहत अभी तक बकाया राशि का भुगतान नहीं कर सके हैं।

By Anuj tiwari Edited By: Arijita Sen Updated: Thu, 16 May 2024 08:14 AM (IST)
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आयुष्मान योजना के तहत नहीं मिल पा रहा है मरीजों को पूरा लाभ
अनुज तिवारी, रांची। Ayushman Yojna : आयुष्मान योजना के तहत इसके लाभुकों को इलाज में पांच लाख रुपये तक का सहयोग मिलता है। जिनके पास आयुष्मान योजना का कार्ड है वे किसी भी अस्पताल में पैकेज के अनुसार नि:शुल्‍क इलाज करवा सकते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

लाभुकों को नहीं मिल रही नि:शुल्‍क सेवा

सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के पास कार्ड पड़ा है और बाहर से हजारों रुपये देकर दवा खरीद रहे हैं। दूसरी ओर निजी अस्पतालों में भी बकाया का बताकर एक लाख के अंदर का इलाज किया जा रहा है।

इलाज में अधिक का बजट आने पर मरीजों को खुद से पैसे की व्यवस्था कर इलाज करने को कहा जा रहा है। निजी अस्पताल संचालक करोड़ों रुपये का भुगतान नहीं होने का रोना रो रहे हैं, तो सरकारी अस्पताल में ऐसे लाभुकों को पूछने वाला कोई नहीं है। ऐसा नहीं कि लाभ बिल्कुल नहीं मिल रहा है लेकिन पूरी तरह नि:शुल्‍क सेवा नहीं मिल रही है।

रिम्स का आयुष्मान योजना के तहत करीब 10 करोड़ बकाया

आयुष्मान योजना रिम्स के नोडल अधिकारी डा. राकेश रंजन बताते हैं कि मरीजों को आयुष्मान योजना का लाभ दिया जाता है, लेकिन कई स्तर में कमियां रह जाती है, जिन्हें चिह्नित कर ठीक किया भी जा रहा है। जो भी शिकायतें आती हैं उस पर तुरंत राहत देने का काम शुरू होता है।

आयुष्मान मित्रों को सजग किया जाएगा ताकि हर एक लाभुक को लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि अभी रिम्स का आयुष्मान योजना के तहत करीब 10 करोड़ रुपये बकाया है, फिर भी इस योजना से मरीजों को लाभ देना बंद नहीं किया गया है। मालूम हो कि निजी अस्पतालों में इस योजना के तहत कई इलाज प्रभावित हैं, क्योंकि उनके बकाये का भुगतान नहीं हो पाया है।

पैर की सर्जरी के लिए बैंडेज-दवा तक लानी पड़ी

पूर्वी सिंहभूम के निवासी आकाश कुमार शर्मा (16 वर्ष) का इलाज रिम्स के आर्थो विभाग में चल रहा है। उसे कुछ दिन पहले ही पैर टूटने पर रिम्स में भर्ती कराया गया। उसके पास आयुष्मान कार्ड है। इसके बावजूद स्वजनों को सर्जरी से पहले मरहम, पट्टी, इंजेक्शन, 400 ग्राम का बैंडेज सहित अन्य 15 हजार रुपये की दवा लाने को कहा गया।

आकाश कुमार के पिता को किसी तरह पैसे की व्यवस्था कर सभी चीजें खरीदीं। इसके बाद आपरेशन हुआ। इसके बाद भी हर दिन उन्हें बाहर से दवा लानी पड़ रही है और वे इस योजना को ही कोस रहे हैं कि आखिर इस कार्ड का क्या फायदा, जब हर चीज के लिए पैसा देना पड़ रहा है। उन्हें अब इस बात का भी डर है कि कहीं उनसे सर्जरी करने का भी पैसा न मांग दिया जाए।

इलाज कराने में जेब से लग रहा पैसा 

आर्थो वार्ड में ही भर्ती एक बच्ची टूनी कुमारी का भी आयुष्मान कार्ड है लेकिन इसका लाभ नहीं मिल रहा है। 11 मई से अस्पताल में इलाजरत हैं और उसी दिन से उनकी मां को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है।

उसने बताया कि कार्ड है लेकिन इसे कोई ले ही नहीं रहा। जिससे उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा कि कैसे इसका लाभ लिया जाए। डाक्टरों को कहने से कोई जवाब ही नहीं देता, सभी अपनी ड्यूटी करने में लगे हैं लेकिन मरीजों के हित में कोई सोचता ही नहीं।

डाॅक्टर से पूछने पर मरीजों को मिलती है डांट

खूंटी जिले से रिम्स में इलाज करवाने आए लाल मोहन सिंह मुंडा भी आयुष्मान योजना के लाभुक हैं। लेकिन इन्हें लाभ सिर्फ कागजों में ही मिल रहा है। इनका इलाज रिम्स के सर्जरी वार्ड में चल रहा है, जहां पर कार्ड होने के बाद भी इन्हें हर दिन कम से कम 800 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।

जूनियर डाक्टर हर दिन इन्हें एक नई दवा की लिस्ट थमा देते हैं है कहा जाता है कि बाहर से खरीदकर लाए। कोई सवाल पूछने पर डांटकर शांत करा दिया जाता है, जिससे मरीज सरकारी योजना के बारे में पूछ भी नहीं पाते।

मरीज के बेटे बताते हैं कि कार्ड को रखना ही बेकार है, जब इससे इलाज ही नहीं हो रहा है तो फिर इस योजना का फायदा क्या है। उन्होंने सरकार से गुहार लगायी है कि उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है, उनकी मदद की जाए।

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