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पार्कों में मचली स्कूलों में चहकी और सिनेमा घर में मुस्कुराई रांची

11 महीने के लंबे इंतजार में मानो सबकुछ ठहर गया था। लॉकडाउन के कारण घरों में जिंदगी कैद हो गई थी। बच्चों की जिंदगी मोबाइल में उलझी थी। लॉकडाउन के कारण चाह कर भी बच्चों को घुमा पाना संभव नहीं था। लेकिन अब जाकर यह संभव हो पाया है।

By Sanjay SinhaEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 06:57 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 06:57 PM (IST)
रांची के पार्क खुल गए। मंगलवार को भी भारी भीड़ रही। परीक्षाएं चलने के बावजूद छोटे बच्चे पार्क पहुंचे।

विश्वजीत भट्ट, रांची : 11 महीने के लंबे इंतजार में मानो सबकुछ ठहर गया था। लॉकडाउन के कारण घरों में जिंदगी कैद हो गई थी। बच्चों की जिंदगी मोबाइल में उलझी थी। मोबाइल का स्क्रीन ही बड़ों के लिए सिनेमा का पर्दा बन गया था। और तो और बुजुर्गों का दिन काटना दूभर हो गया था। एक महीन से एहसास कि एक दिन सब कुछ सामान्य होगा और जिंदगी पूरी रफ्तार से दौड़ेगी, लोग किसी तरह से दिन काट रहे थे। पार्कों में फूलों को मचलते देखना सपना सा हो गया था। ऐसे में सिनेमा हॉल और पार्क खुलने से एक अलग अनुभूति राजधानी रांची के दिल-ओ-दिमाग में हो रही है। खास कर बच्चों के चेहरे पर बसंत सा छा गया है। यह कहना है मोरहाबादी के चिल्ड्रेन पार्क में बैठे अनीता और सुरेंद्र का। पति-पत्नी अपने दो बच्चों के साथ इस पार्क में पहुंचे थे। सोमवार को इन्होंने सुजाता सिनेमा हॉल में फिल्म भी देखी थी।  

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यह अनुभूति सिर्फ सुरेंद्र व अनीता की ही नहीं है, मोरहाबादी के ही ऑक्सीजन पार्क में बच्चों के साथ घूमने आए रजनी और ऋषभ कुमार कहते हैं कि बच्चे कई दिनों से घर से बाहर निकलने के लिए मचल रहे थे। कोरोना और लॉकडाउन के कारण चाह कर भी बच्चों को घुमा पाना संभव नहीं था। पार्क भी बंद थे। ऐसे में जब पार्क खुलने की सूचना आम हुई तो बच्चे जिद पर अड़ गए और उन्हें पार्क घुमाने के लिए लेकर आए। यहां उनकी मस्ती देखकर बहुत सुकून महसूस हो रहा है।  

गौरी दत्त मंडेलिया स्कूल रातू रोड की कक्षा आठ की छात्रा अनुप्रिया कहती हैं यह उम्मीद ही छूट चुकी थी कि फिर कभी स्कूल ड्रेस प्रेस करके, जूतों को पॉलिश से चमका करके स्कूल जाने का मौका मिलेगा। अपने सहपाठियों के साथ हंसते खिलखिलाते पढऩे, साथ बैठ कर टिफिन खाने का मौका भी मिल पाएगा। लगातार दो दिन फुल ड्रेस पहनकर स्कूल आने और साथियों से मिलने के बाद यह लग रहा है कि जिंदगी एक बार फिर मुलाकात हो गई। हालांकि अभी सभी साथी स्कूल हीं आ रहे हैं, जब सभी स्कूल आने लगेंगे तो बहुत आनंद आएगा। 

अभी अनेकों पार्क खुलने बाकी ः कोकर चिल्ड्रेन पार्क, रामदयाल मुंडा पार्क, धुर्वा डैम पार्क और डोरंडा स्थित कृष्णा पाकर् की हालत बहुत ही बदतर है। इन पार्कों में चारों और गंदगी पसरी है। झाड़ झंखाड़ उग आए हैं। इनको तैयार करने में हफ्ता-10 दिन लगेंगे। 

बाकी मल्टीप्लेक्स के खुलने का इंतजार ः राजधानी रांची में सुजाता के अलावा पीवीआर, एसआरएस, पॉपकोर्न, कार्निवाल, आइलेक्स, साथ ही प्लाजा सिनेमा हाल भी है। इनके संचालकों ने अपने यहां फिल्में चलाना अभी शुरू नहीं किया है। लोग इनके खुलने का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 


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