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झारखंड विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच 2596 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। हंगामे के बीच 2596 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश किया गया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 12:38 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 07:44 AM (IST)
झारखंड विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच 2596 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश
झारखंड विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच 2596 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश

रांची, जेएनएन। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद भूमि अधिग्रहण विधेयक के विरोध में हंगामा, सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक वेल में प्रदर्शन और हो-हल्ला के बीच 2596 करोड़ का पहला अनुपूरक बजट पेश किया गया है। इसके बाद सदन की कार्यवाही बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन के मुख्य गेट में धरना में बैठी सिल्ली की विधायक सीमा महतो

सिल्ली की विधायक सीमा महतो, विधायक कुणाल षाड़ंगी बहरागोड़ा बाजार के विस्तारीकरण, चोकेसेरेंग नदी पर बने पुल के निर्माण में अनियमितता की जांच की मांग को लेकर विधानसभा के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गए। सीमा के अनुसार, 2014 में सिल्ली में बन रहा यह पुल पूरा होने से पूर्व ही ध्वस्त हो गया था। उन्होंने दोषी अभियंताओं के विरुद्ध कार्रवाई की भी मांग की है। 

इधर, भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून के विरोध में भी विधानसभा परिसर में विपक्ष के विधायकों ने प्रदर्शन किया। इससे पहले पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक वेल में पहुंचे। पक्ष के विधायक सुखाड़ पर विशेष बहस कराने की मांग कर रहे थे। विपक्ष ने मुद्दों को भटकाने के प्रयास का आरोप लगाया।

भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून के विरोध में विधानसभा परिसर में प्रदर्शन करते विपक्ष के विधायक।

हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को रद करे। इसके बाद विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ मुंडा के वक्तव्य पर नाराजगी जताई। मंत्री ने कहा कि विपक्ष भूमि अधिग्रहण कानून पर घड़ियाली आंसू बहा रहा है। इसके बाद झामुमो और कांग्रेस के विधायक वेल में पहुंच गए।

गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को शुरू होते ही भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक का मुद्दा गरमाने लगा। लगभग एक घंटे तक चले सत्र के पहले दिन की कार्यवाही में बयानों के खूब तीर चले। पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने एक-दूसरे के विरुद्ध जमकर शोर मचाया। विपक्ष ने पहले ही सत्र में अपने तेवर साफ कर दिए कि इस मुद्दे को लेकर आगे भी सदन चलाना आसान नहीं होगा। पूर्वाह्न ग्यारह बजे सदन शुरू होते ही झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक (अब कानून) को लूट का विधेयक बताते हुए सरकार से इसपर पुनर्विचार कराने की मांग स्पीकर डा. दिनेश उरांव से की। हालांकि स्पीकर कहते रहे कि अभी समय किसी भी विषय पर चर्चा का नहीं है।

इस बीच, भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर भी पीछे नहीं रहे। प्रदीप यादव को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे आसन (स्पीकर) को गाइड करें, यह संसदीय व्यवस्था के विरुद्ध है। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कुछ कहने की मांग आसन से की, जिसके लिए उन्हें मौका भी दिया गया। लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री रघुवर दास ने स्पीकर से यह कहते हुए भूमि अधिग्रहण संशोधन पर चर्चा नहीं कराने का अनुरोध किया कि इसपर राज्यपाल और राष्ट्रपति दोनों की स्वीकृति मिल चुकी है। अब सदन में इसपर बहस नहीं हो सकती।

इस पर, नेता प्रतिपक्ष उबल पड़े। कहा, जब स्पीकर ने उन्हें बोलने का समय दिया है तो सीएम क्यों खड़े हो गए। कहा, यह सरासर गुंडागर्दी है।सदन उनकी जागीर नहीं है। उनकी इस टिप्पणी पर पक्ष के विधायक भी जोर-जोर से बोलने लगे। श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री राज पलिवार ने हेमंत का विरोध किया तो हेमंत ने उन्हें वेल में आने की चुनौती दे दी। नगर विकास मंत्री सीपी सिंह भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने हेमंत की भाषा को छिछोरापन और छिछलापन बता दिया। विधायकों के विरोध को देखते स्पीकर ने हेमंत और सीपी दोनों की टिप्पणी को इसे सदन की कार्यवाही से हटाने का आश्वासन दिया। हालांकि नेता प्रतिपक्ष ने सदन से बाहर मीडिया से रूबरू होते हुए उक्त बातों को फिर से दोहराया।

जानें, सदन के बाहर किसने क्या कहा?
संशोधन प्रस्ताव लाए विपक्ष: राधाकृष्ण
भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून को लेकर बहस को भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने इसे विपक्ष के पाले में डाल दिया है। इसपर अब सदन में बहस नहीं होने की मुख्यमंत्री की टिप्पणी से सहमत होते हुए उन्होंने कहा कि विपक्ष चाहे तो इसमें संशोधन का प्रस्ताव लाए। उनका प्रस्ताव सदन में पारित हो जाएगा तो फिर से संशोधन होगा। पारित नहीं होगा तो खारिज होगा। उन्होंने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि अब यह विधेयक का पार्ट नहीं रहा। जब यह सदन का विषय ही नहीं रहा तो इसपर चर्चा कैसे हो सकती है?

बहस हो तो सौ फीसद कठघरे में होगी सरकार: हेमंत
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार यदि इसपर सदन में चर्चा कराती है तो सौ फीसद कठघरे में खड़ा होगी। उन्होंने सरकार को इस पर बहस कराने की चुनौती दी। राधाकृष्ण किशोर के संशोधन प्रस्ताव लाने के सुझाव पर कहा कि वे संवैधानिक प्रक्रिया के तहत इस किसान, मजदूर जन विरोधी कानून के विरुद्ध सदन से लेकर सड़क पर आवाज बुलंद करेंगे।

सरकार करा सकती है चर्चा: आलमगीर
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि इसपर बहस नहीं तो चर्चा तो हो ही सकती है। सदन से बाहर भी चर्चा कराई जा सकती है।


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