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ऑक्सीजन की कमी नहीं, आवश्यक रिफिलिग प्लांट नहीं बढ़ा पा रही सरकार

राज्य ब्यूरो रांची राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। यहां के प्लांटों से ऑक्सीजन लिक्विड के रूप में दूसरे राज्य जा रहे हैं लेकिन राज्य में रिफिलिग प्लांट की कमी होने से अस्पतालों को मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडर की भी सबसे बड़ी समस्या है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 07:38 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 07:38 PM (IST)
ऑक्सीजन की कमी नहीं, आवश्यक रिफिलिग प्लांट नहीं बढ़ा पा रही सरकार
ऑक्सीजन की कमी नहीं, आवश्यक रिफिलिग प्लांट नहीं बढ़ा पा रही सरकार

राज्य ब्यूरो, रांची : राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। यहां के प्लांटों से ऑक्सीजन लिक्विड के रूप में दूसरे राज्य जा रहे हैं, लेकिन राज्य में रिफिलिग प्लांट की कमी होने से अस्पतालों को मांग के अनुरूप ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडर की भी सबसे बड़ी समस्या है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्र से 17 हजार सिलेंडर की मांग की है। बताया जाता है कि केंद्र ने इसे उपलब्ध का आश्वासन भी दिया है।

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प्रदेश में आने वाले दिनों में ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता की बात करें, तो अगले माह से राज्य को प्रतिदिन लगभग 75 टन की आवश्यकता होगी। ऐसे में राज्य सरकार को रिफिलिग प्लांट तथा सिलेंडर की संख्या बढ़ानी होगी। ऑक्सीजन की कमी की समस्या आने के बाद हजारीबाग में 250 डी टाइप सिलेंडर क्षमता वाला प्लांट शुरू हुआ है। वहीं, बोकारो, जमशेदपुर तथा धनबाद में भी एक-एक प्लांट को लाइसेंस दिया गया है। इनमें प्रतिदिन 600 सिलेंडर रिफिलिग की क्षमता है। तीन अन्य प्लांट की पहचान कर उसे भी रिफिलिग करने को कहा जा रहा है, जिसके लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन, जानकार बताते हैं कि यह पर्याप्त नहीं होगा। इसी तरह के कई अन्य प्लांट को लाइसेंस देकर रिफिलिग शुरू कराना होगा। आंकड़ों के विश्लेषण करने वाले जानकारों की मानें, तो अगले माह से राज्य को 30 से 40 हजार सिलेंडर की आवश्यकता पड़ेगी। इस कमी को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने इन प्लांटों में 24 घंटे उत्पादन का निर्देश दिया है। सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा। बता दें कि राज्य में वर्तमान में लगभग 50 टन ऑक्सीजन की खपत प्रत्येक दिन है। इनमें लगभग 30 टन की खपत सिर्फ रांची में हो रही है। राज्य में वर्तमान में ऑक्सीजन की खपत 25 फीसद बढ़ी है। सबसे अधिक 50 फीसद खपत रांची में बढ़ी है। यहां लिक्विड ऑक्सीजन की कमी इसलिए नहीं है, क्योंकि यहां के प्लांटों में सात हजार टन ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है। वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या सिलेंडर की कमी है। औषधि प्रशासन के पदाधिकारियों के अनुसार पूरे राज्य में लगभग 12 हजार सिलेंडर उपलब्ध हैं, लेकिन वर्तमान में इससे दोगुने सिलेंडर की जरूरत पड़ रही है।

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राज्य में 14 रिफिलिग प्लांट कर रहा काम :

राज्य में ऑक्सीजन की रिफिलिग वर्तमान में 14 प्लांटों द्वारा किया जा रहा है। एक प्लांट हजारीबाग में शुरू हुआ है। लेकिन, अस्पतालों में मांग बढ़ने से ये एजेंसी उतनी रिफिलिग नहीं कर पा रहे हैं, जितनी आवश्यकता है। ये मानव संसाधन तथा क्षमता की कमी बताते हैं। रांची स्थित एक एजेंसी के अनुसार, पूर्व में एक अस्पताल से 24 घंटे में 10 से 20 सिलेंडर की मांग होती थी, लेकिन अभी अस्पताल एक दिन में सौ से 150 सिलेंडर की मांग कर रहा है।

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राज्य में पांच प्लांटों में होता है उत्पादन :

राज्य में वर्तमान में पांच प्लांटों में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। इनमें तीन जमशेदपुर तथा दो बोकारो में हैं। रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में प्लांट की स्थापना प्रस्तावित है। वर्तमान में किसी अस्पताल के पास अपना ऑक्सीजन प्लांट नहीं है। रिम्स में सिर्फ रिफिलिग प्लांट है, जहां से पाइप के माध्यम से अपने अस्प्ताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।

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इन प्लांटों में होता है ऑक्सीजन का उत्पादन :

- लिडे इंडिया लिमिटेड

- एयर वाटर लिमिटेड

- एयर सेपरेशन यूनिट, टाटा

- आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट्स लिमिटेड

- बोकारो स्टील प्लांट

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