अगले माह के अंत तक रिम्स में शुरू होगा कॉर्निया ट्रांसप्लांट
रांची : कॉर्निया की गड़बड़ी से आंख की रोशनी गंवा चुके लोग फिर से दुनिया देख सकेंगे। वैसे लोगों के लिए खुशबरी है। अब राज् यके सबसे बड़े अस्पता लिरम्स में आंखों की कॉर्निया का ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
रांची : कॉर्निया की गड़बड़ी से आंख की रोशनी गंवा चुके लोग फिर से दुनिया देख सकेंगे। वैसे लोग भी लाभान्वित होंगे, जो जन्मजात कॉर्निया की गड़बड़ी के कारण दुनिया को नहीं देख पाएं हैं। अगले महीने के अंत तक ही रांची में इसकी व्यवस्था की तैयारी है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट का इंतजाम होगा। रिम्स प्रबंधन इसे लेकर उत्साहित है। यहां के नेत्र रोग विभाग ने इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
प्रदेश का दूसरा सरकारी संस्थान
झारखंड का यह दूसरा सरकारी संस्थान होगा जहां कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा होगी। अभी तक सिर्फ धनबाद के पीएमसीएच यानी पाटलिपुत्र मेडिकल कॉलेज में इसकी सुविधा है। पीएमसीएच में आई बैंक की भी सुविधा है।
रिम्स में आई बैंक की सुविधा :
नेत्र रोग विभाग में आई बैंक की सेवा शुरू होगी। इसके लिए भी तैयारी शुरू है। इसके लिए एक कमरे का आवंटन हो चुका है। आंख की जरूरत के मद्देनजर रिम्स नेत्रदान के इच्छुक लोगों से पहले ही फार्म भरवा चुका है। उपकरण का हो रहा इंतजाम :
कॉर्निया ट्रांसप्लांट के इस्तेमाल में आनेवाले उपकरणों की जल्द खरीद होगी। खरीद होते ही इसे इंस्टॉल किया जाएगा। प्रबंधन जोर शोर से इस दिशा में काम कर रहा है। अगले माह ऑपरेशन से संबंधित उपकरण खरीद लिए जाएंगे।
कर्मियों को मिलेगी ट्रेनिंग
कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए कुछ कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इन्हें इस काम में दक्ष बनाने के लिए ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी। कुछ चिकित्सकों को प्रशिक्षण के लिए दिल्ली भेजने की योजना है। एक साथ विभिन्न मोर्चे पर काम चल रहा है ताकि अगले माह शुरुआत हो सके। इसके लिए डॉ. आरके गुप्ता को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। डॉ. राहुल उन्हें सहयोग रहेंगे। 'कॉर्निया ट्रांसप्लांट को लेकर नेत्र रोग विभाग से सर्जरी से संबंधित जरूरतों का आकलन किया गया है। कुछ उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। कुछ पाइपलाइन में हैं। जल्द ही सारे इंतजाम हो जाएंगे और ऑपरेशन का काम शुरू हो जाएगा'
- डॉ. विवेक कश्यप, अधीक्षक, रिम्स
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दृष्टिहीनता का इलाज
कॉर्निया प्रत्यारोपण से दृष्टिहीनता का इलाज संभव है। कॉर्निया में आई खराबी के कारण यदि किसी के आंखों की रोशनी चली जाती है तो तो उसकी आंख के उस हिस्से में केराटोप्लास्टी तकनीक या लैमेलर केराटोप्लास्टी तकनीक से स्वस्थ कॉर्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है। नेत्रदान करने वाले किसी व्यक्ति की मौत के कुछ घंटों के बाद तक उसका कॉर्निया स्वस्थ रहता। जिसका नेत्रहीन व्यक्ति में आसानी से प्रत्यारोपण किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि छह घंटे में सर्जरी हो जाए।