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शव ढोने के लिए सस्ते के फेर में वाहनों के बंद मॉडल तलाशते रहे अधिकारी

झारखंड में बीते एक साल से पांच करोड़ रुपए आवंटित करने के बाद भी शव वाहन की फाइल इधर से उधर दौड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Aug 2018 11:36 AM (IST)Updated: Mon, 27 Aug 2018 11:36 AM (IST)
शव ढोने के लिए सस्ते के फेर में वाहनों के बंद मॉडल तलाशते रहे अधिकारी
शव ढोने के लिए सस्ते के फेर में वाहनों के बंद मॉडल तलाशते रहे अधिकारी

रांची, नीरज अम्बष्ठ। झारखंड में सरकारी कामकाज और योजनाओं को लागू करने का क्या तरीका है इसका चौंकाने वाला उदाहरण शव वाहनों की खरीद में सामने आया है। सरकार ने अपने अस्पतालों में शव वाहन खरीदने का आदेश देते हुए साल भर पहले ही पांच करोड़ रुपये भी दे दिए।

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हैरत की बात है कि साल भर में उसके अधिकारी वाहन खरीदना तो दूर उचित मॉडल तक का चयन नहीं किया जा सका। सरकार के अधिकारी किस युग और सोच के हैं, इसका उदाहरण यह है कि केंद्र सरकार जहां बीएस-6 मानक की बात कर रही है, वहीं राज्य के अधिकारी पहले मारुति के बंद हो चुके मॉडल ओमनी एंबुलेंस और बाद में टाटा के बंद मॉडल सूमो गोल्ड एंबुलेंस को खरीदने की योजना बनाते रहे है। साल भर बाद यहां के अधिकारियों को समझ में आ सका कि मॉडल के फेर में पड़ने के बदले मॉडल कोई भी हो वाहन की खरीद शीघ्र की जाए।

बीते साल अक्टूबर में कैबिनेट ने दी थी स्वीकृति : सरकारी अस्पतालों में शव ले जाने के लिए वाहन नहीं मिलने से कभी खटिया तो कभी अपने कंधे पर परिजनों द्वारा शव ले जाने की घटनाएं घटती देख राज्य में पहली बार सरकारी अस्पतालों में शव वाहन खरीदने की योजना भी बनी तो यह 'मॉडल' के पेंच में लटकी रही। इसके लिए निदेशक प्रमुख-स्वास्थ्य सेवाएं को दिए गए पांच करोड़ रुपये साल भर से बेकार पड़े हुए हैं।

मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य सचिव निधि खरे ने किसी भी मॉडल के शव वाहन शीघ्र खरीदने का सख्त आदेश निदेशक प्रमुख डा. राजेंद्र पासवान को दिया है। पिछले साल शव वाहनों के लिए बजट में प्रावधान किए जाने के बाद अक्टूबर में इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली गई।

संकल्प और मंथन के झमेले में फंसे रहे आला अधिकारी

उस समय जारी संकल्प में मारुति सुजुकी द्वारा उत्पादित ओमनी वैन एंबुलेंस की खरीद का प्रावधान किया गया। जब टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई तो पता चला कि कंपनी ने यह मॉडल बनाना ही बंद कर दिया है।

इसके बाद शव वाहन बनाने वाली पांच अन्य कंपनियों के मॉडलों पर विचार किया गया। काफी मंथन के बाद तय हुआ कि टाटा सुमो गोल्ड एंबुलेंस मॉडल सबसे सस्ती है, इसलिए इस मॉडल के वाहन की खरीद पर स्वीकृति दी जा सकती है।

इस पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली योजना प्राधिकृत समिति की दोबारा स्वीकृति ली गई। 28 मार्च 2018 को संशोधित संकल्प भी जारी हुआ। जब इस मॉडल के शव वाहन की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई तो पता चला कि यह मॉडल भी बनना बंद हो गया है।

खरीदे जाने हैं 60 शव वाहन

स्वास्थ्य विभाग ने निदेशक प्रमुख-स्वास्थ्य सेवाओं को कुल 60 शव वाहन खरीदने का आदेश दिया है। तीनों मेडिकल कॉलेजों के लिए दो-दो, बड़े जिलों के सदर अस्पतालों के लिए दो-दो तथा अन्य जिलों के सदर अस्पतालों के लिए एक-एक शव वाहन खरीदे जाएंगे।

फिलहाल साल भर 'मॉडल' के पेंच में योजना कागज पर ही रही। अब स्वास्थ्य सचिव ने एक बार फिर योजना प्राधिकृत समिति से स्वीकृति लेकर किसी भी मॉडल के शव वाहन खरीदने का आदेश निदेशक प्रमुख को दिया है। वाहनों की खरीद जेम (गवर्नमेंट ई-मार्केटिंग) से ही की जाएगी।

जल्द होगी वाहनों की खरीद

कुछ तकनीकी कारणों से अस्पतालों में शव वाहन क्रय नहीं किए जा सके। निदेशक प्रमुख को शीघ्र शव वाहन खरीदने का निर्देश दिया है। अस्पतालों को शीघ्र ही वाहन मिल जाएंगे।

निधि खरे, प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग।


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