झारखंड में बस ऑपरेटरों को नहीं मिली सरकार से राहत
राची झारखंड के कामगार और अन्य नागरिक जब देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए थे तो उन्हें वापस लाने में बस संचालकों ने अहम भूमिका निभाई। लेकिन इन्हीं बस संचालकों को सरकार से शाबाशी तो दूर राहत तक नहीं मिल रही है। तीन महीने से अधिक समय तक कारोबार बंद होते हुए भी टैक्स देना पड़ रहा है।
राची : झारखंड के कामगार और अन्य नागरिक जब देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए थे, तो उन्हें वापस लाने में बस संचालकों ने अहम भूमिका निभाई। लेकिन, इन्हीं बस संचालकों को सरकार से शाबाशी तो दूर, राहत तक नहीं मिल रही है। तीन महीने से अधिक समय तक कारोबार बंद होते हुए भी टैक्स देना पड़ रहा है। जबकि, इसी कार्यकाल में दूसरे राज्यों ने बस ऑपरेटरों को टैक्स भुगतान से माफी तक दी है। उत्तराखंड में पहली तिमाही को पूरी तरह से टैक्स फ्री रखा गया है, जबकि इसके बाद के तीन तिमाही में 75 से 25 प्रतिशत तक छूट दी गई है। बिहार में भी कैबिनेट ने बस ऑपरेटरों को टैक्स भुगतान में छूट देने का निर्णय लिया है। पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में भी बस संचालकों को राहत दी गई है। लेकिन, झारखंड में राहत नहीं मिल सकी है।
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तीन महीने से खड़ी हैं बसें, सड़क पर उतारने में हजारों खर्च होंगे :
बस ऑपरेटरों के अनुसार लॉकडाउन की घोषणा के बाद से ही बसें जहा-तहा खड़ी हैं और इन्हें अब सड़कों पर उतारने से पहले पूरी तरह से फिट कराना होगा। कई बसों के चक्के बदले जाएंगे, तो कई की सíवसिंग नहीं हुई है। रांची बस ओनर्स एसोसिएशन के कृष्ण मोहन सिंह बताते हैं कि बसों का संचालन नहीं होने से रखे-रखे भी राशि खर्च हुई है, लेकिन सरकार सुध नहीं ले रही है। पहले से पुराने हो चुके कई टायर इन तीन महीनों में पूरी तरह से खराब हो चुके हैं, जबकि लॉकडाउन अभी एक महीने और बढ़ा दिया गया है। ऐसी बसों के टायर बदलने और सíवसिंग में हजारों का खर्च आ रहा है।
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जब बसें चली नहीं, तो टैक्स क्यों दें :
झारखंड बस ओनर्स एसोसिएशन के सच्चिदानंद सिंह के अनुसार दूसरे राज्यों में रोड टैक्स एवं अन्य मदों में सरकार ने छूट दी है। लेकिन, झारखंड में ऑपरेटरों की कोई सुध नहीं ली जा रही। जुर्माना नहीं लेने की घोषणा अप्रैल में हुई और इससे एनआइसी के माध्यम से लागू कराने में दो महीने का वक्त लग गया। इस दौरान लोगों ने एडवास टैक्स और जुर्माना अदा भी किए हैं, जिसकी भरपाई कब होगी कहा नहीं जा सकता। सरकार को लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही बसों को राहत देने की घोषणा भी करनी चाहिए थी। आखिर सरकार के आदेश से ही बसों का संचालन पूरी तरह से बंद है।
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एक बार फिर निर्देश, लंबी दूरी के वाहन पर दो ड्राइवर होंगे :
राज्य सरकार ने एक बार फिर बस एवं ट्रक ऑपरेटरों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि लंबी दूरी की बसों व ट्रकों पर कम से कम दो ड्राइवर होने चाहिए। इस तरह से एक ड्राइवर को अधिकतम 6 घटे ही गाड़ी चलाने को मिलेगा। एक दिन में गाड़ी को 12 घटे से अधिक नहीं चलाने देने का आदेश दिया गया है। राज्य सरकार वाहन चालकों के तनाव को कम करने के उद्देश्य से इस तरह के निर्देश पहले भी देती रही है। शुरू में एक ड्राइवर के लिए अधिकतम आठ घटे गाड़ी चलाने का नियम था।
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ट्यूशन फीस ले रहे, तो बस संचालकों को क्यों नहीं दे रहे :
झारखंड बस ओनर्स एसोसिएशन का कहना है कि राज्य के कई निजी स्कूलों में बसें भाड़े पर चलती हैं। स्कूल बंद रहने के कारण बस का भाड़ा छात्रों से नहीं लिया जा रहा है। स्कूल संचालक ट्यूशन फीस ले रहे हैं, लेकिन बस ऑपरेटरों को निर्धारित एक न्यूनतम राशि देने पर चुप्पी साधे हुए हैं। इससे बस संचालकों के सामने बड़ी मुसीबत आ पड़ी है। स्कूल वालों को सोचना चाहिए कि आखिर बस ऑपरेटर ड्राइवरों को वेतन कहा से देंगे। बस संचालक डीजल और मेंटेनेंस खर्च नहीं माग रहे हैं।
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