पत्थर गाड़ चुके गांवों में पत्थलगड़ी का बढ़ा दबाव
पत्थलगड़ी का मास्टरमाइंड यूसुफ पूर्ति भले ही पुलिस की नजर में फरार चल रहा है लेकिन वह गुपचुप तरीके से अपने आंदोलन को अमलीजामा पहनाने में लगा है।
रांची : पत्थलगड़ी का मास्टरमाइंड स्वयंभू नेता यूसुफ पूर्ति भले ही पुलिस की नजर में फरार चल रहा है, लेकिन पत्थलगड़ी आंदोलन वह भीतर ही भीतर क्षेत्र में चला रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यूसुफ पूर्ति अपने गुर्गो के बल पर ग्रामीणों में भय का माहौल उत्पन्न कर पत्थलगड़ी को जीवित रखने की कोशिश में लगा है। इस बीच खूंटी और अड़की प्रखंड क्षेत्र के चार गांवों में जहां पिछले महीने पत्थलगड़ी का पत्थर खड़ा किया गया था, लेकिन विधिवत पूजा-अर्चना नहीं होने के कारण पत्थलगड़ी नहीं हो पाई थी। इन गांवों के ग्रामीणों को युसूफ के गुर्गो ने माओवादियों के नाम पर धमका कर विधिवत कार्यक्रम आयोजित कर पत्थलगड़ी करने का फरमान सुनाया है।
बीते शनिवार और रविवार को भी इस मामले पर बैठक में चर्चा हुई थी। गौरतलब है कि 26 जून को घाघरा गांव में पत्थलगड़ी होने के बाद पुलिस और पत्थलगड़ी समर्थकों के बीच झड़प हो गई थी। उसके बाद से पत्थलगड़ी समर्थक पुलिस के डर से फरार चल रहे हैं।
हालांकि पुलिस ने यूसुफ पूर्ति के खास आदमी जॉन जुनास तिडू, बलराम समद और सुरेंद्र मुंडा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, लेकिन पत्थलगड़ी के मास्टरमांइड यूसुफ पूर्ति अब तक पुलिस के हत्थे नहीं लग पाया है। वह अड़की-सरायकेला क्षेत्र में रहकर गांव-गांव में बैठक कर ग्रामीणों को पत्थलगड़ी को चालू रखने की फरमान सुना रहा है। ग्रामीणों चाहकर भी विरोध नहीं कर पा रहे हैं।
अड़की प्रखंड क्षेत्र के रोकाब गांव में पत्थर रखा हुआ है, लेकिन पत्थलगड़ी नहीं हुई है। स्वयंभू नेताओं ने गांव के ग्रामीणों को विधिवत पत्थलगड़ी करने का फरमान सुनाया था। पत्थलगड़ी नहीं करने पर शनिवार की रात गांव के राम पूर्ति को अगवा कर लिया।
बताया गया है कि रोकाब, कुदाडीह, सेनेगुटू और समारोम गांव में बीते दिनों पत्थर गाड़ा गया है। घाघरा के बाद इन्हीं गांवों में पत्थलगड़ी होनी थी। लेकिन पुलिसिया कार्रवाई और पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा पांच युवतियों से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हरकत में आई सरकारी मशीनरी के पुरजोर दबाव के कारण उनकी मंशा सफल नहीं हो सकी। बहरहाल यूसुफ के गुर्गे माओवादियों के नाम पर ग्रामीणों को धमका कर उन्हें फिर से पत्थलगड़ी के लिए उकसा रहे हैं।