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पं सोपोरी के संतूर की मधुर स्वरलहरी ने छेड़े मन के तार

रांची क्षेत्र में शास्त्रीय गीत संगीत को बढ़ावा देने के लिए स्पीक मैके तहत कार्यक्रम हुआ।

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 09:09 PM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 01:18 AM (IST)
पं सोपोरी के संतूर की मधुर स्वरलहरी ने छेड़े मन के तार

जागरण संवाददाता, रांची : क्षेत्र में शास्त्रीय गीत संगीत को बढ़ावा देने के लिए स्पीक मैके शहर में तीन दिवसीय कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें संतूर वादक और पद्मश्री से सम्मानित पंडित भजनलाल सोपोरी शहर के विभिन्न संस्थानों में संगीत की प्रस्तुति दे रहे हैं। बुधवार को इस कार्यक्रम के तहत रांची वीमेंस कॉलेज के मैत्रेयी सभागार में जब पंडित सोपोरी ने अपने संतूर की मधुर स्वरलहरी छेड़ी तो उसका जादू सभागार में बैठे लोगों साफ दिख रहा था। कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां उन्होंने छात्राओं से बात करते हुए कहा कि रांची में प्रतिभा की कमी नहीं है। इसे सही दिशा और प्लेटफॉम देने की जरूरत है। कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय कला- संस्कृति का प्रचार-प्रसार से हर भारतीय को जागरूक करना तथा विरासत में मिली परंपराओं को संजोकर रखना है।

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कार्यक्रम का उद्घाटन रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने किया। वहीं संतूर वादन के दौरान प्रतिकुलपति डॉ. कामिनी कुमार, अपर्णा स्पोरी, डॉ आनंद ठाकुर, डॉ. कुमारी उर्वशी, डॉ. लिली, डॉ. गीता, सहित बड़ी संख्या में शिक्षिकाएं तथा छात्राएं मौजूद थीं।

इसके बाद शाम में दिल्ली पब्लिक स्कूल के विवेकानंद सभागार में संतूर वादन कार्यक्रम हुआ। यहां कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य डॉ. राम सिंह और पं भजनलाल सोपोरी ने प जलाकर किया। इसके बाद उन्होंने अपने संतूर की स्वरलहरियों से सभागार में उपस्थित सभी लोगों का दिल जीत लिया। पं रविशकर पखावज के साथ तथा पं सरितदास तबले के साथ पं भजनलाल का साथ दे रहे थे। कार्यक्रम के दौरान संतूर पर भजन लाल और तबले पर पं सरितदास की जुगलबंदी ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। दस मिनट तक सभागार में केवल संतूर और तबले की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी।

वहीं कार्यक्रम दौरान ब्रेक में इच्छुक विद्यार्थियों ने मंच पर जाकर पं. भजनलाल से संतूर बजाने की बारिकियों की जानकारी ली।

कार्यक्रम के अंत में स्कूल के प्राचार्य डॉ राम सिंह ने कहा कि बच्चों के अपनी संस्कृति से आज रू-ब-रू होने की जरूरत है। इस कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी को भी भारतीय कला और संस्कृति से जोड़ने का यह अनूठा प्रयास है। यही छात्र आने वाले समय में भारतीय कला-संस्कृति से जुड़कर देश को मजबूती प्रदान करेंगे। उन्होंने दिग्गज कलाकारों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही कहा कि स्कूलों में संगीत की शिक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और यह तनाव दूर करने का एक शानदार तरीका है। आज यहां होंगे कार्यक्रम-

6 फरवरी - सरला बिरला स्कूल - सुबह 10 बजे

6 फरवरी - सेंट्रल यूनिवर्सिटी - शाम 4 बजे कल इन संस्थानों में होगा कार्यक्रम 7 फरवरी - टेंडर हार्ट स्कूल - सुबह 9.30 बजे

7 फरवरी - निफ्ट हटिया- शाम 6 बजे ------------------------

कौन है संतूर वादक पं भजनलाल सोपोरी-

संतूर वादक पदमश्री पं. भजनलाल सोपोरी कश्मीर घाटी के सोपोर के रहने वाले हैं। छह पीढि़यों से उनका परिवार संतूर बजा रहा है। उन्होंने पाच साल की उम्र में 1953 में अपना पहला सार्वजनिक कार्यक्रम दिया। वह एक संगीत अकादमी सामापा (संगीत और प्रदर्शन कला के लिए सोपोरी अकादमी) चलाते हैं। इसके साथ ही सक्रिय रूप से भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने में शामिल है। इन्हें 2011 में राज्य सरकार ने डोगरी पुरस्कार प्रदान किया था। पंडित सोपोरी को जम्मू-कश्मीर और शेष भारत के बीच सास्कृतिक संबंधों का सेतु भी माना जाता है। 67 वें भारतीय गणतंत्र दिवस 2016 के अवसर पर, पंडित भजनलाल सोपोरी को जम्मू और कश्मीर राज्य आजीवन उपलब्धि पुरस्कार दिया गया। उन्हें 1993 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 2004 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। 2009 में उन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत में योगदान के लिए बाबा अलाउद्दीन खान पुरस्कार और 2011 में एम एन माथुर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


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