सिक्कों की समस्या का निकले समाधान : पोद्दार
50 लाख के सिक्कों को न लेने और कंपनी को डिफॉल्टर बनाने के मामले में वित्त मंत्रालय को दी गई सूचना।
रांची, जेएनएन। बैंकों की ओर से सिक्का न लेने पर राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने चिंता जताई है। ओसम मिल्क 50 लाख के सिक्कों को न लेने और कंपनी को डिफॉल्टर बनाने के मामले में उन्होंने वित्त मंत्रालय को सूचना दी है। उन्होंने ट्वीट करके इस बारे में वित्त मंत्रालय, आरबीआई और केंद्रीय मंत्री पियुष गोयल को जानकारी दी। उन्होंने लिखा है, जिस राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रयास से लगातार नए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहां बैंक युवा उद्यमी से सिक्का लेने से मना कर रहे हैं।
साथ ही जबरन डिफॉल्टर बनाने में जुले हुए हैं। उन्होंने आरबीआई के कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, सिक्कों की सप्लाई मांग से कई गुणा अधिक है। मुझे याद है जब बाजार में सिक्कों की भारी कमी रहती थी। उस समय सिक्कों की कमी से निपटने के फेडरेशन ऑफ झारखंड कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के भवन में सिक्का मेला लगाना पड़ता था। जिसमें सिक्कें विभिन्न व्यवसायियों के बीच वितरित किया जाता था। एक समय था जब सिक्कों का यह महत्व था और आज उस सिक्के को कोई पूछ भी नहीं रहा।
सिक्कों को लेकर राज्यसभा सांसद की यह चिंता पहली बार नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने व्यवसायियों के साथ हुई बैठक में इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री से बात करने की बात कही थी। रांची के बाजार में लगातार सिक्के बड़ी संख्या में डंप हो रहे हैं। जबकि बैंक इसे लेने से साफ तौर से मना कर रहे हैं। चैंबर से लेकर मंत्री तक की ओर से इस संबंध में कई बार पत्र आरबीआई और वित्त मंत्रालय को लिखा जा चुका है, लेकिन असर देखने को नहीं मिला है।
10 करोड़ से भी अधिक के मूल्य के सिक्के बेकार
राजधानी के बाजार में 10 करोड़ से भी अधिक के मूल्य के सिक्के बेकार पड़े हुए हैं। इन सिक्कों को या तो बोरों में बंद करके रखा गया है या फिर टीन के डिब्बे में। आम लोगों के पास जहा 5 से 10 हजार तक के सिक्के घर में बेकार पड़े हुए हैं तो दूसरी ओर बाजार में व्यवसायियों के पास 20 लाख रुपये तक के मूल्य के सिक्के रखे हुए हैं। इन सिक्कों का प्रयोग न व्यवसाय में हो रहा है और न ही बैंक लेने को तैयार हैं। करोड़ों रुपये बाजार में मौजूद हैं। जो पूरी तरह से बेकार पड़े हुए हैं। लाख कोशिश के बावजूद कोई असर होता नहीं दिख रहा है। आरबीआई की ओर से दिए गए निर्देश का भी कोई असर बैंकों पर नहीं है। बैंक साफ तौर से सिक्का लेने से मना कर रहे हैं। किसी भी शर्त पर एक हजार से अधिक के मूल्य के सिक्कों को बैंक लेने के लिए तैयार नहीं है। अपर बाजार से लेकर मेन रोड में बड़ी संख्या सिक्के पड़े हुए हैं।
पेट्रोल पंप वाले नहीं ले रहे हैं 20 रुपये से अधिक सिक्के
पेट्रोल पंप वालों ने साफ कर दिया है कि वे 20 रुपये से अधिक के सिक्के नहीं लेंगे। 10-10 के सिक्कों की संख्या भी सीमित होगी। कई पेट्रोल पंप ने इस संबंध में पोस्टर भी चिपका रखे हैं। पेट्रोल पंप संचालकों का कहना है कि सिक्कों पर पेमेंट तेल कंपनिया भी नहीं ले रहे हैं। नोटबंदी की शुरुआत में कुछ दिनों तक तो पेट्रोल पंपों ने सिक्के लिया, लेकिन उसके बाद स्थिति खराब हो गई। साफ तौर से पेमेंट कैश या फिर एनईएफटी करने का निर्देश दिया गया है। छोटा नागपुर पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अनुसार विभिन्न पेट्रोल पंप संचालकों के पास 2 करोड़ रुपये से अधिक के मूल्य के सिक्के पड़े हुए हैं।
यहा किलो के हिसाब से हो रही सिक्कों की सप्लाई
बैंकों की भी अपनी समस्या है। बैंकों का साफ कहना है कि करेंसी चेस्ट अभी तक खाली नहीं हुए हैं। किसी भी करेंसी चेस्ट में सिक्कों को रखने का जगह नहीं है। आरबीआई की ओर से सिक्कों को वापस ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। आरबीआई की ओर से इस बारे में कहा गया था कि करेंसी चेस्ट में पड़े पैसों को वापस ले जाया जाएगा, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई व्यवस्था नहीं बनी। सबसे ज्यादा परेशानी एसबीआई के साथ है। एसबीआई के सभी करेंसी चेस्ट सिक्कों से भरे पड़े हैं।
कई बार लिखा गया आरबीआई को पत्र
चैंबर फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अनुसार बैंकों को इस बारे में कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन उसके बावजूद भी कोई असर नहीं हुआ। चैंबर अध्यक्ष रंजीत गाड़ोदिया ने बताया कि राजधानी में 10 करोड़ से भी अधिक के सिक्के व्यवसायियों के पास पड़े हुए हैं। जिसे बैंक साफ तौर से लेने से मना कर रहे हैं। इतने बड़े स्तर पर सिक्कों का बेकार होना अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक है। यह आकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ ही रहा है।