पुजारी को वेतन के लाले, दानपेटी में गल रहे नोट
रांची के पहाड़ी मंदिर में भक्तों के लाखों रुपये हो गए खराब, दानपेटियों में बारिश का पानी घुसने के बाद बंद हैं पेटियां
संजय कृष्ण, रांची :
रांची पहाड़ी मंदिर की दान पेटियों में रुपया गल रहा है और यहां काम करने वाले पुजारी, कर्मचारी और गार्ड के सामने वेतन के लाले हैं। श्रद्धालुओं के पैसों से यहां अब पूजा हो रही है। आजादी के बाद ऐसी पहली बार स्थिति उत्पन्न हुई है कि यहां पैसा होते हुए भी पुजारियों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। 23 दान पेटी, एक खुला पहाड़ी मंदिर में 23 दानपेटियां हैं। इसमें संचालन कोष के अलावा कई कोष की पेटी है। मंदिर के पदेन अध्यक्ष डीसी और सचिव एसडीओ होते हैं। पिछली बार एसडीओ ने सभी दानपात्रों को सील करा दिया था। अब सावन बीत गए। करीब तीन महीने से दानपेटियां खोली नहीं गई हैं। इससे उसमें रखे रुपये गल रहे हैं। इसका खुलासा तब हुआ, तब मजिस्ट्रेट के सामने महाकाल मंदिर की दानपेटी खोली गई। इसमें करीब 40 से 50 हजार रुपये थे, इनमें 17 हजार रुपये से अधिक नोट बारिश के कारण गल चुके थे। सभी दान पेटियां सावन में ही भर गई थीं और पैसे बाहर गिर रहा था। सावन बीते में लंबा समय हो गया, लेकिन जिला प्रशासन को इसकी चिंता नहीं कि दानपेटी खुलेगी भी या नहीं। एक लाख महीने का खर्च मंदिर में करीब चार-पांच पुजारी, छह के करीब कर्मचारी व दो गार्ड हैं। इन पर करीब एक लाख महीने का खर्च होता है। इसमें पूजा की सामग्री भी शामिल है। पुजारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। पूजा से किसी तरह इनका काम और घर चल रहा है। लोगों का कहना है, जब से झंडा यहां लगा है, तब से मंदिर की दुर्दशा शुरू हो गई है। एक पेटी में करीब 50 हजार दानपेटी में करीब 50 हजार रुपये होते हैं। 23 दानपेटी की रकम जोड़ दीजिए। यदि हर हर पेटी से 20 हजार रुपये के भी गले नोट निकले तो करीब ढाई से तीन लाख रुपये श्रद्धालुओं के बर्बाद हो जाएंगे। आस्था से यह भी एक तरह का खिलवाड़ ही है।
------- --------
तत्कालीन एसडीओ अंजली यादव ने दान पेटियों को सील करवाया था। अब जिला प्रशासन ही दान पेटियों को खोल सकता है। अब उन्हें ही काम करना है।
मुकेश अग्रवाल, प्रवक्ता, पहाड़़ी मंदिर विकास समिति
--
तीन महीने से किसी का वेतन नहीं मिला है। पैसा यहां गल रहा है। कोई देखने वाला नहीं है। न पहाड़ी मंदिर विकास समिति न जिला प्रशासन। हम लोगों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है।
-सच्चिदानंद पांडेय, पुजारी, पहाड़ी मंदिर